डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर मोदी सरकार फ्रेट ट्रेनों को देने जा रही है अपनी अलग रेल लाइन

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर

PC: Bhasker

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ऐतिहासिक गलती को सही करने जा रहे है। उस गलती के ठीक हो जाने से हमारे देश के आर्थिक विकास में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा, जिस दिन डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर सामान आना जाना शुरू होगा, उस दिन से हमारे पास वैश्विक स्तर की यातायात व्यवस्था हो जाएगी।

सोमवार को सरकार द्वारा राजकोष भरने के लिए नया कदम उठाया गया था जब नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन यानी NMP की नींव रखकर 6,00,000 करोड़ रुपए का लाभ कमाने का लक्ष्य रखा गया था। सरकार ने रेलवे क्षेत्र से 150,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का मुद्रीकरण करने का फैसला किया है। रेलवे की डेढ़ लाख करोड़ की संपत्ति मुद्रीकरण योजना में 400 रेलवे स्टेशन, 90 निजी रेलगाड़ियां, 1400 किलोमीटर लम्बा रेलवे ट्रैक, 15 रेलवे स्टेडियम और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) शामिल हैं।

मुद्रीकरण योजना के तहत सूचीबद्ध संपत्तियों में भारतीय रेलवे की महत्वाकांक्षी परियोजनाएं भी शामिल हैं जैसे निजी क्षेत्र द्वारा यात्री ट्रेन संचालन और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC). निजी रेल संचालन परियोजना से ₹21,642 करोड़ जुटाने की उम्मीद है, जबकि DFC से ₹20,178 करोड़ की आय होगी।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर क्या है?

अब आप सोच रहे होंगे कि यह डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) क्या बला है? ये बला नही, बल है जो देश की अर्थव्यवस्था को और सबल बनाएगा। हमारे यहां रेलवे ट्रैक पर दो प्रकार की ट्रेन चलती हैं। एक पैसेंजर ट्रेन और दूसरी मालगाड़ी है। यह दोनों एक ही प्रकार के पटरी पर चलती हैं। आपने ध्यान दिया होगा तो यह देखा होगा कि कई बार पैसेंजर ट्रेन को आगे बढ़ा दिया जाता है और मालगाड़ी को रोक दिया जाता है। मालगाड़ी में दवाइयां हो सकती है, खाने का सामान हो सकता है लेकिन वह वहीं रोक कर खड़ी कर दी जाती है। मालगाड़ी अगर सही समय पर पहुंच जाए तो उपलब्धि ही माना जाता है। अब वह दिन दूर होने वाले है।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) का मतलब है मालगाड़ी को समर्पित रेल लाइन। इस पटरी पर सिर्फ और सिर्फ मालगाड़ियां चलेंगी। ये हमारे देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत आवश्यक है जिसे पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा नजरअंदाज किया गया था, लेकिन अब उसे सुधारने के लिए पूर्व रेल मंत्री पीयूष गोयल सुधार कर गए है। वर्तमान में मालगाड़ियों को यात्री ट्रेनों की तुलना में प्राथमिकता नहीं मिलती है। एक बार पूरा होने के बाद, कम से कम 70 प्रतिशत मालगाड़ियों को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (DFCCIL) नेटवर्क पर स्थानांतरित किया जाएगा।

आधिकारिक तौर पर दुनिया का दूसरा सबसे अधिक मांग वाला मैन्युफैक्चरिंग हब बना हिंदुस्तान

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के क्या फायदे (लाभ) होंगे?

पूर्व रेलमंत्री पीयूष गोयल के अनुसार, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बेहतर कनेक्टिविटी, कम रसद लागत के साथ-साथ माल ढुलाई की गति में वृद्धि करके प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। DFC पर मालगाड़ियां 100 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलेंगी, जबकि वर्तमान अधिकतम गति 75 किमी प्रति घंटा है। इसके अलावा, मालगाड़ियों की औसत गति भी मौजूदा 26 किमी प्रति घंटे की गति से बढ़ाकर 70 किमी प्रति घंटा की जाएगी।

डीएफसी परियोजना में दो कॉरिडोर पर काम जारी है। पूर्वी DFC और पश्चिमी DFC को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफसीसीआईएल) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। वर्तमान में चल रहे कॉरिडोर की कुल लागत 81,459 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।

पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) , लुधियाना के पास साहनेवाल से शुरू होगा और पश्चिम बंगाल के दानकुनी में समाप्त होगा। 1875 रूट किलोमीटर लंबा यह डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर हरियाणा, पंजाब, बिहार, यूपी और झारखंड राज्यों से होकर गुजरेगा।

पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) उत्तर प्रदेश राज्य में दादरी से शुरू होकर मुंबई शहर में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (JNPT) तक जाएगा। 1506 रूट किलोमीटर लंबा यह DFC उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र राज्यों से होकर गुजरेगा।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की विश्व बैंक द्वारा प्रशंसा

विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में इस महत्वपूर्ण परियोजना की प्रशंसा करते हुए कहा, “भारत का ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर एक विश्व स्तरीय माल ढुलाई वाली रेलवे लाइन है जो आजादी के बाद से भारत की सबसे महत्वाकांक्षी रेलवे परियोजना का हिस्सा है। विद्युतीकृत डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर DFC रेलवे लाइन मालगाड़ियों को दोगुना भार खींचते हुए, तीन गुना तेजी से यात्रा करने की अनुमति देगी। माल की तेज, सस्ती और अधिक विश्वसनीय आवाजाही भारत की लागत को कम करने में योगदान देगी और देश को एक बाजार में बांधने में मदद करेगी। कॉरिडोर जंक्शन बिंदुओं पर औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना को भी बढ़ावा देगा जिससे भारत के सबसे गरीब, सबसे घनी आबादी वाले और कम औद्योगिक क्षेत्रों में भी विकास होगा।”

EDFC (पूर्वी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर)  पर प्रत्येक किलोमीटर लंबी मालगाड़ी ,औसतन लगभग 72 ट्रकों की जगह लेगी। यह भारत की भीड़भाड़ वाली सड़कों और राजमार्गों पर ट्रैफिक को कम करेगा, जो देश के भारी माल का 60 प्रतिशत वहन करते हैं।

भारत की UNSC के सभी स्थायी सदस्यों को चुनौती देने के बाद भी जीत दर्ज़ करने की दिलचस्प कहानी

DFC & EDFC के अन्य लाभ

सड़क पर जाम लगा कर ट्रक समस्याएं भी पैदा करते हैं और भारत में कार्बन उत्सर्जन भी करते हैं। उससे भी जरूरी है कि ट्रकों के लिए नो एंट्री का वक्त तय करना पड़ता है ताकि वह तय समय में आमजनों को परेशान न करें।

इस काम को करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का अंदाजा इस चीज से ही लगा सकते हैं कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस परियोजना के विकास पर नजर बनाये हुए हैं। उन्होंने पिछले साल दिसंबर और इस साल जनवरी में EDFC के 351 किलोमीटर के खुर्जा-भाऊपुर खंड और WDFC के 306 किलोमीटर के रेवई-मदार खंड का उद्घाटन किया था।

यह परियोजना जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA), विश्व बैंक, भारतीय सरकार के साझा सहयोग से चल रही है। दिल्ली से वाराणसी की दूरी 755 किलोमीटर है। पहले की औसत रफ्तार से ईंट दूरी को पूरा करने में लगभग 30 घण्टे लगते थे जो अब 11 घण्टे में पूरी हो जाएगी। इससे यातायात मजबूत होगा। सामान की कीमत कम होगी और रोजगार बढ़ेगा। इसी को देखते हुए सरकार ने 2030 तक 4 और फ्रेट कॉरिडोर निर्माण करने का फैसला लिया है जिसकी कुल लागत 2.17 लाख करोड़ रुपये होगी। इस काम को बहुत पहले हो जाना चाहिए था। ब्रिटिश शासन में 54000 किलोमीटर रेलवे लाइन विकसित हुई थी। बाद में 69 साल के दौरान, दर्जनों राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रेलवे मंत्रियों ने मिलकर उस 54000 किलोमीटर में 10,000 किलोमीटर जोड़ा है। यानी औसत 145 किलोमीटर प्रति वर्ष और उनमें भी रेलवे लाइन का विद्युतीकरण नहीं हुआ था। फ्रेट कॉरिडोर, दोहरीकरण, विद्युतीकरण जैसी योजनाओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतिहास की बहुत बड़ी गलती को सुधार रहे हैं।

 

Exit mobile version