नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव की पहली सफलता, ट्विटर की निकली हेकड़ी, सभी नियम माने

अश्विनी वैष्णव ने बयान नहीं दिए, बल्कि करके दिखाया है।

ट्विटर आईटी नियमों को मानने के लिए सहमत

अमेरिकी बिग टेक कंपनियां भारत के नए आईटी नियमों के संबंध में जिस तरह से ढुलमुल नीतियां अपना रही थीं, वो मोदी सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया था। नए आईटी नियमों की अवहेलना के मामले में भारत सरकार और बीजेपी का जमकर मखौल उड़ाया जाता है। इसके विपरीत मोदी कैबिनेट के विस्तार के बाद जैसे ही आईटी मंत्रालय का कार्यभार नए मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संभाला, बिग टेक साथ चल रहा भारत सरकार का विवाद हवा हो गया है। स्वयं ट्विटर ने ऐलान कर दिया है कि वो देश के सभी नए आईटी नियमों को मानने के लिए सहमत है। बिग टेक की अनीतियों के विरुद्ध भारत सरकार की जीत की मुख्य कड़ी नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को माना जा रहा है।

ट्विटर ने टेके घुटने

माइक्रोब्लॉगिंग सोशल मीडिया साइट ट्विटर को पड़ रही सतत् लताड़ के चलते दिल्ली हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कंपनी के वकील ने स्पष्ट कर दिया है कि वो अब भारत सरकार द्वारा बनाए गए सभी नए आईटी नियमों को मानने के लिए सहमत है।

नए आईटी नियमों के अंतर्गत ही ट्विटर ने भारत के लिए कंपनी के तीन मुख्य अधिकारी सीसीओ, आरजीओ और नोडल संपर्क अधिकारी की नियुक्ति कर दी है। मुख्य बात ये भी है कि दिल्ली हाईकोर्ट के जजों ने भी हाथ खड़े करते हुए कह दिया था कि अब अगर भारत सरकार चाहे तो ट्विटर के विरुद्ध कार्रवाई कर सकती है। हाईकोर्ट की इस टिप्पणी के बाद से तय था कि अब ट्विटर पर भारत सरकार सख्त कार्रवाई कर सकती है।

 

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अश्विनी वैष्णव की कटिबद्धता

जो ट्विटर नए आईटी नियमों के संबंध में भारत सरकार का ही विरोध करते हुए नियमों को अभिव्यक्ति की आजादी का हनन बता रहा था एवं किसी भी तरह के नियमों का पालन न करने की अकड़ दिखा रहा था, अचानक ऐसा क्या हुआ कि ट्विटर ने ताबड़तोड़ अधिकारियों की नियुक्ति करते हुए सभी नियम मान लिए। इसके पीछे साफतौर पर नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा खेला गया मास्टरस्ट्रोक है।

पूर्व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद प्रतिदिन ट्विटर से लेकर प्रेसवार्ता में ट्विटर को कोसने और धमकाने का खेल करते थे, लेकिन उनकी धमकियों का असर ही नकारात्मक हो गया। रविशंकर प्रसाद का ही ट्विटर अकाउंट बैन कर दिया गया था। ऐसे में ये सवाल भी उठाया जाने लगा कि जो ट्विटर आईटी मंत्री का अकाउंट बैन कर सकता है वो पीएम मोदी का भी अकाउंट बैन कर सकता है, जो कि देश के लिए अपमानजनक बात भी हो सकती है।

इसके विपरीत अश्विनी वैष्णव ने मंत्रालय संभालने के बाद ज्यादा कुछ वक्तव्य नहीं दिए। उनसे जब ट्विटर संबंधित कोई भी सवाल पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय संविधान के अतंर्गत बनाए गए नियमों का पालन सभी को करना ही होगा।

अपने सभी बयानों में इस तरह की एक ही बात करने वाले वैष्णव को कुछ लोग रविशंकर प्रसाद से भी सुस्त समझने लगे, किन्तु ऐसा नहीं था। दिल्ली हाईकोर्ट ने जिस समय ये कहा था कि देश की सरकार ट्विटर पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है, उसी पल ट्विटर के कर्ताधर्ताओं के मन में अश्विनी वैष्णव का भय व्याप्त हो गया, उन्हें पता था कि उनके खिलाफ कोई भी कदम उठाने में अश्विनी वैष्णव तनिक भी नहीं हिचकेंगे।

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होने लगा नए नियमों का असर

अश्विनी वैष्णव के भय के कारण अचानक ही भारत के सभी नियम मानने वाले ट्विटर पर कंट्रोल का असर भी दिखने लगा है। हास्यास्पद बात ये भी है कि नियमों की स्वीकृति के बाद सबसे पहले कांग्रेस को गर्त में ले जाने वाले राहुल गांधी ही इसके लपेटे में आए हैं। दिल्ली की रेप पीड़ित बेटी के माता-पिता की तस्वीरें सार्वजनिक करने वाले राहुल का ट्विटर अकाउंट ब्लॉक पड़ा है।

कांग्रेस इस मुद्दे पर ट्विटर के खिलाफ मोर्चा खोल रही है, जिसको लेकर कांग्रेस और ट्विटर के बीच सोशल मीडिया पर ही वॉर चल रहा है, जिसमें धीरे-धीरे ट्विटर कांग्रेस समर्थकों के ट्वीट्स और उनके अकाउंट को ही उड़ा रहा है। एक समय नए आईटी नियमों के संबंध में कांग्रेस ट्विटर के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी थी, वो ही ट्विटर आज कांग्रेस के ट्विटर अकाउंट पर पाबंदियां लगा रहा है।

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स्पष्ट रूप से कहें तो ट्विटर भारत सरकार के सामने हाथ खड़े कर चुका है; ट्विटर इतना डर गया है कि वो आईटी नियमों को शब्दश: मानने के लिए सहमत है। मोदी सरकार की इस जीत के पीछे असल वजह अश्विनी वैष्णव ही हैं, जो नदी के निचले शांत जल की भांति नियमों के प्रति कटिबद्ध हैं।

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