2014 के बाद मोदी सरकार ने भारत में खेलों के परिदृश्य को बदलकर रख दिया

इसीलिए हिंदुस्तान ओलंपिक में बेहतरीन कर रहा है।

PC: Republic World

भारत ने टोक्यो ओलंपिक में अपना अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन करते हुए 1 स्वर्ण, दो रजत और 4 कांस्य पदक जीते हैं। मीराबाई चानू और नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ी रातों-रात पूरे भारत की जबान पर चढ़ गए हैं। सबसे अच्छी बात है कि भारत ने हर क्षेत्र में, हर प्रकार के खेल में अच्छा प्रदर्शन किया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब भारत में केवल एक-दो ऐसे खेल नहीं हैं जिसमें खिलाड़ी विजेता बन रहे हैं, बल्कि अब भारत हर खेल में विजेताओं को तैयार कर रहा है। इन खिलाड़ियों के इस प्रदर्शन के पीछे पग-पग पर उनके समर्थन और उत्साहवर्धन के लिए खड़ी मोदी सरकार का भी बड़ा योगदान है।

आज भारत का खेल बजट 2826.92 करोड़ है, जो 2013 के 1219 करोड़ रुपये के मुकाबले डेढ़ गुना अधिक है। मोदी सरकार ने आर्थिक और मनोवैज्ञानिक रूप से भारतीय खिलाड़ियों को हमेशा मजबूती दी, इसका सकारात्मक परिणाम टोक्यो ओलपिंक में देखने को मिला।

मीराबाई चानू ने मेडल जीतने के बाद सरकार का धन्यवाद करते हुए बताया कि कैसे उनके घायल होने पर प्रधानमंत्री ने स्वयं उनके इलाज की पूरी देखरेख करवाई। उन्हें अमेरिका भेजकर उनका इलाज करवाया। बात केवल इलाज की नहीं है, उससे महत्वपूर्ण है कि जब एक प्रधानमंत्री स्वयं खिलाड़ियों से संवाद स्थापित करता है तो देश के लिए कुछ भी करने का जज्बा स्वयं उभरता है।

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इस ओलंपिक की खास बात रही कि खिलाड़ियों ने देश का समर्थन महसूस किया। प्रधानमंत्री मोदी ने केवल विजेताओं के साथ ही बात नहीं की बल्कि हारने पर भी खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाया। भारत की महिला हॉकी टीम के साथ उनकी बातचीत भावुक करने वाली थी। राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए मोदी कितने भी बुरे क्यों न हों, यह सत्य है कि वह देश के प्रधानमंत्री हैं और इस नाते मुखिया हैं। ऐसे में उनका व्यक्तिगत स्तर पर खिलाड़ियों से संवाद स्थापित करना कितना प्रभावी है यह आप किसी खिलाड़ी से भी पूछ सकते हैं।

सोनी टीवी को दिए साक्षात्कार में पूर्व ओलंपियन अंजू बॉबी जॉर्ज ने बताया कि पहले खेलमंत्री तक खिलाड़ियों से केवल औपचारिक बातचीत ही करते थे। ओलंपिक विलेज में, जहाँ खिलाड़ियों को ट्रेनिंग के लिए रखा जाता था, वहाँ वह केवल दर्शक बनकर घूमने आते थे। अंजू ने बताया कि मेडल जीतने के बाद प्रधानमंत्री केवल बधाई दे दिया करते थे, लेकिन घर वापस आने पर खेल मंत्रालय का एक आदमी मिलने नहीं आता था। ऐसा इसलिए था क्योंकि बाकी खेलों में ग्लैमर नहीं था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस परंपरा को बदला है।

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इस बार खिलाड़ियों के ओलंपिक की तैयारी से लेकर, उनके टोक्यो रवाना होने के पहले तक प्रधानमंत्री ने स्वयं सब बातों की जानकारी ली। खिलाड़ियों के जाने से पहले वह उनसे मिले और व्यक्तिगत तौर पर उनका उत्साह बढ़ाया। अंजू बताती हैं कि पूर्व खेलमंत्री किरण रिजिजू ने हर समय खिलाड़ियों का समर्थन किया। मीराबाई चानू का ही उदाहरण लें तो भारत में लॉकडाउन होने के कारण वह अपनी तैयारी नहीं कर पा रही थीं, इसलिए स्वयं खेलमंत्री रिजिजू ने चानू को उनके कोच के साथ अमेरिका भेजने की व्यवस्था की।

सरकार ने पूर्व खिलाड़यों को फेडरेशन और सिस्टम का हिस्सा बनाकर परिवर्तन की शुरुआत की। राज्यवर्धन सिंह राठौर का मंत्री बनना खुद एक उदाहरण है। अंजू ने अपने साक्षात्कार में कहा कि पहली बार देश में खेल को लेकर बदलाव आ रहा है। उनका कहना है कि अगर खिलाड़ी में प्रतिभा है तो सिस्टम उसे पहचान लेगा और उसे अपने संरक्षण में तैयार करना शुरू कर देगा। अंजू बताती हैं कि सरकार ने ओलंपिक 2028 और 2032 की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2016 के बाद से ही अगले तीन ओलपिंक के लिए टास्क फोर्स गठित की गई थी, जिसका परिणाम टोक्यो में देखने को मिला।

खेलो इंडिया प्रोजेक्ट ने खिलाड़ियों को लगातार खेलने का अवसर दिया। 2014 के बाद शुरू हुए इस प्रोजेक्ट का बजट 97.52 करोड़ से 7 वर्षों में बढ़कर 890.92 करोड़ हो चुका है। भविष्य के ओलंपिक खेलों की तैयारी तो हो ही रही है, निकटतम ओलंपिक में पदक जीतने के लिए सरकार ‛टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम’ पर काम कर रही है।

2014 में शुरू हुई इस योजना के अंतर्गत देश में पिछले 3 वर्षों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों पर सरकार ध्यान देती है। उनके ट्रेनिंग की पूरी व्यवस्था की जाती है। उन्हें व्यक्तिगत स्टाफ, जिसमें फिजियो, ट्रेनर आदि होते हैं और व्यक्तिगत कोच दिया जाता है। उन्हें जिस संसाधन अथवा उपकरण की आवश्यकता है, दिया जाता है।

साथ ही उन्हें ट्रेनिंग के लिए पॉकेट खर्च भी सरकार देती है। भारत की ओर से गोल्ड जीतने वाले नीरज स्वयं यूरोप जाकर ट्रेनिंग कर चुके हैं। अकेले उनकी ट्रेनिंग पर 1.61 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसी प्रकार विनेश फोगाट से लेकर बजरंग पुनिया तक सभी को विदेशों में ट्रेनिंग दी गई है। फोगाट को यूरोप, बजरंग को अमेरिका भेजा गया। PV सिंधु की तैयारी पर 4 करोड़ रुपये खर्च हुए।

विपक्ष से लेकर मीडिया का एक धड़ा मोदी सरकार को पसंद करे या न करे, लेकिन देश के खेलप्रेमियों और खिलाड़ियों दोनों को पता है कि सरकार ने खेल को बढ़ावा देने के लिए जो प्रयास किए हैं, उनसे ही भारत में खेल की संस्कृति पनप रही है।

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