इस एक दांव से ममता बनर्जी के राजनीतिक करियर पर ग्रहण लगा सकती है बीजेपी

प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं, पहले विधायक तो बन जाइए !

ममता बनर्जी विधायक नहीं

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के चुनाव जीतने के बाद देश का पूरा विपक्षी वर्ग ये मानने लगा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को परास्त करने के लिए अगर कोई सबसे मजबूत विपक्षी चेहरा है तो वो ममता बनर्जी ही हैं। ये बात निश्चित तौर पर सही भी है कि ममता ने बीजेपी को झटका दिया है। इसके साथ ही ये भी बात उतनी ही सही कि नंदीग्राम से ममता बनर्जी को शुभेंदु अधिकारी ने पटखनी दी है। इस हार के कारण ममता बनर्जी अभी तक विधायक नहीं हैं, हो सकता है कि उनकी सीएम की कुर्सी भी छिन जाए। दरअसल, चुनाव आयोग ने उपचुनाव पर रोक लगा रखी है, ऐसे में अगर ममता बनर्जी विधायक नहीं बनती हैं तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा।

ऐसे में टीएमसी के नेता बंगाल की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने की मांग लेकर दूसरी बार चुनाव आयोग के पास गए हैं। ऐसे में यदि ममता को बीजेपी बंगाल तक ही सीमित रखना चाहती है, तो आवश्यक होगा कि पार्टी ममता को एक बार फिर उपचुनावों में कठिन चुनौती देकर उनके राष्ट्रीय राजनीति में आने के सपने को तोड़े।

भले ही ममता की पार्टी टीएमसी दो महीने पहले संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में जीत हासिल कर चुकी हो, किन्तु कड़वी हकीकत ये भी है कि ममता बनर्जी अभी विधायक तक नहीं हैं और सुवेंदु अधिकारी ने उन्हें झटका देते हुए नंदीग्राम सीट से हराया था। ऐसे में ममता सीएम बनने के बाद से लगातार राष्ट्रीय राजनीति के लिए हाथ-पैर मारने लगी हैं, लेकिन संभवतः ममता बनर्जी ये भूल गईं हैं कि वो अभी विधायक तक नहीं हैं।

बंगाल की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिसमें से ममता बनर्जी भी विधायक पद के लिए भवनीपुर से लड़ने की योजना में हैं, किन्तु दिक्कत ये है कि अभी चुनाव आयोग चुनाव कराने के मूड में नहीं दिख रहा है। टीएमसी नेता पिछले महीने चुनाव आयोग के पास 7 सीटों के लिए उपचुनाव कराने की मांग लेकर गए थे., किन्तु हाथ केवल निराशा ही लगी।

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ऐसे में एक बार फिर टीएमसी के शीर्ष स्तर के नेताओं का एक धड़ा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए चुनाव आयोग से मिला है, और राज्य के निर्वाचन आयुक्त आफताब आलम से अनुरोध किया है कि राज्य की सात विधानसभा सीटों पर जल्द-से-जल्द चुनाव कराए जाएं। टीएमसी नेता जानते हैं कि यदि 90 दिन के अंदर ममता विधायक नहीं बनीं तो उन्हें इस्तीफा देना ही पड़ेगा; एवं ये ममता बनर्जी के राजनीतिक कद के लिए एक झटका होगा। ममता बनर्जी का सीएम पद से इस्तीफा देना टीएमसी में नई फूट की वजह बन सकता है, क्योंकि ममता बनर्जी के कमजोर होने पर अनेकों असंतुष्ट टीएमसी नेता ममता के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।

हम जानते है की ममता बनर्जी विधायक नहीं है तो इसके चलते ममता के ऊपर सीएम की कुर्सी छिनने की तलवार लटकती नजर आ रही है, तो दूसरी ओर विपक्ष ममता बनर्जी को राष्ट्रीय राजनीति की सबसे बड़ी नेत्री के तौर पर आगे बढ़ाने की कोशिश में है।

हालांकि टीएफआई पहले ही बता चुका है कि ममता बीजेपी को राष्ट्रीय राजनीति में कुछ खास नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं, किन्तु यदि फिर भी बीजेपी ममता बनर्जी की छवि को राजनीतिक रूप से कमजोर करना चाहती है, तो भवानीपुर की विधानसभा सीट के लिए बीजेपी को ममता के सामने एक कठिन चुनौती देनी होगी।

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ऐसे में यदि बीजेपी ममता को पुनः हराने में सफलता प्राप्त करती है, तो ये ममता के लिए न केवल बंगाल बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के परिपेक्ष्य में एक तगड़ा झटका बन सकती है, और इससे ममता का राजनीतिक भविष्य भी अंधकारमय हो सकता है।

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