भारतीय मुसलमानों के एक वर्ग ने काबुल की पराजय पर कुछ इस प्रकार प्रतिक्रिया दी

“अलहमदुल्लिलाह, सुभान अल्लाह” -बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना।

मानवता एक बार फिर से कलंकित हुई, जब दो दशक बाद अमेरिका के बाइडन प्रशासन की प्रशासनिक और कूटनीतिक अकर्मण्यता के कारण तालिबान ने एक बार अफगानिस्तान पर शासन स्थापित कर लिया। अपनी बर्बरता के लिए कुख्यात इस संगठन को किस तरह से पाकिस्तान जैसे देशों ने पालपोस कर से इस योग्य बनाया है कि उसने फिर अफगानिस्तान पर कब्जा जमाया, यह भी किसी से छुपा नहीं है। लेकिन भारत में कुछ नीच और निकृष्ट लोग ऐसे भी हैं, जो इस त्रासदी पे ऐसे प्रसन्न हो रहे हैं, जैसे उन्हें निजी तौर पर कुछ लाभ मिला हो।

यह तो वही बात हो गयी कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना।

जिस समय तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने से मानवता पुनः कलंकित हुई है, उस समय भी कुछ ऐसे ‘तेजस्वी’ लोग हैं, जो न सिर्फ इस ‘उपलब्धि’ से प्रसन्न है, बल्कि, कुछ तो ऐसे भी हैं, जो उल्टे मोदी सरकार को ही इस प्रकरण के लिए दोषी ठहरा रहे हैं।

इस प्रकरण की ओर लोगों का ध्यान एक प्रकार से आरफा खानुम शेरवानी ने अपने विवादास्पद ट्वीट से आकृष्ट किया। उन्होंने ने ट्वीट किया, “दक्षिणपंथी भारतीय मुसलमानों को ट्रोल कर रहे हैं क्योंकि तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया है। सबसे बड़ी मानव त्रासदी भी इनके लिए केवल अवसर है। शर्म आनी चाहिए तुम्हें संघियों!”

वाह भाई वाह! मतलब संसार में समस्या कुछ भी हो, हर चीज के लिए हिंदुत्व ही जिम्मेदार है! हालांकि आरफा का यह ट्वीट भारत के कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम को बचाने का प्रयास था, जो क्लब हाउस एप पर तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा का उत्सव मनाते हुए पाए गए थे।

फ्लाइट लेफ्टिनेंट अनूप वर्मा द्वारा पोस्ट किए गए ट्वीट के अनुसार इस ऑडियो क्लिप में कुछ ‘भारतीय मुसलमान’ इस बात का जश्न मना रहे हैं कि अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर लिया है और राष्ट्रपति अशरफ गनी रिजाइन देकर, देश छोड़ कर चले गए हैं।“ ट्वीट में अनूप वर्मा कहते हैं, “आप स्वयं सुने, इन हैंडल को नोट करें। ये सभी भारतीय हैं। लेकिन जो यह सोचते हैं, वह घृणित है और शर्मनाक है।”

इसी तरह शादाब चौहान ने प्रसन्नता जताते हुए ट्वीट किया, “स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर हमें सूचना मिली है कि तालिबान ने काबुल में शांतिपूर्वक सत्ता स्थापित की है। हम उन्हें बधाई देते हैं और उम्मीद करते हैं की वे एहकाम-ए-इलाही और निजाम-ए-मुस्तफा के अनुसार राज करेंगे।”

लेकिन इसके अलावा भी कई कट्टरपंथी हैं, जो सोशल मीडिया पर यह पूछ रहे हैं कि आखिर लोगों को समस्या क्या है अगर कुछ लोगों ने अपने देश को वापस से पा लिया है।” यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि यहाँ कुछ लोगों का अर्थ तालिबान से है।

https://twitter.com/OpusOfAli/status/1426927586337251331

 

एक अन्य ट्वीट में  दो मुसलमानों के बीच के वार्तालाप से स्पष्ट पता चलता है कि यह लोग ना केवल अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा कब्जा जमाने पर प्रसन्न है, बल्कि यह लोग गजवा ए हिंद तक के सपने देख रहे हैं।

लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो इसके लिए भी मोदी सरकार को दोष दे रहे हैं। यकीन न हो तो आकार पटेल के इन घृणास्पद ट्वीट्स को देख लें –

आकार पटेल के अनुसार, ‘अफगानिस्तान की वर्तमान समस्या के लिए अजीत डोभाल और सुब्रह्मण्यम जयशंकर जिम्मेदार हैं।‘ लेकिन ये व्यक्ति यहीं पर नहीं रुका, उसने ब्राह्मणों के लिए अपमानजनक शब्दों का भी प्रयोग किया। इससे स्पष्ट होता है कि वामपंथियों और कट्टरपंथी मुसलमानों के लिए तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने का निर्णय को त्रासदी का अवसर नहीं है, अपितु इस पर वे मन ही मन बड़े प्रसन्न हो रहे हैं।

वैसे भी, उन लोगों से शिष्टाचार की क्या ही आशा रखें, जिन्होंने अपने ही गुट के एक व्यक्ति के निर्ममता से तालिबानियों द्वारा हत्या किया जाने पर भी कोई विरोध नहीं जताया।

 

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