कोरोना की मार के बाद अब कुलांचे भरने जा रही है भारतीय अर्थव्यवस्था, आंकड़ें यही बताते हैं

देश का निर्यात पिछले 9 वर्षों के सर्वश्रेष्ठ स्तर पर पहुंच गया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था

कोरोनावायरस के कारण देश की जीडीपी जब नकारात्क आंकड़ों में चली गई थी, तो उस दौरान देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई अर्थशास्त्रियों ने कहा था कि देश की रिकवरी ‘V’ शेप में होगी। उनकी बातों को तवज्जों न देते हुए विपक्ष लगातार अर्थव्यवस्था पर सवालों की झड़ी लगाकर बेतुकी बयानबाजी करता रहा। इसके विपरीत अब सरकार द्वारा जारी किए गए नए आंकड़े देश की आर्थिक स्थिति में हो रही सुधार के संकेत दे रहे हैं। इन आंकड़ों में सबसे महत्वपूर्ण निर्यात में हुई वृद्धि है। सरकार का कहना है कि देश का निर्यात पिछले 9 वर्षों के सर्वश्रेष्ठ स्तर पर पहुंच गया है, जो संकेत है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में जल्द ही कुछ बड़े सुधार देखेंगे।

कोरोनावायरस के कारण एक समय वैश्विक व्यापार ठप पड़ गया था, लेकिन दो वर्षों बाद जैसे-जैसे कोरोना वैश्विक स्तर पर कमजोर हो रहा है, वैसे-वैसे भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी पर आ रही है। ऐसे में अब सबसे अधिक फायदा उन देशों को हो रहा है, जो कि प्रमुख चीजों का निर्य़ात करते हैं, और ये फायदा भारत के हिस्से में भी आ रहा है। भारत के आयात में 2019 के आंकड़ों से भी अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जैसे ही वस्तुओं की खपत बढ़ी है, वैसे-वैसे भारत की निर्यात दर पिछले 9 वर्षों के सर्वाधिक आंकड़े पर चली गई है।

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केन्द्रीय उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक जुलाई महीने में देश का वाणिज्यिक निर्यात करीब 35.17 अरब डॉलर का हो गया है। वहीं साल 2019 की तुलना में निर्यात के ये आंकड़ 34 प्रतिशत बढ़ गए हैं। साल 2020 जुलाई की तुलना में ये निर्यात करीब 48 प्रतिशत की वृद्धि प्राप्त कर चुका है, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद सकारात्मक संकेत दे रहा है। मुख्य बात ये भी है कि इस वर्ष गैर पेट्रोलियम वस्तुओं का निर्यात करीब 29 अरब डॉलर का है जो कि पिछले साल की अपेक्षा 34.39 प्रतिशत और 2019 से 30 फीसदी की वृद्धि को प्रतिबिंबित करती है।

वहीं सबसे खराब स्थिति में जा चुके देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी 14 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। जून 2020 में भारतीय बाजार में 11,30,744 वाहनों की बिक्री हुई थी किन्तु जून 2021 में ये बिक्री 12,96,807 तक पहुंच गई, जो कि 14.86 प्रतिशत की कुल वृद्धि को दर्शाता है। जून 2021 में पैसेंजर वाहनों के 2,31,633 यूनिट बिके, जबकि जून 2020 में 1,05,617 यूनिट ही बेचे गए थे। इसके विपरीत दो पहिया वाहनों की बात करें तो जून 2021 में 10,55,777 दोपहिया वाहन बिके थे और जून 2020 में 10,14,827 दोपहिया वाहनों का विक्रय हुआ था।

चार पहिया में कारों के बिक्री का उल्लेख हो तो जून 2021 में 1,21,379 कारों की बिक्री हुई, जबकि जून 2020 में मात्र 55,497 कारों की ही बिक्री हुई थी। इसी तरह से तीन पहिया वाहनों में, यूटिलिटी वाहनों में और वैन्स की बिक्री में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। महत्वपूर्ण बात ये भी है ऑटोमोबाइल सेक्टर की स्थिति पिछले तीन चार वर्षों में सबसे बुरी थी, जो कि अब जुलाई 2021 के आंकड़ों के दम पर उबरने के संकेत दे रही है।

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कुछ इसी तरह देश के एफएमसीजी सेक्टर की दो प्रमुख कंपनियों को भी 2019 की अपेक्षा अब एक बड़ा फायदा देखने को मिला है। हिन्दुस्तान यूनिलिवर से लेकर आईटीसी तक के मुनाफे में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार एफएमसीजी सेक्टर के अंतर्गत आने वाली बड़ी कंपनियां 2021 में इतने मुनाफे में हैं कि वो 2019 की जून तिमाही के अपने राजस्व स्तर को पार करने वाली हैं।

मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल से जून की तिमाही के बीच देश की 18 प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों के राजस्व में करीब 19 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

इसी तरह देश में पेट्रोल डीजल से लेकर रसोई गैस तक की खपत के आंकड़ो में विशेष बढ़ोत्तरी देखी गई है, जो कि इस बात का परिचायक है, भारतयी अर्थव्यवस्था की रेल धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है। यही नहीं बिजली की खपत भी बढ़ी है। आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2020 में बिजली की खपत 112.14 अरब यूनिट थी जो जुलाई 2021 में बढ़कर 125.51 अरब यूनिट हो गई है।

इसके इतर देश के निर्यात का बढ़ना देश के लिए विशेष है, क्योंकि इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडारण में भी वृद्धि होने के संकेत मिलते हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर जीडीपी के जो नए आंकड़े सामने आएंगे, वो देश के लिए सकारात्मक होगे, जिनकी भविष्यवाणी कई वैश्विक संस्थाओं ने भी की थी।

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