महाकालेश्वर मंदिर परिसर से निकला 2100 साल पुराना रहस्य, इतिहास में जुड़ेगा एक नया अध्याय

हर हर महादेव!

महाकालेश्वर मंदिर

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के बारे में  कौन नहीं जानता? भगवान शिव के पावन ज्योतिर्लिंगों में ये एक अहम स्थान रखता है। शिप्रा नदी के तट पर स्थित ये मंदिर हाल ही में फिर चर्चा में आया है, क्योंकि मंदिर के विस्तारीकरण से संबंधित कार्य में खुदाई के दौरान कई अवशेष निकल के आए हैं, जिससे न केवल मंदिर की भव्यता स्पष्ट होती है बल्कि भारत के इतिहास में संभवत: एक नया अध्याय भी जुड़ सकता है।

दरअसल, हाल ही में महाकालेश्वर मंदिर के विस्तारीकरण कार्य के समय कुछ अवशेष सामने आए। ये सभी अवशेष 1000 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो उज्जैन के प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में विस्तारीकरण का कार्य कई महीनों से चल रहा है। इसी दौरान मंगलवार (10 अगस्त 2021) को खुदाई के दौरान एक विशाल शिवलिंग और भगवान विष्णु की प्रतिमा मिली। यही नहीं, मंदिर के दक्षिणी भाग में जमीन से लगभग 4 मीटर नीचे एक प्राचीन दीवार भी मिली है, जो लगभग 2,100 साल पुरानी मानी जा रही है। पुरातत्व विभाग की टीम द्वारा इस शिवलिंग की जाँच की जा रही है, जिसके बाद यहाँ स्थित प्राचीन मंदिर से जुड़े रहस्य को सुलझाया जा सकेगा।

न्यूज 18 के रिपोर्ट के अंश अनुसार,

“आगे की तरफ चल रही खुदाई के दौरान एक बड़े शिवलिंग का भाग भूगर्भ में दिखाई दिया। जब धीरे-धीरे खुदाई की गयी तो शिवलिंग का आधार-स्तम्भ बाहर आ गया। इसकी सूचना मंदिर प्रशासन के अधिकारियों को मिली तो उन्होंने खुदाई वाले स्थान पर पहुंच कर फिलहाल शिवलिंग को चादर से ढांक दिया है। इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग के शोध अधिकारी दुर्गेंद्र सिंह जोधा को दी गयी है। इस स्थान पर अब आगे पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में खुदाई कर शिवलिंग निकाला जाएगा।

पुरातत्व अधिकारी रमेश यादव ने बताया कि आज टीम के सदस्य उज्जैन पहुंचेंगे उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। 30 मई को महाकाल मंदिर के आगे के भाग में खुदाई के दौरान माता की प्रतिमा और स्थापत्य खंड सहित कई पुरातत्व अवशेष मिले थे। उन पर पुरातत्व विभाग का शोध जारी है। महाकाल मंदिर विस्तारीकरण खुदाई में निकले 11 वीं शताब्दी के 1000 वर्ष पुराने परमार कालीन मंदिर का ढांचा पूरा साफ़ साफ बाहर दिखाई देने लगा था।”

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मीडिया के सूत्रों के अनुसार, महाकाल मंदिर के विस्तारीकरण के कार्य के दौरान मंदिर के उत्तरी हिस्से में 11वीं-12वीं शताब्दी का मंदिर जमीन के नीचे दबा हुआ पाया गया है, जिसमें स्तम्भ खंड, शिखर के भाग, रथ का भग, तथा भरवाई कीचक ये सब शामिल हैं। इसके अलावा महाकाल मंदिर के दक्षिणी भाग में जमीन से 4 मीटर नीचे एक प्राचीन दीवार मिली है, जिसकी आयु  2,100 वर्ष से अधिक मानी जा रही है। मंदिर की वास्तुकला और कलाकारी काफी सुंदर बताई जा रही है। हालाँकि, मंदिर के भूमिगत होने के विषय में फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है।

अब प्रश्न यह है कि कैसे इस मंदिर के अवशेष भारत और भारतीय सभ्यता के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ सकते हैं? कारण बहुत सरल है – जिस 2100 वर्ष पुराने प्राचीन दीवार के अवशेष मिले हैं, उससे ये भी पता चल सकता है कि महाकालेश्वर मंदिर की वास्तव में स्थापना कब हुई थी। महाकालेश्वर मंदिर भगवान महादेव के सबसे अहम ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है, और सांस्कृतिक रूप से ये भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे में इन अवशेषों पर अनुसंधान से भारत को सांस्कृतिक रूप से बहुत लाभ होगा।

इससे क्या सामने आएगा? इतने प्राचीन अवशेष सामने पर इतना तो स्पष्ट है महाकालेश्वर मंदिर का इतिहास बहुत ही विस्तृत है, जिसके लिए बहुत गहन अनुसंधान की आवश्यकता है। यदि इन अवशेषों के शोध में कुछ ऐसा भी सामने आया, जिससे प्राचीन भारत के इतिहास के बारे में  एक नया अध्याय हमें ज्ञात हो सके, तो ये ना केवल अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, बल्कि भारत के सांस्कृतिक इतिहास के दृष्टिकोण से लाभकारी भी होगा।

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