CAA पर भारत की निंदा करने के दो साल बाद कनाडा ने खुद लागू किया नागरिकता कानून

कभी CAA का उपहास उड़ाने वाले कनाडा, आज उसी का एक रूप लागू कर रहा है!

कनाडा

किसी सज्जन पुरुष ने सही कहा था, ‘सबै दिन न होत एक समान।’ आज अगर आप किसी के निर्णयों का उपहास उड़ा रहे हो, कल को क्या पता आपको भी वही लागू करना पड़े। कुछ यही हाल कनाडा का भी हुआ है। कभी भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम का उपहास उड़ाने वाला कनाडा आज उसी का एक रूप अपने देश में लागू कर रहा है। वो कैसे?

हाल ही में कनाडा सरकार के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन ने मीडिया से बातचीत में बताया, “कनाडा ने हाल ही में मनमीत सिंह भुल्लर फाउंडेशन के साथ एक MOU पर हस्ताक्षर किया है, जो अफ़गानिस्तान से हिंदुओं और सिखों के एक गुट को अफ़गानिस्तान से बाहर बसाने में सहायता करेगी। अगले कई महीनों में इस योजना से अफ़गानिस्तान के सैकड़ों हिंदुओं और सिखों को लाभ देने का हमने सोचा है” –

तो इसमें गलत क्या है? ये तो अच्छी बात है। लेकिन ये कनाडा के वर्तमान प्रशासन के मुँह से तो बिल्कुल नहीं सुहाती, जिसने इसी अधिनियम के पीछे वैश्विक स्तर पर भारत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कनाडा की ट्रूडो सरकार को समर्थन दे रहे खालिस्तानी समर्थक दल न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष जगमीत सिंह ने 2019 में भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम के पारित होने पर कुछ यूं प्रतिक्रिया दी थी –

 

जगमीत सिंह के ट्वीट के अनुसार, “भारतीय सरकार का नया CAA अधिनियम जानबूझकर मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों का शोषण करती है। यह गलत है और इसका विरोध होना चाहिए। जिस समय घृणा और ध्रुवीकरण उफान पर है, उस समय सरकारों को लोगों को एक करना चाहिए, उन्हे अलग नहीं करना चाहिए”।

ये न केवल सफेद झूठ है, बल्कि इसमें भारत के प्रति जगमीत सिंह की घृणा भी स्पष्ट दिखाई देती है। भारत का नागरिकता संशोधन अधिनियम का स्पष्ट ध्येय था कि पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक तौर पर प्रताड़ित किए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में अतिरिक्त सहूलियत प्रदान करना। इसका मुसलमानों से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं था। लेकिन भारत विरोध में लीन वामपंथियों ने इसको लेकर इतना फेक न्यूज फैलाया कि 2020 में पूर्वोत्तर दिल्ली में हिन्दू विरोधी दंगे भड़क उठे, जिसमें पैरा मिलिट्री के लोगों तक को नहीं छोड़ा गया।

कनाडा के इसी दोहरे मापदंड पर कटाक्ष करते हुए TFI पोस्ट की प्रमुख संपादक शुभांगी शर्मा ने ट्वीट किया, “वाह, अब कनाडा की सरकार अफ़गानिस्तान से केवल हिंदुओं और सिखों को ही बसाना चाहती है। यह तो मुसलमानों के साथ भेदभाव है। यह गलत है, और इसका विरोध होना चाहिए”

 

ऐसे में इतना तो स्पष्ट है कि जिस बात के लिए कनाडा कभी भारत का उपहास उड़ाता था, आज वही काम खुद कनाडा कर रहा है। यह सिर्फ ट्रूडो सरकार के दोहरे मापदंडों को सिद्ध करता है, अपितु यह भी स्पष्ट करता है कि किस प्रकार से लिबरल ट्रूडो के लिए एजेंडा सर्वोपरि है, चाहे कनाडा के निजी छवि की धज्जियां ही क्यों न तार-तार हो जाए।

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