नए भारत के निर्माण के लिए रेलवे स्टेशन, ट्रेन, एयरपोर्ट और हाईवे को ‘किराए’ पर देगी मोदी सरकार

बिना सरकारी संपत्ति बेचे लाखों करोड़ कमाएगी सरकार, National Monetisation Pipeline योजना के बारे में सबकुछ जानिए।

नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन

भारत अब धीरे-धीरे आर्थिक ताकत बनने की ओर बढ़ रहा है। जहां एक तरफ सरकारी खजाने से पैसा जनता के लिए निकाला जा रहा है तो दूसरी ओर देश में स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ रही है। कारखाने और उद्योग का विकास भी तेजी से हो रहा है। सोमवार को सरकार द्वारा इसी कड़ी में नया कदम उठाया गया है जब नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन यानी NMP की नींव कल रख दी गई है। इससे सरकार को अपने ही चीजों से लगभग 6,00,000 करोड़ रुपए का लाभ होगा।

मोनेटाइजेशन का मतलब होता है मुद्रीकरण करना, यानी किसी भी ऐसी चीज जिससे पैसा कमाया जा सकता हो, वो मुद्रीकरण है। उदाहरण के लिए यूट्यूब को देखते है। यूट्यूब एक वीडियो मंच था। धीरे-धीरे उसकी लोकप्रियता बढ़ने लगी, डेटा सस्ते होने लगे, लोगों के पास संसाधन होने लगा तो यूट्यूब पर लोग आने लगे। ऐसे ही लोगों को ध्यान में रखकर यूट्यूब ने उन वीडियो पर प्रचार लगाना शुरू कर दिया और लाभ का पैसा वीडियो बनाने वाले व्यक्ति को और खुद को देने लगा। इसी प्रक्रिया को मोनेटाइजेशन कहते है।

क्या है नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन योजना?

भारत में राज्य के मालिकाना अधिकार वाली बहुत सी संपति है। राज्यमार्ग से लेकर रेलवे तक, टेलिकॉम से लेकर बिजली उत्पादन तक, सरकार के पास बस के स्वामित्व में बहुत सी चीजें है। समस्या यह है कि सरकारी सेवाओं और कार्य करने के तौर तरीकों से उस स्वामित्व वाले सम्पति से लाभ बहुत कम होता है। इसके पीछे बहुत से कारण है। कई विभागों में सरकारी नौकरी पाने के बाद लोग सुस्त हो जाते हैं और जनता के प्रति उनकी जवाबदेही तय नहीं होती है जिससे कोई भी चीज व्यवस्थित ढंग से काम करते हुए नहीं दिखती है।

सरकार ने ऐसी सभी सम्भावनाओं की ओर देखना शुरू किया है, जिससे उनके ही सम्पति से ज्यादा पैसा कमाया जा सकें। इसी संदर्भ में सोमवार को नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) योजना लाई गई है। सरकार किसी भी संपत्ति को नहीं बेचेगी, केवल उनका बेहतर तरीके से उपयोग करेगी और अधिक मूल्य अधिक उत्पन्न करेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि पूरी योजना अधिक मूल्य उत्पन्न करने और अर्थव्यवस्था के लिए संसाधनों को अनलॉक करने के लिए है। खास बात यह है कि इस योजना के तहत एसेट के मुद्रीकरण के दौरान उसका मालिकाना हक़ सरकार के पास ही रहेगा।

सरकार के अनुसार, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन को विभिन्न बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में संभावित मुद्रीकरण के लिए तैयार परियोजनाओं की पहचान के लिए रोडमैप के रूप में लाया गया है। NMP को नीति आयोग, वित्त मंत्रालय और विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर मंत्रालयों द्वारा किए गए परामर्शों, फीडबैक और सम्भावनाओं के बाद तैयार किया गया है। योजना को शुरू करते हुए नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि सरकार नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) योजना के तहत 2021-22 और 2024-25 के बीच 6,00,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का मुद्रीकरण करेगी

किस-किन क्षेत्रों में लागू किया जाएगा नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन  

अमिताभ कांत ने कहा कि नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP) योजना के तहत उड्डयन क्षेत्र से 20,800 करोड़ रुपये की संपत्ति का मुद्रीकरण किया जाएगा, जबकि 35,100 करोड़ रुपये की संपत्ति का मुद्रीकरण दूरसंचार क्षेत्र से किया जाएगा। सरकार रेलवे क्षेत्र से 150,000 करोड़ रुपये, सड़क क्षेत्र से 160,000 करोड़ रुपये और बिजली पारेषण क्षेत्र से 45,200 करोड़ रुपये की संपत्ति का मुद्रीकरण करेगी।

