मुस्लिमों की ट्रोलिंग पर NDTV ने टेके घुटने तो टाइम्स नाउ और हिंदुस्तान टाइम्स ने ले लिए मजे

NDTV की ट्रोलिंग ही आज की ख़बर है।

एनडीटीवी मुस्लिम फोटो

एनडीटीवी के दोहरे मापदंड किसी से छिपे नहीं हैं। एनडीटीवी पर वामपंथियों और कांग्रेसियों का एजेंडा चलाने के आरोप लगते रहे हैं। इसके साथ ही इस मीडिया संस्थान पर हिंदुओं को अपमानित करने के आरोप भी लगातार लगते रहते हैं। वैसे भी हिंदुओं के त्योहार हो, सनातन धर्म की कोई परंपरा हो या फिर कोई भी सनातनी मान्यता, एनडीटीवी सनातन को अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोड़ता। निष्पक्षता का ढोंग रचने वाले एनडीटीवी की पोल हम पहले भी कई बार खोल चुके हैं। हम आपको सबूतों के साथ कई बार बता चुके हैं कि कैसे एनडीटीवी एक तरफा अभियान चलाता है। अब एक और नए मामले ने एनडीटीवी की पोल खोलकर रख दी है। कोरोना वायरस से जुड़े अपडेट पर एनडीटीवी ने एक मुस्लिम की फोटो इस्तेमाल की बस फिर क्या था कट्टरपंथियों ने एनडीटीवी की ट्रोलिंग शुरू कर दी।

एनडीटीवी ने देखा कि धर्म विशेष के लोग नाराज हो रहे हैं तो उसने मुस्लिम वाली फोटो हटा दी। इसके बाद से लोग एनडीटीवी पर जोरदार हमला बोल रहे हैं। आम जनता तो छोड़िए दूसरे मीडिया संस्थान ही एनडीटीवी की इस कायरता के लिए उसे अपनी-अपनी शैली में ट्रोल कर रहे हैं।

शुक्रवार को एनडीटीवी की ख़बर में बताया गया था कि भारत में पिछले 1 दिन के मुकाबले कोरोना के 4% ज्यादा मामले आए हैं और नए मामलों की संख्या 44,643 है। प्रतीकात्मक तस्वीर के तौर पर एक मुस्लिम व्यक्ति की तस्वीर थी, जो कोरोना टेस्ट करा रहा था।

इस तस्वीर को इस्लामी चरमपंथियों ने मुस्लिमों को बदनाम करने की साज़िश करार दिया और पूछा कि आखिर कोरोना की खबर में मुस्लिम व्यक्ति की फोटो क्यों लगाई गई? चरमपंथी शरजील उस्मानी तो सीधा-सीधा एनडीटीवी को धमकाने पर उतर आया, और फलस्वरूप एनडीटीवी ने मुस्लिम व्यक्ति की फोटो ट्वीट डिलीट कर दिया।

 

एनडीटीवी ने तो मुस्लिम वाली फोटो ट्वीट डिलीट कर दिया, लेकिन इसके बाद टाइम्स नाउ की भी कोरोना पर रिपोर्ट सामने आई। जहां उन्होंने कोविड के बारे में अपडेट देते समय एक मुस्लिम महिला की फोटो को प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया। आम तौर पर हिंदुस्तान टाइम्स को वामपंथी अखबार माना जाता है, लेकिन उसकी वेब रिपोर्ट में भी मुस्लिम महिला की ही फोटो लगी हुई है।

हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर में यह फ़ोटो लगी है।

 

इसको लेकर सोशल मीडिया पर विभिन्न यूजर्स ने अपनी-अपनी शैली में प्रतिक्रिया दी। शरजील उस्मानी पर तंज कसते द स्किन डॉक्टर नामक यूजर ने पोस्ट किया, “रिपोर्ट में इस इमेज को टाइम्स नाउ में किस पत्रकार ने यूज करने की हिम्मत की? अगर कर्मचारी चाहें तो बता सकते हैं। इनबॉक्स हमेशा बंद रहते हैं”

एक यूज़र ने पोस्ट किया, “गर्दा उड़ा दिए मरदे आप”

एक यूजर ने तो शरजील उस्मानी की खिंचाई करते हुए उसे चुनौती दी, “शरजील भाई धमकी दो!”

https://twitter.com/empty6789/status/1424634533991698432

नेहा नामक एक यूजर ने स्पष्ट ट्वीट किया, “शरजील भाई, किस-किस का मुंह बंद करोगे, एक डिलीट हुआ तो क्या 1000 नए ट्वीट करेंगे, यह नया भारत है”

 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि मीडिया के लिए हिंदुओं और मुसलमानों के बारे में कवरेज करने के मामले में अलग अलग मापदंड होते हैं। जब कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में दस्तक दी थी, तभी इसका सबसे वीभत्स और निकृष्ट रूप हमें देखने को मिला था।

अक्सर हमने देखा है कि कई मीडिया संस्थान शायद इसीलिए मौलानाओं द्वारा किए गए अपराधों में भी पुजारियों व साधु-संतों की प्रतीकात्मक तस्वीर डाल देते हैं। फकीरों को तांत्रिक बताते हैं क्योंकि उन्हे पता है कि हिन्दू सहिष्णु हैं और अपना अपमान होते हुए देख कर भी वे सिर्फ विरोध भर ही करते हैं।

दूसरी तरफ इस्लामी चरमपंथियों के आगे इनके पास ‘भीगी बिल्ली’ बनने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। जिस प्रकार से एनडीटीवी को मुस्लिम वाली फोटो पोस्ट डिलीट करना पड़ा, वो इस दोहरे मापदंड का एक प्रत्यक्ष उदाहरण है।

हालांकि एनडीटीवी जैसे वामपंथी की हिपोक्रेसी पर अब मीडिया के अन्य चैनल एवं सदस्य उसके मजे ले रहे हैं। जब हिंदुस्तान टाइम्स जैसा न्यूज पोर्टल ऐसे समय में भी अपनी वेब रिपोर्ट से मुस्लिम वाली फोटो नहीं हटा रहे हैं तो आप भली-भांति समझ सकते हैं कि वे किसे ट्रोल कर रहे हैं।

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