अगर चीन ने डेपसंग नहीं छोड़ा तो भारतीय सेना ‘नकली ड्रैगन’ को चारों तरफ से घेर लेगी

भारत की चीन को आख़िरी चेतावनी, बाद में हमें दोष मत देना!

वो दौर गया जब हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा देने वालों के शासन काल में चीनी सेना भारत मॉं की भूमि पर कब्जा कर लेती थी, और जिम्मेदार लोग बगले झांकने लगते थे। आज के दौर में तो चीन के सामने भारत आक्रामक शर्तें रखने लगा है, जिसे स्वीकार करना चीन की मजबूरी बन गया है। गलवान में भारतीय-चीनी सैनिकों की हिंसक झड़प के बाद से भारतीय सेना ने लद्दाख में अपने कदम एक इंच भी पीछे नहीं किए हैं। इस आक्रामकता का ही नतीजा है कि सैन्य कमांडर स्तर की 12 वें दौर की बातचीत के बाद चीन लगभग सभी जगहों से पीछे हटने को विवश है, लेकिन डेपसांग पर चीन की जिद के संबंध में भारतीय सेना ने आक्रामक रुख अपनाते हुए कैलाश रेंज पर सैन्य तैनाती के संकेत दे दिए हैं जो कि कागजी ड्रैगन के लिए नई चुनौतीपूर्ण स्थिति पैदा कर सकता है।

पिछले वर्ष जून में संघर्ष विराम का उल्लंघन कर PLA के सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के साथ जो हिंसक झड़प की थी, उसके दुष्परिणाम आज भी चीन झेल रहा है। चीन अपनी इस गलती को तो समझ रहा है, लेकिन अकड़ के कारण भारत के सामने झुकने में अधिक समय ले रहा है। 11 बार की सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता के बाद जब 12 वें दौर की वार्ता हुई, तो चीन ने तीन में से दो विवादित जगहों पर अपने हथियार डाल दिए। कमांडर स्तर की 12 घंटे चली वार्ता के बाद चीन विवादित क्षेत्र से बिना शर्त पीछे हटने को तैयार हो गया है, लेकिन उसे उम्मीद थी कि डेपसांग को लेकर भारत कुछ नहीं बोलेगा, परंतु उम्मीद से विपरीत चीन को भारतीय सेना से नई धमकी मिल गई है।

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चीन के सैन्य कमांडरों के साथ उनके ही शहर माल्दो में हुई इस बैठक में 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पी.जी.के. मेनन और विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव शामिल थे। इस बैठक में चीन भारतीय क्षेत्र के हॉट स्प्रिंग और डोग्रा इलाके से अपने सैनिकों को पीछे हटाने केल लिए तैयार हो गया है। ध्यान देने वाली बात ये है कि लद्दाख के इस क्षेत्र में इन दोनों ही स्थानों को पेट्रोल पॉइंट 15 और पेट्रोल पॉइंट 17-अल्फा कहा जाता है, लेकिन डेपसांग के मुद्दे पर चीन अपना अड़ियल रवैया अपना रहा है। ऐसे में भारतीय अधिकारी चीन को उसके ही शहर में धमकी दे आए हैं कि यदि डेपसांग से भी चीन पीछे नहीं हटा, तो भारत अपनी सेना कैलाश रेंज में भी तैनात करेगा।

भारत की ओर से दी गई ये धमकी इस बात का पर्याय है कि डेपसांग भारत के लिए अतयंत महत्वपूर्ण है। भारतीय सेना को पेट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 11-अल्फा, PP-12 और PP-13 पर पेट्रोलिंग करने से चीनी पीएलए रोक रहे हैं। भारत की आक्रामकता का एक कारण ये भी है कि देश की सबसे ऊंची हवाई चोटी दौलत बेग ओल्डी और काराकोरम रेंज से डेपसांग की दूरी मात्र 30 किलोमीटर ही है। ऐसे में भारत के लिए इस इलाके में चीन चुनौती खड़ी कर सकता है। लगभग सभी मुद्दे हल होने के बाद भी चीन डेपसांग को नहीं छोड़ना चाहता है, जो कि भारत के प्रति उसकी बदनीयती को प्रतिबिंबित करता है।

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इसके विपरीत भारत का कैलाश रेंज पर सेना तैनात करने का ऐलान चीन के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है, क्योंकि इस तैनाती से भारतीय सेना की पहुंच चीन के वेस्टर्न हाईवे तक हो जाएगी, जो चीन के लिए ही खतरा बनेगा। भारतीय सेना का आक्रामक रवैया चीन के लिए एक बड़ी मुसीबत इसलिए भी है, क्योंकि भारत पहले ही हाल ही में फ्रांस से खरीदे गए लड़ाकू विमान राफेल की खेप तिब्बत-चीन सीमा में तैनात कर चुका है। ऐसे में अब यदि कैलाश में सेना का जमावड़ा बढ़ता है, तो चीन के लिए दोहरी मार हो सकती है।

चीन  पिछले 13 महीनों से भारत से मुंह की ही खा रहा है। भारतीय सेना की तैनाती और उसके बल के आगे चीनी पीएलए के सैनिक बौने साबित हुए हैं। इतना ही नहीं, भारत सरकार लगातार यहां सड़क निर्माण से लेकर हवाई यातायात को मजबूत करने के लिए आधारभूत ढांचा विकसित कर रही है। हाल में लद्दाख में 37 आधुनिक हैलीपैड और 4 एयरपोर्ट्स बनाने का मोदी सरकार का प्लान भी इसका संकेत देता है, कि इस इलाके में थल और वायु दोनों सेनाओं को मजबूत करने का काम जोरों पर है। चीन की एक नापाक हरकत उसे नई मुश्किलों में डाल सकती है।

सैन्य क्षमता मजबूत करने और मोदी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण चीन के लिए मुसीबतें खड़ी हो रही हैं। यही कारण है कि अब वार्ता के दौरान भारतीय कमांडर और अधिकारी पहले की तरह चीन की शर्तें मानने की बजाए उसके सामने शर्तें रखकर पीएलए को पीछे हटने पर मजबूर कर रहे हैं।

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