टोक्यो ओलंपिक में भारत की हॉकी टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है। पुरुष हॉकी में पदक का वर्षों का सूखा समाप्त हुआ। महिला हॉकी ने ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम को पराजित किया और अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए अंतिम चार में जगह बनाई। इन सफलताओं के पीछे सबसे बड़ा योगदान खेल मॉडल के रूप में उभरे ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक का है। 2018 में जब हॉकी इंडिया अपने लिए प्रायोजक खोज रही थी और फंड की किल्लत से जूझ रही थी उस समय मुख्यमंत्री नवीन पटनायक आगे आए और हॉकी टीम को 5 सालों के लिए ओडिशा सरकार की ओर से स्पांसर किया।
सत्य यह है कि ओडिशा आज खेलों को बढ़ावा देने के मामले में एक आदर्श प्रतिमान है। ओडीशा का खेल मॉडल दूसरे राज्यों और केंद्र के लिए आदर्श स्थापित करता है, जिसका अनुकरण बाकी राज्यों द्वारा भी किया जाना चाहिए। ओडिशा ने विश्वस्तरीय खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया, हर खेल के लिए समुचित इंफ्रास्ट्रक्चर, सुविधाएं और फंड की व्यवस्था की।
दिल्ली में कॉमनवेल्थ के समय बनाए गए इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग इस प्रकार नहीं हुआ कि उससे खेल का विकास हो सके। दूसरी तरफ और वही खेल मॉडल बनने की दिशा में ओडिशा का प्रयास सराहनीय है, ओडिशा सरकार ने देशभर के बड़े उद्योगपतियों और खिलाड़ियों से सम्पर्क करके भुवनेश्वर में एथलेटिक्स, शूटिंग, वेट लिफ्टिंग, स्विमिंग, बैडमिंटन आदि खेलों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाओं से युक्त खेल अकादमी, हाई परफॉर्मेंस सेंटर ‛HPC’ की शुरुआत की है।
ओडिशा खेल मॉडल की बात करे तो सरकार ने JSW स्पोर्ट्स और बेंगलुरू FC के साथ मिलकर फुटबॉल की तैयारी के लिए सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया है। फुटबॉल के HPC के अलावा TENVIC स्पोर्ट्स और अहलूवालिया ग्रुप के सहयोग से वेट लिफ्टिंग के लिए HPC तैयार किया गया है। JWS के साथ एक अन्य समझौते के तहत स्विमिंग के लिए HPC शुरू हुआ है।
इसके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ एथलेटिक्स के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं वाला HPC सेंटर तैयार किया जा रहा है। हॉकी के लिए टाटा स्टील और टाटा ट्रस्ट ने सहयोग का हाथ बढ़ाया है। इसी प्रकार पुलेला गोपीचंद के सहयोग और डालमिया सीमेंट कंपनी द्वारा की गई फंडिंग के इस्तेमाल से बैडमिंटन खिलाड़ियों को तैयार किया जा रहा है।
RUNGTA माइंस के सहयोग से अभिनव बिंद्रा के नाम पर एक हेल्थ सेंटर और फिजियोथेरेपी के लिए एक सेंटर खोला गया है। इस हेल्थ सेंटर में नए अनुसंधान भी किए जा रहे हैं। आदित्य बिरला ग्रुप और गगन नारंग के सहयोग से शूटिंग के लिए HPC चलाया जा रहा है।
इसके अलावा खिलाड़ियों को लगातार मैच खेलने को मिलें इसके लिए एशियाई एथेलेटिक्स चैंपियनशिप 2017, मेंस हॉकी वर्ल्ड लीग 2017, इंडियन सुपर लीग 2017-18, नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप आदि कई खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। ओडिशा का कलिंग हॉकी स्टेडियम दुनिया के सबसे अच्छे हॉकी स्टेडियम में एक है। भुवनेश्वर के स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर ही फीफा ने 17 वर्षीय महिला फुटबॉल विश्वकप का आयोजन भुवनेश्वर को सौंपा है।
खेल में मेडल जितने वाले खिलाड़यों को 50 लाख या 1 करोड़ का पुरस्कार देना ही खेलों को बढ़ावा नहीं देगा न ही दो चार खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने से खेलों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
सच यह है कि देश के हर राज्य को जमीनी स्तर से खिलाड़ियों को तैयार करना होगा, खेल प्राधिकरणों से राजनीति समाप्त करनी होगी, प्राइवेट संस्थाओं को खेलों में निवेश के लिए आमंत्रित करना होगा और पूर्व खिलाड़ियों का सहयोग लेकर, एक नया तंत्र विकसित करना होगा और ओडिशा खेल मॉडल को आदर्श मान कर अन्य राज्यों को इस मॉडल अपनाने की प्रेरणा भी लेनी होगी। ।
उदाहरण के लिए देखें तो BCCI क्यों अन्य खेल प्राधिकरणों से अधिक धनवान और शक्तिशाली है। उसका कारण BCCI में नगण्य सरकारी हस्तक्षेप है। सरकार को केवल सहयोगी की भूमिका निभानी होगी, खुद को ड्राइविंग सीट से हटाकर, पूर्व खिलाड़यों और देश के बड़े उद्योगपतियों को खेलों को प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी देनी होगी।