यदि आप असम से हैं और तालिबान की प्रशंसा कर रहे तो सावधान, हिमंता आपको जेल में डाल देंगे

सावधानी हटी दुर्घटना घटी!

तालिबान समर्थन असम

पूर्वोत्तर राज्यों में तालिबानी और देश विरोधी जड़ें मजबूत करने के लिए कई संगठन बड़े लंबे समय से जुटे हुए हैं। यही कारण है कि असम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में तालिबान समर्थित घटनाएँ अधिक संख्या में सामने आ रही हैं। इसी पर असम सरकार और पुलिस प्रशासन पैनी दृष्टि बनाते हुए इन सभी तत्वों पर त्वरित कार्यवाही कर रहा है जिससे इन सभी की हवा टाइट है। अब इस तरह की मानसिकता वाले तत्वों में डर के वातावरण हैं क्योंकि सरमा की लाठी में आवाज़ बहुत है, अर्थात सीएम सरमा के कड़े निर्देश और कार्यवाही इन सभी के मन में गहरा डर व्याप्त करवा चुके हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि अगर आप असम से हैं और अपने तालिबान को समर्थन करने का एक भी प्रयत्न किया तो आपके जेल जाने की संभावना शत प्रतिशत है।

तालिबान समर्थकों पर हिमन्ता की पैनी नजर

दरअसल, असम पुलिस द्वारा तालिबान का समर्थन करने के आरोप में 14 लोगों को गिरफ्तार किए जाने के बाद, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि राज्य के विभिन्न इलाकों में कई और तालिबान समर्थक उनकी निगरानी सूची में हैं। सीएम ने असम को एक संवेदनशील राज्य बताते हुए कहा कि राज्य सरकार ने पहले भी सभी से संवेदनशील चीजों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से बचने करने की अपील की थी। अपनी बात में उन्होंने आगे कहा कि, “हमने सभी को गिरफ्तार नहीं किया,  कुछ को सलाह देकर वापस भेज दिया गया, लेकिन हम नजर रख रहे हैं।”

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14 लोग हो चुके हैं गिरफ्तार

अर्थात एक मुख्यमंत्री का यह कहना कि वे उन सभी देश विरोधी तत्वों को अपने रडार में ले चुके हैं, एक बड़ी बात है। 21 अगस्त को, असम पुलिस ने अफगानिस्तान में तालिबान के शासन का समर्थन करने पर राज्यभर में 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। आरोपियों को कथित तौर पर सोशल मीडिया पोस्ट अपलोड करने के लिए गिरफ्तार किया गया था जो तालिबान और उसके अफगानिस्तान के अधिग्रहण पर खुशियाँ मना रहे थे। असम पुलिस ने इस पर संज्ञान लिया और लोगों को आश्वासन दिया कि वे इस तरह की गतिविधियों पर आगे निगरानी रखेंगे और ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करेंगे।

आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसमें गैरकानूनी (रोकथाम) अधिनियम, आईटी अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) शामिल थे। असम पुलिस ने गिरफ्तारी करते हुए कहा, “हम अलर्ट पर थे और भड़काऊ पोस्ट के लिए सोशल मीडिया की निगरानी कर रहे थे।”

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इन सभी तत्वों पर जितनी भी कार्यवाही अभी तक असम प्रशासन ने सुनिश्चित की है उससे यह वर्ग सतार्क हो गया है और हिमंत बिसवा सरमा का डोज़ भी बहुत असर कर रहा है। इससे यह तय हो गया है कि घर के भेदियों पर अब सरकार और पुलिस दोनों की पैनी नज़र है और ऐसा कृत्य करने वाला कोई भी आपराधिक मानसिकता वाला तत्व इन कानूनी बेड़ियों से अछूता नहीं करेगा।

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