डासना मंदिर में नरेशानंद स्वामी पर जानलेवा हमला जंतर-मंतर का बदला था ?

‘निशाने पर यति नरसिंहानंद सरस्वती थे।’

डासना मंदिर स्वामी नरेशानंद हमला

गाजियाबाद के चर्चित डासना देवी मंदिर परिसर में मंगलवार तड़के एक अज्ञात हमलावर ने सो रहे एक पुजारी स्वामी नरेशानंद पर हमला कर दिया। पीड़ित को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत स्थिर बताई है। यह हमला कई बातों की ओर इशारा कर रहा है। हमले को दिल्ली के जंतर मंतर पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्विनी उपाध्याय के नेतृत्व में आयोजित हुए ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ से भी जोड़ा जा रहा है।

वहीं, अटकलें यह भी हैं कि हमलावर आए तो डासना मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद सरस्वती को मारने के मकसद से थे, पर भगवा वस्त्र होने और नरेशानंद की कद-काठी यति नरसिंहानंद सरस्वती के जैसी होने की वजह से हमला करने वालों का निशाना वह बन गए।

क्या है पूरा मामला ?
बिहार के रहने वाले पुजारी स्वामी नरेशानंद डासना मंदिर में रुके हुए थे। यहीं पर उनके ऊपर हमला किया गया। एक अज्ञात व्यक्ति ने पेपर कटर से उनके ऊपर हमला किया। पुलिस ने वारदात होने के बाद मौके से दो पेपर कटर बरामद भी किए हैं। डॉक्टरों ने पुजारी  नरेशानन्द का ऑपरेशन किया है, हमले में लगी चोट के कारण उनका बहुत खून बह गया था और डॉक्टरों के अनुसार उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।

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इस हमले के बाद सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें हो रही हैं। इसी कड़ी में लेखक और पत्रकार संदीप देव ने मंगलवार को ट्वीट करते हुए लिखा, ‘जंतर-मंतर के आंदोलन में भाग लेने मेरे समस्तीपुर से स्वामी नरेशानंद जी आए थे। मैं गृहस्थ हूं, अतः मैंने उनके रुकने का प्रबंध यति नरसिंहानंद जी के डासना मंदिर में करवाया था। कल एक मजहबी समूह ने मंदिर में घुसकर सोए हुए नरेशानंद जी को चाकुओं से गोद दिया।’
https://twitter.com/sdeo76/status/1424949239914717189

ट्वीट में देव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस को टैग करते हुए आगे लिखा, ‘अपराधियों ने भगवा वस्त्र के कारण शायद उन्हें यति नरसिंहानंद समझ कर हमला किया है। स्वामी जी गाजियाबाद के अस्पताल में भर्ती हैं। उनके जीवन को बचाने के लिए हम सब प्रार्थना करें और उप्र पुलिस अपराधियों पर कार्रवाई करे।’

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यदि यह बात सत्य है तो इससे यह निश्चित ही प्रतीत होता है कि, जंतर मंतर पर लगे नारों का बदला लेने और क्योंकि स्वामी नरेशानंद भी उस कार्यक्रम में मौजूद थे। इसकी खीज निकालने और बदला लेने के उद्देश्य से उन पर डासना मंदिर में घुसकर चाकू से दर्जनों बार हमला किया गया। इस मामले में प्रशासनिक कार्यवाही ने जोर पकड़ लिया है क्योंकि यह कोई छुटपुट घटना नहीं थी।

इराज राजा, पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) ने कहा, “हम मैनुअल और इलेक्ट्रॉनिक (सीसीटीवी और अन्य उपकरणों के माध्यम से) निगरानी का उपयोग करके मामले की जांच कर रहे हैं। मंदिर प्रशासन को शिकायत दर्ज कराने के लिए कहा गया है और जल्द ही एक प्राथमिकी दर्ज की जाएगी”। उन्होंने कहा कि प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (Provincial Armed Constabulary) का एक दस्ता मंदिर की सुरक्षा करता है और वरिष्ठ अधिकारी इस वारदात के वक्त उसी दस्ते से हुई संभावित चूक को देख रहे हैं।

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नरेशानन्द नहीं, असली निशाना तो नरसिंहानंद थे !

इस मंदिर में इतनी सुरक्षा यूं ही नहीं तैनात है। ज्ञात हो कि नरसिंहानंद सरस्वती इस साल मार्च से चर्चा में आए थे, मंदिर परिसर के बाहर लगे बोर्ड में स्पष्ट तौर पर लिखा हुआ है, “यहाँ मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है।” इसे उन्मादी तत्वों ने अपने विरूद्ध कही गई बात समझ लिया और उस दिन से ही नरसिंहानंद सरस्वती पर हमलों की तीव्रता बढ़ गयी, जिसके कारणवश उन्हें और मंदिर परिसर को विशेष सुरक्षा प्रदान की गई।

इस घटना में एक मोड़ यह भी है कि नरसिंहानंद सरस्वती के शिष्य और डासना मंदिर के प्रवक्ता अनिल यादव ने आरोप लगाया कि यह ‘इस्लामिक जिहादियों’ का काम था और असली निशाना मुख्य पुजारी नरसिंहानंद सरस्वती थे।”

यह तत्व अतीत में ऐसा करने से विफल रहे हैं और कल रात उन्होंने फिर से यही कोशिश की, जिसका परिणाम स्वामी नरेशानन्द जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। स्थानीय सूत्रों ने कहा कि घटना को रविवार को जंतर मंतर पर दिए गए भड़काऊ बयानों से जोड़ा जा सकता है और दिल्ली पुलिस डासना मंदिर जा सकती है। जंतर मंतर पर लगाए गए विवादित नारों के मामले के चार आरोपियों में से दो गाजियाबाद के हैं और नरसिंहानंद सरस्वती के करीबी बताए जा रहे हैं।

अब इस घटना पर कितनी बातें और निकलकर आती हैं वो जांच उपरांत पता चलेगा परंतु यदि जंतर-मंतर पर जानें मात्र से इन विषैले तत्वों ने ऐसा कुकृत्य किया तो उसकी जांच के साथ-साथ तमाम अभियुक्तों पर दण्डात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए।

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