‘हिंदुओं का पलायन होगा’, कांग्रेस के बाद अब केजरीवाल करदाताओं के पैसों से बनवा रहे हैं हज हाउस

‘अगर हज हाउस बना तो द्वारका शाहीन बाग बन जाएगा’

सेक्टर 22 हज हाउस

दिल्ली के द्वारका सेक्टर 22 में दिल्ली सरकार हज हाउस बनवा रही है। हर साल 20 से 30 हजार हज यात्री दिल्ली से जाते हैं। इस हज हाउस को लेकर 360 खापों ने विरोध जताया है। शुक्रवार 6 अगस्त को सेक्टर 22 के भरथल चौक पर खाप से जुड़े लोगों ने प्रदर्शन किया। भाजपा भी लोगों की आवाज़ उठाने को प्रदर्शन मे शामिल हो गयी है। भाजपा का कहना है कि इसे खापों की इच्छा के खिलाफ बनवाया जा रहा है। भाजपा ने इस जमीन पर अस्पताल या स्कूल खोलने की मांग की है।

दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा, ‘जिस तरह से अपने राजनीतिक लाभ के लिए केजरीवाल मनमानी कर रहे हैं, उसको हम किसी भी सूरत में नहीं होने देंगे। जहां हज हाउस बनाने की बात हो रही है, वहां मुस्लिम समुदाय के लोग नहीं रहते, जो रहते हैं, उनकी भी चाहत है कि यहां हज हाउस न बनकर स्कूल, कॉलेज या अस्पताल बने। हज हाउस बनाने का क्या मतलब है? खुद को दिल्ली का ‘मालिक’ मानकर बैठने वाले केजरीवाल को समझना चाहिए कि दिल्ली के असली मालिक गांव-देहात में रहने वाले मध्यम  वर्गीय लोग और मजदूर लोग हैं।’

प्रदर्शन करने वालों में बीजेपी के पूर्व विधायक सत्य प्रकाश राणा भी शामिल हैं। उनका कहना है कि आखिर सेक्टर 22 पर ही क्यों हज हाउस बनाया जा रहा है। यहां मुस्लिमों की आबादी नहीं है। यहां पास में ही लड़कियों का कॉलेज बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट के आसपास बहुत जगह खाली है जहां हज हाउस बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम हज हाउस नहीं बनने देंगे। दिल्ली सरकार 100 करोड़ रुपए लगाना चाहती है आखिर वो इससे अस्पताल, कॉलेज, स्कूल क्यों नहीं बनवाती?

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वहीं, आम आदमी पार्टी ने इस विरोध को राजनीतिक करार दिया है। दरअसल पिछले 13 साल से हज हाउस के लिए यहां अलॉट किया गया 5,000 वर्ग मीटर का प्लॉट खाली पड़ा है। इसकी एक तरफ की बाउंड्री वॉल गिराई जा चुकी है। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने वर्ष 2008 में दिल्ली के द्वारका इलाके में एक बहुआयामी हज हाउस बनाने का ऐलान किया था।

उन्होंने सात जुलाई, 2008 को इस हज हाउस प्रोजेक्ट का फाउंडेशन स्टोन रखा था, लेकिन उस समय भी शिवसेना ने इसका विरोध किया था और आधारशिला व फाउंडेशन स्टोन को तोड़ दिया गया है। अभी भी यहां मौजूद काले रंग का यह पत्थर शीला दीक्षित के प्रयास की गवाही दे रहा है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह विवाद पुराना है।

वहीं, मटिया महल क्षेत्र से विधायक शोएब इकबाल ने भी हज हाउस को द्वारका ले जाने का विरोध किया था। जिसके चलते यह पूरा प्रोजेक्ट लंबित होता चला गया और 2013 तक मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान हज हाउस का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।

भाजपा ने कहा है कि दिल्ली सरकार, वक्फ बोर्ड की खाली पड़ी जमीनों पर हज हाउस बनाए। यह विरोध प्रदर्शन तब किया गया जब ऑल द्वारका रेजिडेंट्स फेडरेशन ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिखकर हज हाउस के निर्माण के लिए आवंटित भूमि को रद्द करने का आग्रह किया था।

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ऑल द्वारका रेजिडेंट वेलफेयर फेडरेशन की ओर से दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल को एक खत लिखा गया था जिसमें उनसे सेक्टर 22 में हज हाउस के अलॉटमेंट की जगह को कैंसिल करने की अपील की गई। फेडरेशन की ओर से लिखे गए विवादित पत्र में कहा गया है कि अगर यहां हज हाउस बना तो इलाके से हिंदुओं का पलायन होगा। यह इलाका शाहीन बाग बन जायेगा। यहां दंगे भड़क सकते हैं और ट्रैफिक की समस्या पैदा होगी। इसके बाद इस मुद्दे पर विवाद गहरा गया।

हज हाउस के निर्माण के विरोध में प्रदर्शन करने पर कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के कोविड-19 से संबंधित दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए यह मामला दर्ज किया गया है।

इस मसले को लेकर हिंदू संगठनों ने जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हम केजरीवाल सरकार को चुनौती दे रहे हैं कि वो सेक्टर 22 में हज हाउस ना बनाएं। आने वाले समय में यह मुद्दा दिल्ली की राजनीति में और गरमाने वाला है।

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