जो व्यक्ति पैसे, संपदा और लोकप्रियता के लिए देश के विपरीत खड़े होने की हिम्मत रखता है, और देश का होने के बावजूद सारा जीवन देश विरोधी बातों में निकाल दिया ऐसे व्यक्ति के स्वार्थ में उठाए गए एक कदम से उसे भारत का नागरिक कहकर उसपर उपकारों की वर्षा करना बेवकूफी होगी। मोंटी पनेसर जैसे खालिस्तानी इन्हीं उपकारों को अपनाने की तैयारी में लगे हुए हैं।
भारत को अपने स्वाभिमान और उसके नागरिकों की संवेदनाओं की पूरी जानकारी है। मोंटी पनेसर जैसे खालिस्तान के उपासक को किसी भी तरह भारत आकर दो वक़्त की रोटी तोड़ने की सहमति देश में नहीं देनी चाहिए।
दरअसल, भारत में न रहते हुए भी उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाले पनेसर सात साल तक इंग्लिश क्रिकेट टीम के स्पिनर रहे, और 2006 में भारत के खिलाफ डेब्यू किया। एक बार के लिए क्रिकेट में भारत के विरुद्ध खेलने वाली बात को दरकिनार किया जा सकता है क्योंकि जब आप किसी एक देश की टीम के साथ आधिकारिक रूप से खेलते हैं तो उस देश के प्रति आपकी जवाबदेही और प्रतिबद्धता बढ़ जाती है।
वहीं, जब पनेसर का सिर्फ एक भारतीय परिवार में जन्म लेने के अलावा और कोई भी नाता भारत के साथ नहीं है तो किस हैसीयत से वो भारत को तोड़ने जैसे और भारत के टुकडे कर खालिस्तान बनाने जैसे बयान देता है ?
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पनेसर हमेशा से ही एक कट्टर खालिस्तानी समर्थक रहा है, अपने हर ट्वीट में यह व्यक्ति खालिस्तान की मांग करते दिखाई दिया है। खालिस्तान तो खालिस्तान भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर भी पनेसर ने अपनी अनर्गल बातों को ट्वीट करते हुए आंदोलन का समर्थन किया था।
अब जब कुछ दिनों पूर्व पाकिस्तान की नई नौटंकी में से एक, पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में होने जा रहे कश्मीर प्रीमियर लीग (केपीएल) से पनेसर को आमंत्रण आया तो फिरसे क्रिकेट जीवन में वापस लौटने के अवसर को देखते हुए पनेसर ने इसपर अपनी सहमति जता दी थी। उसके बाद हाल ही में बीसीसीआई ने उन सभी प्रतिभागियों को चेता दिया था कि जो भी केपीएल में भाग लेगा उसे आने वाले समय में भारत में किसी भी क्रिकेट संबंधित गतिविधि में हिस्सा लेने से BAN कर दिया जाएगा। फिर क्या था, लोभ में तनतनाए पनेसर ने सोमवार को पेशेवर और राजनीतिक कारणों का हवाला देते हुए ट्वीट करते हुए कहा कि, मैंने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर प्रीमियर लीग (केपीएल) से खुद को अलग कर लिया। इसका कारण भी देते हुए पनेसर ने लिखा कि, ‘भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा यह स्पष्ट किए जाने के बाद कि जो कोई भी इस विवादास्पद पाकिस्तानी लीग में भाग लेता है तो वह भारत में किसी भी क्रिकेट गतिविधि का हिस्सा नहीं हो सकता है। इसके कुछ घंटे बाद मैंने यह निश्चय किया है कि मैं केपीएल से कोई संबंध नहीं रखने जा रहा हूँ।’
मोंटी पनेसर ने पीओके लीग से बाहर निकलने के अपने फैसले के बारे में विस्तार से बताया और कहा कि इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) और प्रोफेशनल क्रिकेट एसोसिएशन (पीसीए) ने उन्हें केपीएल में भाग लेने के परिणामों से अवगत कराया था, जिसमें भारत का वीजा रद्द करना या क्रिकेट से संबंधित काम से इनकार करना शामिल है। पनेसर ने अपनी आगामी महत्वकांक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि, “यह खेल पत्रकारिता, प्रसारण और कमेंट्री में मेरे करियर का प्रारंभिक चरण है। मैं अवसरों की प्रतीक्षा कर रहा हूं, जिनमें भारत भी शामिल है। मैं अपने करियर को खतरे में नहीं डाल सकता और बाद के आने वाले समय में अपने लिए समस्याएं पैदा नहीं कर सकता।” बीसीसीआई ने सभी क्रिकेट बोर्ड को इसकी सूचना दी है…भारत एक बड़ा देश है जहां क्रिकेट के ढेर सारे अवसर हैं। मैं वह जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं हूं इसके अलावा, कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक राजनीतिक मुद्दा है और मैं इसके बीच में नहीं आना चाहता।’
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अब पनेसर की याचना से यह सिद्ध हो गया है कि न उसे खालिस्तान चाहिए न ही उसका किसान आंदोलन से कोई मतलब है, ‘मुझे तो बस भारत आकर अपनी आय कि चिंता करनी है।’ इन दोहरे मानदंडों के चलते मोंटी पनेसर अपनी कमाई के स्त्रोत तलाशते हुए भारत आने की योजना बनाने में जुट चुका है, जो भारत विरोधी संस्थाओं के हितों में होगा न की पनेसर भारत के उत्थान में सहभागी बनेगा, इसकी चिंता सरकारों को करनी होगी कि कोई भी संदिग्ध घुसपैठी, बांग्लादेशियों की भांति भारत में आकर अपने रोज़ी-रोज़गार कमाने में न लग जाए।