ये गलियाँ ये चौबारा यहाँ आना न दोबारा…..के तेरा यहाँ कोई नहीं। अस्सी के दशक में प्रचलित फिल्म प्रेम रोग के इस गाने से आज पश्चिम बंगाल की राजनीति का बड़ा सरोकार जान पड़ता है। यहाँ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आज अपने अस्तित्व को खतरे में देखने लगी हैं। जहां एक ओर वो अपने पीएम बनने के सपनों को सँजो रही हैं, वहीं उनके मुख्यमंत्री बने रहने के लाले पड़ते दिख रहे हैं। वजह एक ही है, ममता की आँखों में शत्रु की तरह खटकने वाले जस्टिस कौशिक चंदा को कलकत्ता उच्च न्यायालय में स्थायी न्यायाधीश बनाया गया है। यह और नियुक्तियों की तरह ही एक सामान्य प्रक्रिया के बाद की गई नियुक्ति थी, पर बात पश्चिम बंगाल से जुड़ते ही इसके तार राजनीति से भी जुड़ गए हैं।
BREAKING: This is huge and will have massive political ripples.
Justice Kaushik Chanda, against whom, CM Mamata Banerjee had written and demanded the Nandigram case be reassigned from him, has been appointed as a permanent judge of Calcutta HC by SC Collegium. pic.twitter.com/DRyY5x67Ne
— Anindya (@AninBanerjee) August 18, 2021
दरअसल, इस वर्ष हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव और हाई-प्रोफ़ाइल सीट नंदीग्राम के नतीजों के बाद से ही नतीजों में हेरफेर का आरोप लगाते हुए ममता के केस करने तक, कौशिक चंदा से ममता के संबंध खटास और विरोधाभास से लबरेज रहे हैं। ममता ने नंदीग्राम केस की सुनवाई वाली बेंच से उन्हें अलग करने की मांग की थी। चंदा पर टीएमसी ने बीजेपी से संबंध होने के आरोप लगाए थे और कहा था कि इससे फैसला प्रभावित हो सकता है।
हालांकि, बाद में जस्टिस कौशिक चंदा ने खुद ही इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। बता दें कि TMC द्वारा इस तरह से जस्टिस चंदा के खिलाफ एजेंडा चलाने के लिए उन्होंने न्यायपालिका और एक न्यायाधीश की गरिमा और छवि को गलत ढंग से पेश करने के लिए ममता बनर्जी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।
अब जस्टिस चंदा द्वारा हाई प्रोफाइल नंदीग्राम चुनाव याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग करने के एक महीने से अधिक समय बाद यह पदोन्नति हुई है जिसमें उन्हें कलकत्ता हाईकोर्ट का सिरमौर बनाते हुए अतिरिक्त न्यायाधीश से स्थायी न्यायाधीश बना दिया गया है। यही नहीं बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है।
BREAKING: CBI to probe #bengalviolence , orders Calcutta HC.
(A moment of silence for all those who called me names) https://t.co/vqSPhWfv5z
— Anindya (@AninBanerjee) August 19, 2021
इस फैसले के बाद ममता समेत टीएमसी में खलबली और आक्रोश दोनों बढ़ गया है। अब इस खीज को क्यों न ममता के अहंकार और न्यायाधीश चंदा प्रति उनकी दुर्भावना से जोड़ा जाए, जब यह पूर्ण रूप से स्पष्ट दिख रहा है।
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बता दें कि बंगाल की तृणमूल सरकार की ओर से हिंसा की घटनाओं की सीबीआई जांच का विरोध किया गया था। ऐसे में हाई कोर्ट का यह फैसला उसके लिए एक झटके की तरह है। फिलहाल ममता या उनके नेताओं ने इस संदर्भ में खुलकर कौशिक चंदा को आड़े हाथों नहीं लिया है परंतु देर-सवेर ही पर यह टिप्पणी भी शीघ्र आ ही जाएगी।