विरासत में मिली चीजों को अगली पीढ़ियां अकसर नहीं संभाल पाती हैं, क्योंकि उस विरासत के पीछे लगी मेहनत का कोई अंदाजा नहीं होता, कुछ ऐसा ही हाल देश की कई राजनीतिक पार्टियों के अगली पीढ़ी के नेताओं का भी है, जिन्हें राजनीतिक करियर थाली में सजाकर दिया गया है। वर्तमान में कभी बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी रही आरजेडी का हाल भी कुछ ऐसा ही है। लालू प्रसाद यादव ने जातिगत और मुस्लिम तुष्टीकरण की राणनीति के दम पर बिहार में आरजेडी को एक प्रमुख पार्टी बनाया था, किन्तु लालू के मुख्यधारा की राजनीति से बाहर जाने का नतीजा ये है कि दोनों बेटों अर्थात तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच टकराव की स्थिति है, जिसका हालिया उदाहरण पोस्टर वॉर को लेकर सामने आया है।
लालू के बेटे तेजस्वी और तेज प्रताप के बीच तब से टकराव है, जिस दिन से लालू बिहार की मुख्यधारा की राजनीति से बाहर हुए हैं। कभी दोनों के समर्थकों के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिलती है, तो कभी पार्टी में प्रमुखता को लेकर मुद्दे उछलते हैं।अब एक बार फिर दोनों के बीच पोस्टर से संबंधित कोल्ड वॉर देखने को मिल रहा है। राजधानी पटना में आरजेडी के पोस्टरों में केवल तेज प्रताप यानी लालू के बड़े बेटे के पोस्टर लगे हैं, किन्तु पोस्टरों से तेजस्वी यादव पूरी तरह गायब हैं, जो कि दोनों के बीच किसी नए शीत युद्ध का संकेत दे रहे हैं।
महत्वपूर्ण बात ये भी है कि पटना की सड़कों से लेकर आरजेडी के दफ्तर तक में जो पोस्टर लगे हैं उनमें पूर्व सीएम राबड़ी देवी के अलावा लालू यादव की तस्वीरें तो हैं, लेकिन तेजस्वी गायब हैं। ऐसा नहीं है कि ये किसी एक विशेष पोस्टर के साथ है, अपितु सभी पोस्टरों के साथ ऐसी ही स्थिति है। दरअसल, इसको लेकर खबरें हैं कि तेज प्रताप ने पार्टी के छात्र संघ की बैठक बुलाई थी, और इसीलिए तेज प्रताप के समर्थन में पटना को पूर्णतः आरजेडी और तेज प्रताप के पोस्टरों से पाट दिया गया है, किन्तु तेजस्वी कहीं नहीं हैं।
महत्वपूर्ण बात ये भी है कि पटना की सड़कों पर लगे इन पोस्टरों पर लालू यादव और राबड़ी देवी मौजूद हैं। इतना ही नहीं, यहां तक की छात्र आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष आकाश यादव तक की तस्वीर लगी हुई है, किन्तु पार्टी के दूसरे बड़े नेता तेजस्वी को शायद किसी मंशा के तहत नजरंदाज किया गया है। तेजस्वी के साथ इस रवैए को तेज प्रताप की बदले की नीति माना जा रहा है, क्योंकि जून में पार्टी के स्थापना दिवस के मौके पर पार्टी के जो पोस्टर लगाए पटना की सड़कों और दफ्तरों में लगाए गए थे, उनमें तेज प्रताप की तस्वीर गायब थी। ऐसे में अब तेज प्रताप ने छात्र संघ की बैठक के दौरान पोस्टर वॉर को आगे बढ़ा दिया है। हालांकि, दोनों के बीच का ये शीत युद्ध आरजेडी के लिए आंतरिक तौर पर एक बड़ा खतरा है।
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लालू प्रसाद यादव की असक्रियता के कारण अब राज्य में उनके दोनों बेटे एक्टिव हैं, लेकिन दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई जारी है, जिसमें कभी तेज प्रताप सांकेतिक वार करते हैं तो कभी तेजस्वी; लेकिन इन सभी के बीच सबसे अधिक नुकसान आरजेडी को हो रहा है। दोनों युवा नेताओं के बीच टकराव होने के कारण पार्टी भी दो भागों में बंट गई है। ध्यान देने वाली बात ये भी है लालू यादव भी इस मुद्दे पर बीच-बचाव नहीं कर पा रहे हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि अब आरजेडी में लालू का वर्चस्व भी खत्म हो गया है।
ऐसें में दोनों बेटों के बीच बंटी पार्टी के कारण आरजेडी की बर्बादी की संभावनाएं बनने लगी हैं, और ये भी माना जा रहा है कि बहुत ही जल्द वो समय देखने को मिल सकता है कि आरजेडी लालू के दो बेटों के कारण ही दो फाड़ होकर बंट जाएगी। ऐसे में ये भी कहा जा सकता है कि भले ही 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया हो, किन्तु आरजेडी की वर्तमान स्थिति ये संकेत दे रही है कि 2025 आते-आते दोनों प्रमुख नेताओं की लड़ाई के कारण दो गुटों में बंटती दिखाई दे रही आरजेडी बर्बाद हो सकती है।