मुगलों के विरुद्ध सिख समाज के गुरुनानक देव से लेकर गुरु तेगबहादुर सिंह ने अनेकों युद्ध लड़े, लेकिन अब पाकिस्तान में उन्हीं मुगलों के वंशजों के साथ खालिस्तानी सिख दोस्ती कर चुके हैं, क्योंकि उनका मुख्य मुद्दा भारत विरोध का है। ऐसे में ये लोग मुस्लिम-सिख एकता की नौटंकी करते रहते हैं। 2020 के शाहीन बाग के धरने से लेकर पिछले दस महीनों से चल रहे किसान आंदोलन तक में मुस्लिम-सिख एकता का प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है। इस अधिप्रचार (Propaganda) में ये लोग इतना आगे निकल गए हैं कि अब अपने महान पूर्वजों की स्मृतियों के साथ हो रहे अपमान तक पर चुप रहते हैं, इसका एक बड़ा उदाहरण पाकिस्तान के लाहौर शहर में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा को क्षति पहुंचाने की घटना है।
सिख समुदाय के लिए सम्मानित माने जाने पंजाब के पूर्व शासक महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा संभवतः पाकिस्तानी कट्टरपंथी मुस्लिमों को रास नहीं आती है, इसीलिए इसे आए दिन कट्टरपंथी अपना शिकार बना लेते हैं। कुछ ऐसा ही एक बार फिर हुआ है। पाकिस्तान में कट्टरपंथी एजेंडा चलाने वाली पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक के सदस्यों ने एक बार फिर महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा तोड़ दी है। साल 2019 में लाहौर में महाराजा की प्रतिमा का अनावरण किया गया था, उसके बाद से ये तीसरी घटना है कि जब महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा के साथ इस तरह का अपमान हुआ है। विशेष बात ये भी है कि तीनों बार मूर्ति को क्षति पहुंचाने वाले लोग तहरीक-ए-लब्बैक के सदस्य ही थे, जो कि उनकी महाराजा रणजीत सिंह के प्रति घृणा को दर्शाता है।
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इस घटना के सामने आने के बाद से ही इसकी भारत में आलोचना शुरु हो गई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागजी ने कहा, “इस तरह के हमले बताते हैं कि पाकिस्तान में किस तरह से अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति असहिष्णुता बढ़ रही है। पाकिस्तानी समाज में अल्पसंख्यकों के प्रतीकों के लिए कोई सम्मान नहीं है। जिस तरह से अल्पसंख्यकों से जुड़ी हिंसाएं हो रही हैं और उनके पूजा स्थल, सांस्कृतिक विरासतों को तोड़ा जा रहा है। वह चिंता की बात है और ऐसी घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। आज से ठीक 12 दिन पहले ही एक भीड़ ने रहीम यार खान इलाके में एक हिंदू मंदिर पर हमला बोल दिया था।”
स्पष्ट है कि पाकिस्तान को इस मुद्दे पर तगड़ी लताड़ लगाई गई है। ऐसे में पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की और सूचना प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी ने मूर्ति टूटने वाले वीडियों को री-ट्वीट करते हुए कहा, “शर्मनाक, अनपढ़ों का यह झुंड दुनिया में पाकिस्तान की छवि के लिए वाकई खतरनाक है।” इमरान के मंत्री चौधरी भले ही इस बार बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, किन्तु वो भी एक विवादित नेता है। ऐसे में जब फवाद चौधरी जैसे नेता इस मुद्दे को लेकर भड़क रहे हैं, तो ये समझ जाना चाहिए कि ये मामला अति गंभीर है, किन्तु इस मुद्दे पर खालिस्तानी संगठन पूर्णतः खामोश है।
#Shameful this bunch of illiterates are really dangerous for Pakistan image in the world https://t.co/TXoAXCQtWW
— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) August 17, 2021
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महाराणा रणजीत सिंह सिख समुदाय के लिए अति सम्माननीय हैं। ऐसे में सिख समुदाय के लोगों के लिए भी ये घटना किसी बड़े अपमान से कम नहीं है, किन्तु स्वयं को सिख समुदाय की आवाज और कट्टर सिख मानने वाले खालिस्तानी संगठनों या नेताओं के मुंह से इस मुद्दे पर एक भी बोल नहीं फूटा है। ये लोग भारत के खिलाफ षडयंत्र रचने में इतना अधिक आगे निकल गए हैं, कि अब अपने ही सम्मानित पुरखों की स्मृतियों के साथ होने वाले अपमान पर चुप्पी साध के बैठ जाते हैं।
मुस्लिम-सिख भाई-भाई का प्रौपेगैंडा चलाने वाले ये खालिस्तानी अब अपनी शर्म की चरम सीमा को भी पार कर चुके हैं, यही, कारण है कि इन खालिस्तनी अलगाववादियों का साथ छोड़कर धीरे-धीरे सिख समुदाय मुख्यधारा में आ रहा है।