‘भारत हमें बोलने नहीं दे रहा’, अफगानिस्तान मुद्दे पर UNSC की मीटिंग में भारत ने बंद की पाकिस्तान की बोलती तो रोया रोना

UNSC की बैठक

पाकिस्तान की हालत उस दिन से ही खराब है, जिस दिन से भारत को UNSC का अध्यक्ष चुना गया है। भारत इस सगंठन का फायदा उठाकर धीरे-धीरे पाकिस्तान और चीन के लिए नई मुसीबतें खड़ी कर रहा है। अफगानिस्तान की अराजकता के मुद्दे पर अब अचानक बुलाई गई UNSC की बैठक में पाकिस्तान को न बुलाए जाने से पाकिस्तान भारत को गीदड़ भभकी दे रहा था। वहीं, बैठक के बाद अब पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने आरोप लगाया है कि भारत UNSC की बैठक में अफगानिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान की आवाज दबाना चाहता है, जबकि भारत जानता है कि अफगानिस्तान की अराजकता के पीछे पूर्ण जिम्मेदार पाकिस्तान ही है।

तालिबान के जन्म से लेकर उसके विस्तार तक में मुख्य भमिका पाकिस्तान की ही रही है। ऐसे में अमेरिकी सेना के जाने के बाद आतंकी संगठन तालिबान ने पुनः अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। अफगानी राष्ट्रपति देश छोड़ चुके हैं, और देश अराजकता की आग में जल रहा है। इस पूरी स्थिति के लिए जिम्मेदार माना जाने वाला पाकिस्तान ही अब अफगानिस्तान के मुद्दे पर अपनी आवाज दबाने के लिए भारत पर हमला बोल रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने आरोप लगाया है कि भारत पाकिस्तान को UNSC के मुद्दे पर कुछ बोलने नहीं दे रहा है, महत्वपूर्ण बात ये भी है कि पाकिस्तानव अब तालिबान को मान्यता भी दे चुका है।

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यूएनएससी की बैठक में एक बार फिर पाकिस्तान को न शामिल करने के मुद्दे पर शाह महमूद कुरैशी ने ट्वीट कर लिखा, “दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज अफगानिस्तान को लेकर हुई यूएनएससी की बैठक में एक बार फिर पाकिस्तान को बोलने का अवसर नहीं दिया गया। अफगानिस्तान की नियति को लेकर इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत ने पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया और व्यवधान डाला। इस बहुपक्षीय मंच का बारबार राजनीतिकरण करना, अफगानिस्तान और क्षेत्र के लिए उसकी नीयत को दर्शाता है।

शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि भारत वैश्विक मंच का उपयोग अपने राजनीतिक हितों को साधने के लिए कर रहा है।  इतना ही नहीं, उन्होंन ये भी आरोप लगाया है कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में हर बार पाकिस्तान की आवाज दबा रहा है। एक तरफ पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भारत को कोस रहे हैं, तो दूसरी ओर उनके अपने ही लोग उनका दोगलापन सार्वजनिक कर रहे हैं।

तालिबान को मान्यता देने के मुद्दे पर UNSC की बैठक में पाकिस्तान के प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने कहा, “तालिबान ने हमें भरोसा दिया है कि वह सभी लोगों को मिलाकर सरकार बनाएगा। हम आशा करते हैं कि अफगानिस्तान की सरकार में सभी गुटों का प्रतिनिधित्व होगा। हम तालिबान के साथ काम कर रहे हैं, इसलिए हमने गैर-पश्तून अफगान नेताओं को बातचीत के लिए इस्लामाबाद बुलाया है। इन सभी नेताओं ने तालिबान के साथ सहयोग करने पर सहमति भी जताई है।”

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पाकिस्तान भले ही अफगानिस्तान के मुद्दे पर हो रही बैठकों में स्वयं के न बुलाए जाने को लेकर हमलावर हो, किन्तु भारत जानता है कि अफगानिस्तान में आतंक का जनक पाकिस्तान ही है। इसमें कोई संशय नहीं होना चाहिए कि अफगानी आतंकियों को गोला बारूद समेत अन्य युद्धक सामान पाकिस्तान द्वारा ही मिलते हैं। पाकिस्तानी पीएम इमरान खान स्वयं ही तालिबानियों को एक क्रांतिकारी बता चुके हैं, और ये कहना गलत नहीं होगा कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन में तालिबान की सफलता प्राप्ति के पीछे पाकिस्तान द्वारा पर्दे के पीछे से निभाई गई भूमिका ही मुख्य थी।

ऐसे में भारत पाकिस्तान की एक-एक नब्ज को अच्छे से जानता है। यही कारण है कि भारत की अध्यक्षता में हो रही UNSC की बैठकों से पाकिस्तान को दूर रखा जा रहा है, जिसके चलते पाकिस्तान का सारा गुस्सा भारत पर निकल रहा है।

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