टेलीकॉम सेक्टर में 2.86 लाख किलोमीटर के भारतनेट फाइबर और बीएसएनएल और एमटीएनएल के 14,917 सिग्नल टावरों के मुद्रीकरण से 35,100 करोड़ रुपये देगा। गोदामों और कोयला खदानों के मुद्रीकरण से लगभग 29,000 करोड़ रुपये आने का अनुमान है। 8,154 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के मुद्रीकरण से 24,462 करोड़ रुपये और 3,930 किलोमीटर उत्पाद पाइपलाइनों को 22,504 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है।

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हवाई अड्डे के मुद्रीकरण से 20,782 करोड़ रुपये और बंदरगाहों से 12,828 करोड़ रुपये मिलेंगे। नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम और इतनी ही संख्या में क्षेत्रीय केंद्रों (बेंगलुरु और जीरकपुर में) सहित दो राष्ट्रीय स्टेडियमों को मुद्रीकृत करने से 11,450 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है।

नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत ने कहा, “पंद्रह रेलवे स्टेडियम, 25 हवाई अड्डे और 160 कोयला खनन परियोजनाओं का मुद्रीकरण किया जाएगा।” अनुमानित 1.2 लाख करोड़ रुपये में 400 रेलवे स्टेशनों, 90 यात्री ट्रेनों, 741 किलोमीटर कोंकण रेलवे और 15 रेलवे स्टेडियमों तथा कॉलोनियों को मुद्रीकृत करने की योजना है।

साभार: इंडियन एक्सप्रेसइस प्रकार के योजनाओं से राज्यों को भी जोड़े जाने की पूरी कोशिश है। राज्यों को मुद्रीकरण को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए, केंद्र सरकार ने पहले ही 5,000 करोड़ रुपये आवंटित कर दिया है। यदि कोई राज्य सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में अपनी हिस्सेदारी बेचती है, तो केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को विनिवेश का 100 प्रतिशत मूल्य प्रदान किया जाएगा।

इसी तरह कोई राज्य अगर शेयर बाजारों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की लिस्टिंग करता है, तो केंद्र सरकार उसे लिस्टिंग के माध्यम से जुटाई गई राशि का 50 प्रतिशत अलग से देगी। यदि कोई राज्य किसी संपत्ति का मुद्रीकरण करता है, तो उसे केंद्र से मुद्रीकरण से जुटाई गई राशि का 33 प्राप्त होगा।

क्यों आवश्यक है MNP 

नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (NMP), नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (NIP) के साथ काम करेगी। सरकार NIP के लिए 102 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है, यह समझदारी भरा कदम माना जाएगा कि उस निवेश किये पैसों से पैसा कमाया जा सके ताकि सरकारी खजाने को लाभ हो। उसी पैसों से फिर देश की जनता के लिए काम किया जाएगा। भारत अब पूंजी बढ़ाने की ओर ध्यान दे रहा है।

पहले भी कई बार यह कहा गया है कि भारत को अभी बहुत सारे पैसों की आवश्यकता है। देश में आय कम है। समाजवादी नीतियों के चलते ही आज देश में इस प्रकार के हालात हैं। आर्थिक विकास के लिए पूंजीवादी व्यवस्था के तर्क ही सही लगते है। समाजवादी व्यवस्था के चलते ना सड़कों का निर्माण हो रहा था, न संसाधनों का, क्योंकि उस वक्त सबको खुश रखने का प्रयास किया जाता था। आज विश्वस्तरीय सड़क बन रहे हैं। बिजली मिल रही है। सूचना क्रांति की भी नीवं इसी सरकार द्वारा रखी गई है। सरकार द्वारा लिया गया यह कदम सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है जिसमें भविष्य की नींव रखी जा रही है। भारत को वेनेजुएला नहीं बनना था, भारत को सिंगापुर बनना है जहाँ बढ़िया इंफ्रास्ट्रक्चर है, जहां सरकार की प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर जवाबदेही तय हो। जहां हर चीज आम आदमी के अनुसार हो और हर चीज लोगो की पहुँच में हो। उसके लिए जरूरी है कि निवेश किया जाए और निवेश किये गए जगहों से फिर खजाना भरा जाए ताकि फिर निवेश हो सके।

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