ओलंपिक के बाद अब पैरालंपिक में भी कमाल करेगा हिंदुस्तान, भेज रहा है सबसे बड़ी टीम

कम से कम 4 पदक तो जीतेंगे ही।

टोक्यो पैरालंपिक

टोक्यो ओलंपिक 2020 की लपटें बुझने के बाद 24 अगस्त से पैरालिंपिक 2020 शुरू होने वाला है, जो 5 सितंबर, 2021 को समाप्त होगा। टोक्यो पैरालंपिक में 21 स्थानों पर आयोजित होने वाले 22 विभिन्न विषयों में 539 कार्यक्रम होंगे।

टोक्यो ओलंपिक-2020 भारत का अब तक का सबसे सफल ओलंपिक रहा, जिसमें उन्होंने सात पदक जीते, जिसमें भाला फेंक में नीरज चोपड़ा का एक स्वर्ण भी शामिल है। अब समय आ गया है पैरा एथलीटों का दमखम देखने का। गौरव की एक नयी गाथा लिखने का और पूरे उमंग उत्साह के साथ अपने पैरालंपिक खिलाड़ियों का हौसलाअफजाई करने का।

भारत टोक्यो पैरालंपिक में अब तक का सबसे बड़ा दल भेजेगा। भारत नौ खेलों में 54 एथलीटों को मैदान में उतारेगा। पूर्व पैरालंपिक पदक विजेता दीपा मलिक की अध्यक्षता में भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) ने जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में ट्रैक और फील्ड एथलीटों के लिए दो दिवसीय चयन ट्रायल भी आयोजित किया।

तैयारियों के बारे में बात करते हुए भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) की अध्यक्ष दीपा मलिक ने एएनआई को बताया, “हमें एथलीटों के कल्याण में कुछ वाकई साहसिक निर्णय लेने थे। इस वर्ष मार्च की राष्ट्रीय बैठक बहुत महत्वपूर्ण थी। परीक्षण कराने में मुश्किलें थींI एसओपी बनाने में सक्षम होने के लिए, हम भारतीय खेल प्राधिकरण को धन्यवाद देना चाहते हैं। सचिव महोदय ने व्यक्तिगत रूप से जेएलएन स्टेडियम की व्यवस्थाओं का निरीक्षण कियाI”

हालांकि भारत में लंबे समय तक पैरा एथलीटों की बड़े पैमाने पर उपेक्षा की गई थी, लेकिन 2016 में रियो में पैरालंपिक के बाद से चीजें बदलनी शुरू हो गई हैं। भारत ने तब तक अपना सबसे बड़ा दल भेजा था- पांच खेलों में 19 एथलीट। देश ने चार पदक जीते- दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य।

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रियो 2016 में पुरुषों की ऊंची कूद में स्वर्ण पदक जीतने वाले मरियप्पन थंगावेलु टोक्यो 2020 के लिए भारत के ध्वजवाहक होंगे। रियो में जेवलिन में स्वर्ण पदक जीतने वाले देवेंद्र झाझरिया भी टोक्यो में भारतीय दल का हिस्सा होंगे। वह पैरालंपिक में दो स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय पैरालिंपियन हैं। भारतीय रेलवे के एक पूर्व कर्मचारी, झाझरिया वर्तमान में भारतीय खेल प्राधिकरण के साथ काम कर रहे हैं। उनकी पत्नी मंजू, राष्ट्रीय स्तर की पूर्व कबड्डी खिलाड़ी हैं। भारतीय दल में शीर्ष पिस्टल निशानेबाजों सिंहराज और मनीष नरवाल सहित रिकॉर्ड 10 पैरा निशानेबाज भी शामिल हैं।

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पैरालंपिक क्या है?

पैरालंपिक खेल विकलांग एथलीटों के लिए एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता है। पैरालंपिक को शीतकालीन खेलों और ग्रीष्मकालीन खेलों में विभाजित किया जाता है, जो बारी-बारी से हर दो साल में होते हैं। पैरालंपिक एथलीट छह अलग-अलग समूहों में प्रतिस्पर्धा करते हैं- एंप्टी, सेरेब्रल पाल्सी, दृश्य हानि, रीढ़ की हड्डी की चोट, बौद्धिक विकलांगता, और “लेस ऑट्रेस” (एथलीट जो बौनेपन सहित अन्य श्रेणियों में से एक में फिट नहीं होते हैं) और फिर आगे विभिन्न खेलों में विभाजित खंड के अनुसार प्रतियोगिता मे भाग लेते हैंI

कम से कम 4 पदक अपेक्षित

भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) को भरोसा है कि देश टोक्यो पैरालंपिक में कम से कम चार पदक जीतेगा।

शीर्ष पिस्टल निशानेबाजों सिंहराज और मनीष नरवाल सहित रिकॉर्ड 10 पैरा निशानेबाजों को टोक्यो 2020 खेलों के लिए नामित किया गया है। अंतिम सूची में दीपेंद्र सिंह, दीपक, सिद्धार्थ बाबू, स्वरूप महावीर उन्हालकर, आकाश, राहुल जाखड़, अवनी लेखरा, और रुबीना फ्रांसिस शामिल हैंI

स्टार भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझरिया और हाई जम्पर मरियप्पन थंगावेलु भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे। भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य खिलाड़ियों में शरद कुमार और वरुण सिंह भट्टी (सभी ऊंची कूद), अमित कुमार और धर्मबीर (क्लब थ्रो), निषाद कुमार और राम पाल (हाई जंप), सोनम राणा (शॉटपुट) शामिल हैं। नवदीप (भाला), प्रवीण कुमार (हाई जंप), योगेश कथूनिया (चक्का फेंक), विनोद कुमार (चक्का फेंक), रंजीत भाटी (भाला), अरविंद (शॉट पुट), टेक चंद (भाला)।

एकता व्यान और कशिश लकड़ा (दोनों क्लब थ्रो), भाग्यश्री जाधव (शॉटपुट), सिमरन (100 मीटर) महिला टीम का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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‘कर दे तू कमाल’- आधिकारिक थीम गीत

भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) ने 03 अगस्त को भारतीय पैरा एथलीटों के लिए आधिकारिक थीम गीत लॉन्च किया। भारतीय दिव्यांग खिलाड़ी संजीव सिंह द्वारा रचित और गाया गया गीत खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, खेल सचिव रवि मित्तल, पीसीआई अध्यक्ष दीपा मलिक और महासचिव गुरशरण सिंह द्वारा लॉन्च किया गया था। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने थीम गीत साझा करने के लिए ट्विटर का सहारा लिया।

पैरालंपिक में भारत का दावा इस बार बहुत मजबूत है, उम्मीदें बहुत बड़ी हैं। हमारे खिलाड़ियों ने भी जी-तोड़ मेहनत की है। बस, ज़रूरत है कि हम उनका मनोबल बढ़ाएँ। उन्हे साहस दें जिस तरह से हमने अपने ओलंपिक के नायकों को दिया। तब हमारे पैरालंपिक के खिलाड़ी भी स्वर्ण-वर्षा करेंगे।

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