वैश्विक समीकरण चाहे जो हों, अब समय आ चुका है कि भारत अपने दांव खेले। इसके लिए अफगानिस्तान से बेहतर लॉन्चपैड नहीं हो सकता है। यही कारण है कि हाल ही में बतौर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद अध्यक्ष भारत ने अफ़गानिस्तान की समस्या के निस्तारण के लिए बैठक बुलाई है।
इस बात को लेकर अफ़गानिस्तान कई दिनों से भारत से मांग कर रहा था। इसको लेकर विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार के बीच बातचीत भी हुई थी, जिसमें उन्होंने ‘अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का आपातकालीन सत्र बुलाने पर चर्चा की थी।’ अब भारत ने यह फैसला भी ले लिया है कि संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान पर चर्चा होनी चाहिए।
UN Security Council will meet on Friday, 6th August, under Indian Presidency to discuss and take stock of the situation in Afghanistan: Ambassador of India to the United Nations, TS Tirumurti
(File pic) pic.twitter.com/oeGeuJPQ92
— ANI (@ANI) August 5, 2021
Called Indian FM HE @DrSJaishankar to discuss convening an emergency UN Security Council Session on AFG. UN & int’l community must play a greater role to stop the unfolding tragedy in🇦🇫 due to Taliban violence & atrocities. Appreciate the lead role of🇮🇳 as current UNSC President. pic.twitter.com/SLaRlUKHxC
— Mohammed Haneef Atmar محمد حنیف اتمر (@MHaneefAtmar) August 3, 2021
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और अगस्त माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष राजदूत टी एस तिरुमूर्ति ने ट्वीट कर बताया कि, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भारत की अध्यक्षता में शुक्रवार, छह अगस्त को अफगानिस्तान में स्थिति पर चर्चा करने और उसका जायजा लेने के लिए बैठक करेगा।’
इस विषय पर अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंदज़े ने ट्वीट करते हुए कहा, “आतंकी अफ़गानिस्तान में जो हिंसा और त्राहिमाम का दुष्चक्र फैला रहे हैं, उसे रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आगे आकर सहयोग करना चाहिए। इस विषय में आगे बढ़कर काम करने के लिए UN सुरक्षा परिषद के मौजूदा अध्यक्ष भारत का हम आभार जताते हैं।”
"UN & international community must play a greater role to stop unfolding tragedy in Afghanistan due to violence & atrocities by terrorists. Thank you India for the lead role as UNSC President," tweets Afghanistan’s Ambassador to India Farid Mamundzay pic.twitter.com/yqRa4xT7s6
— ANI (@ANI) August 5, 2021
जिस प्रकार से भारत इस विषय पर फ्रंट फुट पे खेल रहा है, उससे उसका संदेश स्पष्ट है – चाहे अफगानिस्तान में त्राहिमाम मचा रहा तालिबान हो या उसे संरक्षण दे रहे पाकिस्तान और चीन, अब किसी की खैर नहीं। पाकिस्तान और तालिबान के गठजोड़ से निपटने में अफगानिस्तान की सहायता के लिए सक्रिय रूप से आगे आना ही होगा, जैसे 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के बांग्ला भाषी निवासियों के लिए वह आगे आया था। कहीं न कहीं इस कूटनीतिक दाँवपेंच का ही असर है कि अब तालिबान भी भारतीय प्रोजेक्ट को हाथ न लगाने के दावे कर रहा हैं।
चौंकिए मत, ये शत प्रतिशत सच है। जी न्यूज के रिपोर्ट के अंश अनुसार,
“तालिबान ने भारत से दोस्ती के संकेत दिए हैं। तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान में भारत सहित किसी भी देश के इकोनॉमिक प्रोजेक्ट्स को कोई खतरा नहीं है। हालांकि, इसके लिए तालिबान ने एक शर्त भी रखी है। आतंकी संगठन का कहना है कि यदि भारत अशरफ गनी सरकार द्वारा की जा रही गोलीबारी का समर्थन बंद कर देता है, तो उसके प्रोजेक्ट्स को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा।”
रोचक बात यह है कि बयान तब सामने आया है, जब यह स्पष्ट हो गया कि भारत अपने प्रोजेक्ट्स की रक्षा में एक कदम भी पीछे नहीं हटेगा। इसके अलावा यह महज संयोग नहीं हो सकता कि यह बयान तब आया हो, जब भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के तौर पर चुना गया। दरअसल तालिबान भी भली-भांति जानता है कि यह पहले वाला भारत नहीं है, जो एक ही वार में पस्त हो जाएगा, बल्कि एक भी खरोंच आने पर शत्रु को पटक-पटक के धोएगा। ऐसे में अब भारत कूटनीतिक मोर्चे पर एक बार फिर ‘विश्वगुरु’ बनने जा रहा है, और अफगानिस्तान उसका लॉन्चपैड होगा।