महर्षि वाल्मीकि को ‘डाकू’ बताने वाले जिहादी शायर को अब मिलेगा सबक, यूपी में लगा SC/ST एक्ट

अंदर जाएगा और जमानत भी नहीं मिलेगी!

मुनव्वर राणा वाल्मीकि

हूरों का ख्वाब देखने वाले जिहादी को जेल की चारदीवारी नसीब होती है। यह बात सच होती दिख रही है और जिहादी शायर मुनव्वर राणा भी उसी कड़ी में अब जेल की हवा खाने के लिए कभी भी जेल कूच कर सकते हैं। उन्हें बाकायदा सरकारी मेहमान बनने से अब कोई रोक नहीं सकता है। रामायण लिखने वाले महर्षि वाल्मीकि की तालिबान से तुलना कर धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में जिहादी मानसिकता के परिचायक मुनव्वर राणा के खिलाफ शुक्रवार को ST/SC एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। यानी अब उनका बेल होना भी लगभग नामुमकिन हो गया है।

दरअसल, विवादास्पद कवि मुनव्वर राणा पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा करने वाले कट्टरपंथी इस्लामी संगठन तालिबान के साथ तुलना कर हिंदुओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों के लिए मामला दर्ज किया है। मुनव्वर राणा के खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ के हजरतगंज थाने में रामायण के लेखक महर्षि वाल्मीकि की तुलना तालिबान से कर धार्मिक भावनाएं भड़काने की शिकायत वाल्मीकि समुदाय के नेता पीएल भारती द्वारा दर्ज कराई गई है।

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कुछ दिनों पहले, मुनव्वर राणा ने तालिबान की तुलना महर्षि वाल्मीकि से की थी क्योंकि उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा करने वाले कट्टरपंथी इस्लामी संगठन की कार्रवाई का बचाव किया था। टीवी एंकर दीपक चौरसिया के साथ एक साक्षात्कार में, मुनव्वर राणा ने दावा किया था, “व्यक्ति का चरित्र बदलता रहता है, रामायण लिखने के बाद वाल्मीकि भगवान बन गए, इससे पहले वह एक डाकू थे। इसी तरह, तालिबान, अभी के लिए आतंकवादी हैं और चरित्र परिवर्तन एक प्रक्रिया का हिस्सा है।”

यह एक बहुत बड़ा घातक, समाज में वैमन्सयता और टूट पैदा करने वाला बयान था जिससे दंगे भी भड़क सकते थे और यूपी में दंगे भड़काना मतलब जान माल की प्रचुर मात्रा में हानि लेकिन शासन-;प्रशासन ने कड़ी नज़र रखते हुए सब पर यथावत काबू पाने के सारे पुख्ता इंतजाम कर लिए थे।

खास बात यह है कि जो प्राथमिक दर्ज हुई है वो एससी/एसटी एक्ट के साथ IPC की धारा 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 295 ए (किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) अधिनियम के तहत वाल्मीकि समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले भारती की शिकायत पर दर्ज की गई है, जिसमें बिना शिकायत दर्ज़ किये ही गैर-जमानती गिरफ़्तारी का प्रावधान है ।

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बता दें कि, TFI ने भी पिछले दिनों मुनव्वर राणा की गिरफ़्तारी की मांग तेज करते हुई एक रिपोर्ट  की थी। इससे यह तो सिद्ध हो गया कि कानून के मामले में यूपी में कोई भी आरोपित कभी भी नप सकता है। जिस प्रकार मुनव्वर राणा ने न केवल वाल्मीकि समाज के अपितु भगवान वाल्मीकि की उपासना करने वाले हर वर्ग की आस्था का परिहास उड़ाया है, ऐसे व्यक्ति पर यथोचित और तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिए जो अब होती दिख रही है।

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