दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर प्रत्येक क्षेत्र में नकारात्मक राजनीति और अब तक के कार्यकाल में धुआंधार विज्ञापन वाली राजनीति करने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। अबकी बार इन्हीं कारणों से केजरीवाल क्या पूरी आम आदमी पार्टी की सरकार पर किसी राजनीतिक प्रतिद्वंदी नहीं, बल्कि इस बार के ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ी सार्थक भांबरी ने बेहद निंदनीय आरोप जड़ दिए हैं। इस आरोप से अरविंद केजरीवाल की कथनी और करनी दोनों में एक बार फिर से ज़मीन-आसमान का अंतर स्पष्ट हुआ है और पूरी ‘AAP’ सरकार का पर्दाफाश भी हुआ है।
23 जुलाई से 8 अगस्त तक चले टोक्यो ओलंपिक में भारत के खिलाड़ियों ने अपनी ओर से की गयी कड़ी मेहनत से इतिहास के पन्नों में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित करवा लिया है। इस बार के ओलंपिक में बेहतर प्रदर्शन से भारतवासियों के मन में खेलों के प्रति एक अलग ही जोश-उमंग और विश्वसनीयता कायम हुई है। वहीं कई ऐसे भी खिलाड़ी रहे जिन्होंने अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए अपनी ओर से भरसक प्रयास किए थे, परंतु उनके खेल जीवन में भी राजनीति का साया आ गया और वो पदक जीतने से चूक गए। उन्हीं में से एक हैं सार्थक भांबरी ।
बता दें, दिल्ली से ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों यानि टेनिस स्टार मनिका बत्रा, शूटर दीपक कुमार और दो 400 मीटर धावक, अमोज जैकब तथा सार्थक भांबरी के बड़े-बड़े बैनर पूरे दिल्ली में लगाए गए हैं। हालांकि DNA की रिपोर्ट के अनुसार होर्डिंग लगाने के इतर दिल्ली की AAP सरकार उन जरूरतमंद खिलाड़ियों को कोई भी आर्थिक सुरक्षा नहीं दी जिसकी उन्हें उस समय सर्वाधिक आवश्यकता थी। इन होर्डिंग्स को लगा कर जनता के साथ छल तथा एक तरह से खिलाड़ियों का मज़ाक ही उड़ाया गया।
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सार्थक का आरोप
केजरीवाल सरकार द्वारा होर्डिंग्स लगा कर इन खिलाड़ियों की सफलता का क्रेडिट लेने के बाद राजौरी गार्डन में रहने वाले 22 वर्षीय सार्थक भांबरी ने कहा है कि, “दिल्ली सरकार मेरी मदद के लिए कभी नहीं आई, मुझे कभी कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई।”
उन्होंने आगे कहा है कि, “राज्य भर में पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें लिखा है कि, ‘दिल्ली बोले जीत के आना’। कैसे जीत के आना? दिल्ली कहती है ओलंपिक में पदक जीतो। इस तरह कैसे जीतें?” इस बात से सार्थक की पीड़ा निश्चित ही सबके समक्ष प्रकट हो रही है।
8 करोड़ की लागत से ऐसे होर्डिंग लगे हैं , ये पैसे दिल्ली में खिलाड़ियों पर लगा देते तो शायद कुछ होता।नीचे की लाइन ध्यान से देखिए- दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी लिखा है जो कहीं नहीं है। ये कहाँ है ,कब बनी कोई तो बताओ।
दिल्ली वालों क्या हो गया है आपको ? झूठा इंसान @ArvindKejriwal pic.twitter.com/u3Tu8Vt26R— Parvesh Sahib Singh ( Modi Ka Pariwar ) (@p_sahibsingh) August 9, 2021
इस बार करीबन 8-9 करोड़ रुपए ओलंपिक खिलाड़ियों के नाम पर विज्ञापन में फूँक दिये गए। इस पर सार्थक भांबरी ने कहा कि, “मैंने सुना है कि ओलंपिक के लिए होर्डिंग और पोस्टर पर करोड़ों खर्च किए गए हैं। यहां तक कि अगर उन्होंने हमें ओलंपिक में जाने से महीनों पहले हमारी तैयारियों के लिए 10-15 प्रतिशत भी दिया होता, तो हम इसे अपने प्रदर्शन को गति देने और उसे अच्छी ट्रेनिंग के लिए प्रयोग कर सकते कर सकते थे।”
