चीन को टक्कर देने के लिए हिमंता बिस्वा सरमा असम सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दे रहे

ब्रह्मपुत्र सुरंग

वर्षों तक भारत में आने वाली सरकारों ने चीन से सटी सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण को यह कहते हुए बढ़ावा नहीं दिया कि इसके लिए भारत के पास पर्याप्त फंड नहीं है। कांग्रेस सरकार ने इस ऐतिहासिक तथ्य को स्वीकार करते हुए संसद में कहा था कि हमें यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में चीन हमसे कहीं बेहतर है। लेकिन मोदी सरकार में भारत LAC के निकट इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है जिसमें असम के मुख्यमंत्री पूरा सहयोग दे रहे हैं। अब असम में भारत सरकार अटल रोहतांग सुरंग की तरह ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे एक सुरंग का निर्माण करने वाली है।

असम विधानसभा में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि भारत सरकार ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे से एक सुरंग का निर्माण करने वाली है जो 12 से 15 किलोमीटर लंबी होगी। यह सुरंग असम में मीसा स्थित सेना के बेस को नदी के उत्तरी तट पर तेजपुर से जोड़ेगी। तेजपुर में भारतीय सेना के कमांड का मुख्यालय स्थित है। यह सुरंग मीसा के रास्ते अरुणाचल प्रदेश की सीमा तक भारतीय सेना की गतिविधि को सुगम और निर्बाध बनाएगी। साथ ही पानी के नीचे होने के कारण सैन्य गतिविधियों पर किसी प्रकार से निगरानी नहीं रखी जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट पर 4500 से 5000 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

PC: Twitter

मुख्यमंत्री हिमंता ने बताया कि “कुछ दिन पहले मैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ अरुणाचल प्रदेश गया था। भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश-चीन सीमा को जोड़ने वाली एक और सड़क बनाने की योजना बनाई है। अपनी चर्चा के आधार पर मैं कहना चाहता हूं कि भारतीय सेना ने अब मीसा से तेजपुर तक ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे एक सुरंग बनाने की योजना बनाई है, ताकि किसी भी स्थिति में सेना के वाहनों की आवाजाही न रुके।” उन्होंने ये भी बताया कि इस संदर्भ में उनकी बातचीत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत से भी हुई थी। मुख्यमंत्री हिमंता ने विधानसभा को जानकारी देते हुए कहा कि चीन के पास अरुणाचल की सीमा तक पहुंचने के लिए पांच अलग-अलग सड़कें हैं जबकि भारत के पास बोमडिला होते हुए एक ही सड़क है।

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता के साथ पूरा करने वाली है। एक बार यह टनल बनकर तैयार हो जायेगा तो इसी के आधार पर असम सरकार दो अन्य टनल का निर्माण करवाएगी जिससे राज्य में यातायात संरचना का विकास किया जा सके।

पिछले वर्ष ही केंद्र सरकार ने असम के गोहपुर (एनएच-54) से नुमालीगढ़ (एनएच-37) को जोड़ने के लिए ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे चार लेन की सड़क सुरंग बनाने की योजना को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। ऐसे में मीसा और तेजपुर को जोड़ने के लिए जिस चैनल को प्रस्तावित किया गया है ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनने वाली असम की दूसरी सुरंग होगी।

कांग्रेस सरकार ने सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर पर कितना ध्यान दिया था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2006 में कांग्रेस सरकार द्वारा बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) को सामरिक महत्व के 61 रोड बनाने का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। इनकी कुल लंबाई 3,324 किलोमीटर थी। 2015 की शुरुआत में इसमें 625 किलोमीटर सड़क बनी थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि BRO को आदेश तो दे दिया गया, लेकिन संसाधन मुहैया नहीं करवाए गए।

यूपीए सरकार ने वाजपेयी सरकार के समय प्रस्तावित कई ऐसे बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पूरे नहीं किए जो यदि समय रहते पूरे हो गए होते तो आज चीन भारत की ओर आंख उठाकर नहीं देख पाता। Darbuk–Shyok–DBO Road (DSDBO) सड़क, अटल टनल, निम्मू पदम दारचा सड़क आदि ऐसे ही प्रोजेक्ट हैं।

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