मोदी सरकार ओबीसी आरक्षण बिल लेकर आई, मौका देख योगी सरकार ने जबरदस्त चौका लगाया है

केंद्र की मोदी सरकार ने आगामी 2022 में होने जा रहे 7 राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत को अपने पक्ष में करने के लिए बड़ा दांव चल दिया है। इस मॉनसून सत्र में तमाम बिलों के पास होने और वापस होने के बीच सर्वाधिक चर्चित और संसद के दोनों सदनों में अत्यधिक समर्थित जो विधेयक था, वो संविधान के अंतर्गत एक सौ बीसवां संशोधन विधेयक 2021 सर्वसम्मति से पारित किया गया। जिसे आमतौर पर ओबीसी विधेयक कहा जाता है। इसके साथ ही राज्यों को यह अधिकार मिल गए कि वो अपने राज्यों में ओबीसी सूची बनाने के लिए स्वतंत्र है। इसका सर्वप्रथम उपयोग करने में उत्तर प्रदेश कि योगी सरकार आगे निकल गयी है क्योंकि वो राज्य में समाहित 39 जातियों को अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) की सूची में शामिल करने की तैयारी कर रही है।

बाकि सब ब्राह्मण के उपासक बन रहे, बीजेपी को पता है वो उसके साथ ही है !

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस बार उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरण काफी व्यापक हो गए हैं। जहां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ब्राह्मण मतदाताओं तक पहुंचने के लिए सम्मेलन आयोजित कर रही हैं, वहीं भाजपा राज्य में सत्ता बनाए रखने के लिए रणनीतिक रूप से अपने पत्ते खेलने में जुट चुकी है।

एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य में 39 जातियों को अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) की सूची में शामिल करने की तैयारी कर रही है। आयोग के अध्यक्ष जसवंत सैनी के अनुसार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग जल्द ही इस संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार से सिफारिश करेगा।

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विशेष रूप से, केंद्र सरकार ने संसद में एक विधेयक पारित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली है और अब इसको बहाल करना राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ज़िम्मे है। इससे अब यह राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश अपनी ओबीसी सूची बनाने में सक्षम बनेंगे।

ओबीसी को पूजे विपक्ष, सत्ता पक्ष का सारथी बन कराया ओबीसी विधेयक पास

इस बार राजनीति का खुमार ऐसा छाया हुआ है कि वोटों के लोभ में विपक्ष दल दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में पहली बार मोदी सरकार द्वारा लाए गए किसी बिल पर एकमुश्त सहमति जताते दिखाई पड़े हैं। पेगासस और किसान आंदोलन का राग अलाप रहे सभी विपक्षी दल विशेषकर कांग्रेस पार्टी सत्र की शुरुआत से ही WALKOFF करने में आगे रही। पर जिस दिन ओबीसी विधेयक की बात आई, इन सभी दलों ने स्कूल के विद्यार्थियों की तरह सदन में अपनी शांतप्रिय ढंग से उपस्थिति दर्ज़ कराते हुए ओबीसी विधेयक पर सत्तापक्ष का साथ दिया और इस प्रकार सर्वसम्मति से ओबीसी विधेयक पारित हुआ।

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उत्तर प्रदेश में जिन 39 जातियों को अब OBC वर्ग में डालने की बातें हो रही हैं, उनमें- वैश्य, जायस्वर राजपूत, रूहेला, भूटिया, अग्रहरी, दोसर, मुस्लिम शाह, मुस्लिम कायस्थ, हिंदू कायस्थ, कोर क्षत्रिय राजपूत, दोहर, अयोध्यावासी वैश्य, बरनवाल, कमलापुरी वैश्य, केसरवानी वैश्य, बगवां, भट्ट, उमर बनिया, महौर वैश्य, हिंदू भाट, गोरिया, बॉट, पंवरिया, उमरिया, नोवाना और मुस्लिम भट सम्मिलित हैं। 39 जातियों में से यह वो जातियां हैं जिनका सर्वेक्षण पहले ही पूरा हो चुका है। आने वाले दिनों में जिन जातियों का सर्वेक्षण पूरा कर लिया जाएगा, वो हैं- आयोग विश्नोई, खार राजपूत, पोरवाल, पुरुवर, कुंदर खराड़ी, बिनौधिया वैश्य, माननीय वैश्य, गुलहरे वैश्य, गढ़ैया, राधेड़ी, पिठबाज आदि जिनकी पात्रता जानना फिलहाल शेष है।

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सर्वे के बाद ही फाइनल लिस्ट तैयार की जाएगी। हालांकि, उन्हें ओबीसी सूची में शामिल करने पर अंतिम फैसला भाजपा सरकार करेगी जिसमें अड़चन आने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता क्योंकि आयोग सरकार के आदेशानुसार ही कार्यों का क्रियांवयन करता है।

मोदी-योगी की यह रणनीति चुनावों में पार लगाएगी बीजेपी की नैया

यूपी में यह अन्य राज्यों से अधिक मास्टर स्ट्रोक इसलिए बताया जा रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में 40 प्रतिशत आबादी ओबीसी समाज से आती है, और अब जब इस सूची को तैयार कर लिया जाएगा तो निश्चित ही इस संख्या में बढ़ोतरी भी होगी। विशेष रूप से, ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आने वाले लोगों को सरकारी नौकरियों और कॉलेज प्रवेश में भी कुछ आरक्षण का लाभ मिलता है। अधिक जातियों को शामिल करने का कदम विधानसभा चुनावों में मास्टरस्ट्रोक के रूप में काम कर सकता है।

अब इससे यह सिद्ध होता जा रहा है कि केंद्र सरकार भी अब आरक्षण के बल पर चुनावी बिसात बिछाने के लिए आगे बढ़ चुकी है। फिर चाहे बात, हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा नीट परीक्षा में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने की बात हो या मोदी सरकार ने हाल ही में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान जाति कार्ड को भी सुरक्षित रूप से खेलते हुए यहाँ भी 27 के आंकड़े को बरकरार रखते हुए ओबीसी वर्ग के 27 सांसदों को मंत्री बनाते हुए रणनीतिगत तौर पर उन्हें साथ लाना हो, यह नीति ओबीसी समुदाय को भाजपा से कितना जोड़ती है वो आने वाले चुनावों में नतीजों के माध्यम से प्रदर्शित हो ही जाएगा।

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