एक प्रख्यात कहावत है कि कंगाली में आटा गीला, अर्थात परेशानी में और परेशानी आना। इस प्रचलित मुहावरा को लोग सामान्यतः रोजमर्रा के जीवन में उपयोग करते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त करते हैं। आज कल इस पीड़ा का अनुभव भारत की सबसे पुरानी पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कर रही है। कभी सत्ता के चरम पर रही कांग्रेस देश में जनाधार खोने के साथ-साथ अब फंड के लिए भी तंगहाल हो चुकी है।
दरअसल, कांग्रेस पार्टी 7 दशक की राजशाही सुख भोगने के बाद अब ऐसी स्थिति में आ चुकी है जहाँ उसे बून्द-बून्द भरकर चलना पड़ रहा, यानि फंड के लिए दर-दर याचना करनी पड़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार अपनी पार्टी गतिविधियों से लेकर पार्टी पदाधिकारियों के कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए होने वाले व्यय के सन्दर्भ में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने इस सप्ताह लोकसभा और राज्यसभा में अपने सांसदों को एक नोटिस भेजा है कि वे नियमित रूप से अपना वार्षिक भुगतान करें। कांग्रेस पार्टी फंड पर मनमोहन सिंह समिति के आधार पर निर्धारित मानदंडों के अनुसार, प्रत्येक सांसद को 50,000 रुपये का वार्षिक भुगतान करना होगा, इसके अलावा दो Sympathisers को 2,000 रुपये का योगदान देना होता है।
कांग्रेस पार्टी में फंड कमी की ख़बरों ने काफी समय से तूल पकड़ा हुआ था, लेकिन कांग्रेस के पास बड़ी संख्या में संसद के नए सदस्य हैं जो अपने योगदान दायित्वों से अवगत नहीं हैं, इससे कांग्रेस पार्टी फंड में कमी आ गयी है। समस्या यह भी है कि वर्ष 2014 में यूपीए सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद से दोनों सदनों में कांग्रेस सांसदों की संख्या में भारी कमी आई है। यही कारण है कि कांग्रेस को अब अपने सांसदों से पार्टी फंड में योगदान करने का निर्देश देना पड़ रहा है।
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AICC ने पार्टी पदाधिकारियों को यात्रा और आवास पर बचत उपायों का एक सेट बनाकर भी भेजा है, साथ ही पदाधिकारियों लिए काम कर रहे कर्मचारियों को खर्च में कटौती करने के लिए भी कहा है। यात्रा व्यय को कम करने के लिए, AICC सचिवों, जो महासचिवों के सहायक हैं, उन्हें उनके निर्धारित राज्यों में प्रति माह कम से कम 15-20 दिन बिताने के लिए कहा गया है, जिससे बार-बार आने जाने से बढ़ रहे खर्चों पर नियंत्रण लगाया जा सके। जारी अधिसूचना के अनुसार, AICC सचिवों को 1400 किलोमीटर तक की दूरी ट्रेन से तय करनी होगी। वहीं, 1,400 किलोमीटर से अधिक दूरी के लिए हवाई यात्रा का लाभ उठा सकते हैं, परन्तु वह भी महीने में केवल दो बार उपयोग में लाने का नियम इस अधिसूचना के माध्यम से बताया गया है।
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वैसे तो यह बड़े अचंभे की बात है कि कांग्रेस जैसी पार्टी को फंड की कमी आन पड़ी है, क्योंकि जिस पार्टी की सत्ता से विदाई पैसे के गबन, भ्रष्टाचार और अनन्य तमाम आरोपों के साथ हुई थी वो आज पैसे की कमी होने का दावा कर रही है। ऐसे दावे कांग्रेस द्वारा निर्मित छल की ओर भी चिन्हित करता है, जिससे वो समाज को यह दिखाना चाह रही है कि उसकी हालत लचर हो चुकी है।