Covaxin को लेकर जानबूझकर झूठ फैलाने वाले NDTV के श्रीनिवासन जैन को जेल में बंद कर देना चाहिए

ये पत्रकार एजेंडे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं!

श्रीनिवासन जैन कोवैक्सिन

एनडीटीवी के पत्रकार श्रीनिवासन जैन कितने झूठे और एजेंडावादी है, इसपर कोई विशेष शोध करने की आवश्यकता नहीं। परंतु इस बार वे अपनी सीमाएँ लांघ गए हैं। मोदी सरकार को नीचा दिखाने के लिए श्रीनिवासन जैन ने कोवैक्सिन से जुड़ी अफवाह फैलाई, परंतु वह अफवाहें उन पर ऐसी भारी पड़ी हैं, कि उन्हें न सिर्फ अपना भ्रामक ट्वीट डिलीट करना पड़ा, बल्कि माफी के साथ स्पष्टीकरण भी देना पड़ा है। हालांकि, उनके द्वारा फैलाई की फेक न्यूज के मामले को ऐसे ही जाने देना गलत होगा, क्योंकि ये अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में सरकार को इस मामले की गंभीरता को समझते हुए पत्रकार श्रीनिवासन जैन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उन्हें सबक के तौर पर जेल में डाल देना चाहिए।

अब श्रीनिवासन जैन ने कोवैक्सिन को लेकर ऐसी भी क्या अफवाह फैलाई, जिससे सोशल मीडिया पर बवाल मच गया? आखिर क्यों श्रीनिवासन जैन के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई अवश्यंभावी है? दरअसल, श्रीनिवासन जैन ने कोविड वर्किंग ग्रुप के चीफ डॉ. एन के अरोड़ा के साथ साक्षात्कार किया, जहां पर उन्होंने डॉक्टर अरोड़ा के बयानों के आधार पर कोवैक्सिन की विश्वसनीयता को लेकर भ्रामक Tweet किया।

इस साक्षात्कार में डॉक्टर अरोड़ा ने कोवैक्सिन के कुछ Batches की गुणवत्ता पर प्रश्न उठाया, जिन्हें इस्तेमाल के लिए बाहर नहीं भेजा गया था। लेकिन श्रीनिवासन जैन ने अपने ट्वीट में इस बात को बड़ी सफाई गलत तरह से चित्रित करते हुए लिखा था, ‘कल वैक्सीनेशन टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ. एनके अरोड़ा ने मुझे बताया कि कोवैक्सीन के पहले बैच कारगर नहीं थे’। जल्द ही ये खबर वायरल भी हो गई।

 

लेकिन श्रीनिवासन जैन के इस झूठ की पोल खुलने में ज्यादा समय नहीं लगा। स्वयं एनडीटीवी के शो ‘रेयलिटी चेक’ से संबंधित ट्वीट में ही डॉक्टर अरोड़ा के बयान ने श्रीनिवासन जैन की पोल खोल दी। श्रीनिवासन जैन ने अपना झूठ पकड़े जाने के बाद कोवैक्सिन पर दी गई झूठी जानकारी वाला ट्वीट डिलीट कर दिया और अब माफी मांगते हुए स्पष्टीकरण दिया।

श्रीनिवासन जैन ने ट्वीट कर कहा, स्पष्टीकरण/क्षमापत्र – ‘जैसा कि कई लोगों ने ठीक ही बताया है, डॉ. एन.के. अरोड़ा के साक्षात्कार के आधार पर मेरे द्वारा किये गये एक प्रारंभिक ट्वीट में ये स्पष्ट नहीं था कि कोवैक्सिन के शुरुआती बैच जिनकी गुणवत्ता सही नहीं थी उन्हें टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया था’

श्रीनिवासन आगे कहते हैं, मैं स्वीकार करता हूँ कि मुझे अपने पुराने ट्वीट को बेहतर करना चाहिए था। अब मैं उस डिलीट कर रहा हूं और जो कन्फ्यूजन पैदा हुई, उसके लिए माफी मांगता हूं

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लेकिन जनता श्रीनिवासन के इस माफ़ीनामे से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं थी। उन्हें भली भांति मालूम है कि श्रीनिवासन किस नीति से काम करते हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने श्रीनिवासन जैन के विरुद्ध कोवैक्सिन के विरुद्ध ऐसे समय पर झूठी अफवाहें फैलाने के लिए आलोचना भी की है, और कुछ ने तो अप्रत्यक्ष तौर पर कानूनी कार्रवाई की भी मांग की। तरुण शुक्ला नामक ट्विटर यूजर ट्वीट करते हैं, “कितना गैर जिम्मेदार रवैया है। ये स्पष्टीकरण भी कितने घंटों बाद आया है। इस बीच मुझे मिलाकर न जाने कितनों ने कोवैक्सिन लगवाई। उनपे क्या बीती होगी, कुछ अंदाजा भी है?”  स्पष्ट है श्रीनिवासन जैन के कारण कई लोगों में वैक्सीन को लेकर भी का माहौल पैदा हुआ, हो सकता है कईयों ने वैक्सीन की डेट के बावजूद इसे लगवाने में हिचक गये होंगे. ऐसे में श्रीनिवासन जैन के एक माफीनामे से उन्हें यूं ही छोड़ देना गलत होगा। आम जनता में कोवैक्सिन को लेकर भय का माहौल बनाने के लिए उनके खिलाफ महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।

केंद्र सरकार को श्रीनिवासन जैन के विरुद्ध कार्रवाई कर एक मिसाल पेश करनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की गृघटिया हरकत न कर सके। जनवरी 2021 में केन्द्रीय ह सचिव अजय भल्ला ने भी स्पष्ट कर दिया था कि जो भी वैक्सीन के विरुद्ध झूठी अफवाहें या भ्रामक प्रचार करता हुआ दिखे, उसके विरुद्ध केंद्र एवं राज्य की जांच एजेंसियां एवं पुलिस संगठन कार्रवाई करने को पूरी तरह स्वतंत्र हैं।

कुल मिलाकर कहें तो अब समय आ चुका है कि श्रीनिवासन जैन ऐसे अफवाह फैलाने वाले एजेंडावादी पत्रकारों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि देश के एजेंडावादियों को सख्त संदेश मिल सके।

 

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