दिल्ली सरकार वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी के शीर्ष एथलीटों की वित्तीय सहायता के लिए एक Mission Excellence योजना चला रही है। हालांकि, कई राष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीतने वाले, तथा ओलंपिक के लिए भारत की 400 मीटर रिले टीम में जगह बनाने वाले भांबरी ने आरोप लगाया कि उन्हें अभी तक इस योजना का लाभ नहीं मिला है।
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DNA की रिपोर्ट के अनुसार सरकार और विशेषकर सीएम केजरीवाल को सुझाव देते हुए, भांबरी ने कहा कि, “उनके पास मिशन एक्सीलेंस नाम से चल रही एक अच्छी योजना है, लेकिन उन्हें वास्तव में इसमें सुधार करने की आवश्यकता है क्योंकि अगर मैं आज ओलंपिक में अच्छा करता हूं और मैं अगले साल एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी करना चाहता हूं, और मेरे पास 2023 तक कोई फंडिंग नहीं होगी, तो फिर ऐसी योजना का क्या उपयोग है? मेरे पास आगामी वर्ष में होने जा रहे राष्ट्रमंडल खेलों के लिए मात्र 8-10 महीने बचे हैं लेकिन अगर उसका अभ्यास करने के लिए कोई आर्थिक सहायता ही नहीं है तो हम कैसे आगे बढ़ेंगे।”
इन सभी बातों में एक पीड़ा और वास्तविक तथ्य है, कि खिलाड़ी को सरकारें तभी तक पूजती हैं जब तक उसका प्रभुत्व खेलों और स्पर्धाओं में कायम रहता है, और यदि वो खिलाड़ी एक स्पर्धा में किन्हीं कारणों से हार जाता है, तो फिर उसकी तरफ मुंह मोड़कर देखना सरकारों के लिए मुश्किल हो जाता है। आज विज्ञापन मंत्री के नाम से प्रचलित दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी उसी संकुचित सोच और खेल में राजनीतिकरण का उदाहरण दिया है। यदि कोई प्रतिद्वंद्वी पार्टी यह आरोप लगाती तो शायद उसकी सत्यता और प्रामाणिकता पर बहस और जंग छिड़ती, परंतु यहाँ टोक्यो ओलंपिक में गए उस खिलाड़ी ने अपने कष्टों का बखान किया है, जो ऐसे ही झूठे दावों की वजह से इस बार ओलंपिक में पदक जीतने से चूक गया।
और भी खिलाड़ी लगा चुके हैं आरोप
यह कोई पहली बार नहीं है जब केजरीवाल सरकार पर ऐसे आक्षेप खिलाड़ियों की तरफ से लगाए गए हों, बल्कि इससे पहले विश्व चैंपियनशिप के कांस्य पदक विजेता मुक्केबाज गौरव बिधूड़ी और पहलवान दिव्या काकरान ने भी राज्य सरकार को कोई मदद नहीं देने पर खूब खरी-खोटी सुनाई थी।
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वहीं, सार्थक भांबरी का बयान बाहर आने के बाद से दिल्ली सरकार आलोचनाओं में घिर गई है। ऐसा लगता है कि अब किसी कारणवश सार्थक भांबरी पर दबाव बनाया जा रहा है क्योंकि अब उन्होंने यह ट्वीट किया है कि, ‘मीडिया के साथ मेरी हालिया बातचीत को ठीक तरीके से नहीं दिखाया गया है। मैं दिल्ली सरकार का पूरा समर्थन करता हूं। मैं पहले इन नीतियों से अवगत नहीं था और इसलिए मिशन एक्सीलेंस योजना के लिए आवेदन नहीं कर सका था।’
My recent interaction with media was not shown in a healthy way. I am in full support of the Delhi Government. I was earlier not aware of the policies & hence couldnt apply for mission excellence scheme. @ArvindKejriwal ji @msisodia ji @kmmalleswari ji
— Sarthak Bhambri (@BhambriSarthak) August 11, 2021
यह तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार के बनने के बाद से सबको दिखाई दिया है कि जिन योजनाओं और परिकल्पनाओं का दंभ भरती थी, वो सब दिल्ली कि जनता के लिए एक कपोल कल्पना बनाकर रह गई। फिर चाहे वो दिल्ली के अंदर अब तक बंद पड़े मोहल्ला क्लीनिक का महिमामंडन हो या विद्यालयों को चमकाने का दावा हो, वास्तविक तस्वीर तो यह कहती है कि आप सरकार ने ढकोसले दिये और सुधार के नाम पर शुन्य साबित हुई। वही स्थिति खिलाड़ियों के नाम पर चलाई गई योजनाओं में दिखाई दी है, इसलिए होर्डिंग नहीं असल मदद पर ज़ोर देने कि आवश्यकता है वरना खिलाड़ियों का मनोबल और गिरता जाएगा।