‘सूप बोलें तो बोलें छलनी भी बोलें जिसमें 72 छेद हैं’, यह कहावत इस समय महाराष्ट्र सरकार के परिवहन मंत्री अनिल परब पर एकदम सटीक बैठती है। मंगलवार को केंद्रीय मंत्री नारायण राणे की गिरफ़्तारी होने से लेकर रात में मिली जमानत के बीच एक वीडियो क्लिप सामने आया है जिसमें परिवहन मंत्री अनिल परब पुलिस अधिकारियों को नारायण राणे को बिना देर किए गिरफ्तार करने का आदेश दे रहे हैं। इससे न केवल महाराष्ट्र का सियासी पारा चढ़ गया है बल्कि मामले में मंत्री अनिल परब की भागीदारी ने नया मोड़ लाते हुए इन्हीं परब के चिट्ठे खोलने शुरू कर दिए हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के करीबी और परिवहन मंत्री अनिल परब पर करोड़ों रुपए की वसूली के आरोप उन्हीं के विभाग के एक अधिकारी ने लगाए थे जिसमें कहा गया था कि पोस्टिंग के नाम पर मंत्री अनिल परब ने 250 से 300 करोड़ रुपये वसूली की थी। इससे यह सिद्ध होता है कि अपने कर्मों को देखने के अतिरिक्त उद्धव के मंत्री सीधा केंद्र के मंत्रियों पर षड्यंत्र के तहत पुलिस प्रशासन का दुरूपयोग करने में जुटे हुए हैं।
दरअसल, केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को मंगलवार दोपहर महाराष्ट्र में उनकी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर गिरफ्तार कर लिया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि “भारत की स्वतंत्रता के वर्ष के बारे में अज्ञानता” के लिए ” महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को मैं होता तो थप्पड़ मार देता। मंगलवार को नारायण राणे की गिरफ्तारी के साथ महाराष्ट्र में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी मौजूदा राज्य सभा सांसद और केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, राणे को मंगलवार को ही जमानत मिल गई थी।
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वायरल वीडियो में उद्धव के मंत्री अनिल परब निस्संदेह किसी पुलिस अधिकारी से बात करते हुए यह कहते दिख रहे हैं कि, “‘हैलो, तुम लोग क्या कर रहे हो? लेकिन तुम्हें ये करने की जरूरत है। तुमने उन्हें गिरफ्तार किया है या नहीं? वो किस आदेश की मांग कर रहे हैं? उच्च न्यायालय और सत्र अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है… तो पुलिस बल का इस्तेमाल करो।’ इस पूरे प्रकरण में मंत्री अनिल परब का हस्तक्षेप इस कॉल के माध्यम से स्पष्ट रूप से दिखाई देता है कि कैसे वो कानून को अपने अनुरुप चलने का दुस्साहस करते दिख रहे हैं।
Guardian Minister of Ratnagiri, Maharashtra, Anil Parab giving instructions on phone to arrest Union Minister Narayan Rane. No regard for the rule of law. They do as they please!! कुठे नेऊन ठेवलाय महाराष्ट्र माझा?? pic.twitter.com/NXCQ9aT9aP
— Priti Gandhi (Modi ka Parivar) (@MrsGandhi) August 24, 2021
यह मामला उद्धव के लिए दिए गए बयान पर उष्मित हो उठा, क्योंकि शिवसेना जब से तीन पहिये वाली सरकार में आई है तो उसकी बुद्धि का भी मेल-मिलाप कांग्रेस और राकांपा जैसा हो गया है। केंद्र में बैठी मोदी सरकार को नहीं तो उनके मंत्रियों को किसी भी कारण से घेरा जाए, वरना राणे जैसा ही बयान तो उद्धव ने भी यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए दिया था, पर अपनी बारी पर उनके अहंकार को धक्का लग गया। वहीं मंत्री अनिल परब का नाम इस मामले में जुड़ जाने के बाद से तो सत्ता और शासन का बेहद अनूठा रंग देखने को मिल रहा है जिसमें राणे को विलेन के रूप में पेश कर दिया गया है। हालांकि, मंत्री अनिल परब के तार भ्रष्टाचार की उस भट्टी से जुड़े हैं जिसकी आंच से न महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख बचे हैं, न ही पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह या सचिन वाज़े।
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चाहे अनिल देशमुख वाला यही 100 करोड़ वसूली प्रकरण हो या मंत्री अनिल परब का अपने मंत्रालय के विभाग में हुआ RTO अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए करोड़ों रुपए की मोटी रकम मंत्री अनिल परब के इशारे पर हुई वसूली का मामला, जिसमें मंत्री अनिल परब के कहे अनुसार आरटीओ ट्रांसफर पोस्टिंग में 250 से 300 करोड़ रुपए वसूले जाने का आरोप लगाया गया था। इसके अतिरिक्त और भी संजीदा मामलों में मंत्री अनिल परब का सीधी अथवा परोक्ष रुप से भागीदारी बताई गई है जिनकी जांचों ने महाविकास अघाड़ी की सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की पोटली को खोल दिया है।
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यह तो तय है कि इस वीडियो में मंत्री अनिल परब ने किसी न किसी पुलिस अधिकारी से राणे के सन्दर्भ में ही वार्ता की थी, और यह भी सत्य है कि यह सब विवाद उत्पन्न करने से लेकर कार्रवाई तक सब राजनीतिक खीज का ही एक भाग है। ऐसा विद्वेष आने वाले समय के लिए शुभ संकेत तो नहीं देता दिख रहा है क्योंकि महाविकास अघाड़ी ने राजनीति के मायने ही बदलकर रख दिए हैं।