क्या किसी केंद्रीय मंत्री को ऐसे गिरफ्तार किया जा सकता है? PM मोदी को अब उद्धव को सबक सिखाने की आवश्यकता है

नारायण राणे गिरफ्तार

महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी केंद्रीय मंत्री को किसी राज्य की पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया हो। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ टिप्पणी की थी। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब किसी केंद्रीय मंत्री को किसी राज्य सरकार द्वारा गिरफ्तार करवाया गया है। इसके पूर्व भी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे, मुरासोली मारन और टी० आर० बालू को तमिलनाडु में गिरफ्तार किया गया था।

हालांकि, रायगढ़ में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में उद्योग मंत्री नारायण राणे को 15000 रुपये के बांड पर बेल दे दी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि केंद्रीय मंत्री को इस प्रकार गिरफ्तार करने का अधिकार किसी राज्य की पुलिस को है भी या नहीं? राज्यसभा की कार्यवाही से संबंधित आर्टिकल 222A के अनुसार अगर किसी मामले में किसी राज्यसभा सांसद को गिरफ्तार किया जाना है तो इसकी पूर्व जानकारी राज्यसभा के सभापति को देनी पड़ती है। सभापति को गिरफ्तारी का कारण और स्थान दोनों की जानकारी, सांसद की गिरफ्तारी के पहले देनी पड़ती है।

इसके बाद सभापति को इसकी सूचना राज्यसभा को देगा। यदि सत्र नहीं चल रहा है तो इसकी जानकारी के लिए विशेष बुलेटिन जारी किया जाएगा जिससे राज्यसभा के सदस्यों को इसकी जानकारी दी जा सके। राज्यसभा सांसद के विशेषाधिकार के तहत सदन का सत्र यदि चल रहा है तब सांसद को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। सदन के शुरू होने के 40 दिन पहले और 40 दिन बाद तक राज्यसभा सांसद की गिरफ्तारी नहीं हो सकती।

नारायण राणे राज्यसभा सांसद भी हैं और केंद्रीय मंत्री भी, इसके बाद भी संविधान का उल्लंघन करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने उद्धव ठाकरे के अहम को तुष्ट करने के लिए उनकी गिरफ्तारी करवाई है।

बता दें कि इस समय नवनियुक्त केंद्रीय मंत्रियों द्वारा पूरे देश में जन-आशीर्वाद यात्रा निकाली जा रही है। इसी यात्रा के दौरान कोंकण में अपने एक भाषण में नारायण राणे ने वर्तमान महाराष्ट्र सरकार की आलोचना करते हुए जन आशीर्वाद यात्रा’ के दौरान कहा था, ‘यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री को यह नहीं पता कि आजादी को कितने साल हो गए हैं। भाषण के दौरान वह पीछे मुड़कर इस बारे में पूछते नजर आए थे। अगर मैं वहां होता तो उन्हें एक जोरदार थप्पड़ मारता। बस फिर क्या था इस बयान के बाद शिवसेना कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में राणे के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे।

वहीं भाजपा ने नारायण राणे के वक्तव्य का समर्थन तो नहीं किया लेकिन जब यह खबर सामने आई कि महाराष्ट्र सरकार राणे को गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही है, तब भाजपा नेतृत्व उनके पक्ष में खुलकर सामने आ गया। भाजपा का पक्ष यही था कि केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद को इस प्रकार गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।

महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने राणे की गिरफ्तारी कहा, राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री को गिरफ्तार करने के लिए की गई कार्रवाई प्रोटोकॉल के खिलाफ है। कोई राज्य कैबिनेट मंत्री के खिलाफ कैसे गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है?”

केंद्रीय सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योग मंत्री नारायण राणे के करीबी प्रमोद जाठर ने बताया कि राणे को गिरफ्तार करने के लिए पुणे से आई पुलिस टीम भी यह जानती थी कि वह नियमों का उल्लंघन कर रही है। उनके पास कोई अरेस्ट वारेंट नहीं था, लेकिन उन्होंने राणे के समर्थकों को बताया कि राणे को गिरफ्तार करना उनकी मजबूरी है। जाठर ने बताया कि पुलिस अधिकारियों ने उनसे कहा कि राणे को गिरफ्तार करने के लिए उनपर दबाव है।

एक केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद नारायण राणे को ऐसे साधारण व्यक्ति की तरह गिरफ्तार करना संविधान का सीधा उल्लंघन है। महाराष्ट्र सरकार ने जो कार्य किया है वह संघीय ढांचे की मूल भावना के विरुद्ध है। अपनी छवि को लेकर उद्धव सनक के स्तर तक संवेदनशील हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब मुख्यमंत्री ठाकरे का तानाशाह रवैया और स्वीकार नहीं करना चाहिए। केंद्र सरकार को उचित कदम उठाकर महाराष्ट्र सरकार को उसकी हद समझानी चाहिए अन्यथा जो हालात हैं महाराष्ट्र के लिये शुभ संकेत नहीं है।

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