ऑपरेशन सुकून, ऑपरेशन राहत और 3 अन्य: भारत के अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण evacuation operations

भारत अपनों को मुश्किल घड़ी में अकेला नहीं छोड़ता!

भारत ऑपरेशन

भारत सरकार कभी भी अपने नागरिकों को मुश्किल में नहीं छोड़ती है। अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत सरकार ने अपने नागरिकों, पत्रकारों और सरकारी अधिकारियों को सफलतापूर्वक निकाला और अपने देश वापस ले आई। मंगलवार को भारतीय सरकार ने दूतावास में मौजूद अपने कर्मचारियों समेत 200 लोगों को नई दिल्ली ले कर आई। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर बताया, “भारतीय राजनयिकों को और दूतावास में मौजूद में कर्मचारियों को काबुल से भारत लाना कठिन और जटिल काम था। उन सभी लोगों का शुक्रिया जिन्होंने भारत के इस ऑपरेशन में सहयोग किया है।”

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विश्व भर में भारतीय आबादी मौजूद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा से भारतीय प्रवासियों को देश के लिए महत्वपूर्ण माना है तथा उन्हें हमेशा भारत से मदद का आश्वासन देते रहते है। वैश्विक स्तर पर एक सच यह भी है कि विभिन्न परिस्थितियों के हिसाब से देश की आंतरिक स्थिति बदलती रहती है। गृह युद्ध, आतंकी हमले, तथा विरोध प्रदर्शनों से तमाम देशों की शांति प्रभावित होती है। ऐसी परिस्थिति में भारतीय मूल के लोग भी प्रभावित होते हैं। भारत सरकार हमेशा से इस चीज को लेकर प्रतिबद्ध रही है कि किसी भी परिस्थिति में भारतीयों की सुरक्षा का ख्याल रखा जाए। इसी के चलते कई बार भारत ने विभिन्न ऑपरेशन कर भारतीय लोगों की निकासी को सफलतापूर्वक संपन्न किया है।

भारत के कुछ महत्वपूर्ण और सफल निकासी अभियान में ऑपरेशन मैत्री, ऑपरेशन राहत और ऑपरेशन सुकून शामिल है। आइए ऐसे महत्वपूर्ण अभियानों पर एक नजर डालते है।

ऑपरेशन गल्फ

यह ऑपरेशन हवाई मार्ग से किया गया दुनिया का सबसे बड़ा नागिरिक निकासी अभियान माना जाता है। वर्ष 1991 में गल्फ वॉर चल रहा था। कुवैत में एक लाख 70 हजार लोग फंसे हुए थे। एयर इंडिया उस समय 500 हवाईजहाजों के मदद से 2 महीने में सभी को सुरक्षित भारत लाया था। अगर आपको याद हो तो अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘एयरलिफ्ट’ इसी घटना से प्रेरित है।

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ऑपरेशन राहत

वर्ष 2015 का यमन संकट सभी को याद है। संयुक्त राष्ट्र ने यमन संकट को सबसे बुरा मानव संकट कहा था। यमन की राजधानी सना पर सऊदी अरब से हवाई हमले हो रहे थे। तब 1 अप्रैल को समुद्री मार्ग से और 3 अप्रैल को हवाई मार्ग से निकासी अभियान शुरू किया गया। कुल मिलाकर 4640 भारतीय लोगों को, तथा 41 अन्य देशों के 960 विदेशी नागरिकों को भारत लाया गया था।

ऑपरेशन मैत्री

वर्ष 2015 का भूकंप भयावह त्रासदी के रूप में आया। नेपाल में उस वक्त 5 हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए थे। भारत सरकार ने 15 मिनट के भीतर कार्यवाही करते हुए 5188 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला था। उस वक़्त 785 लोगों को त्वरित वीजा दिया गया था।

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ब्रुसेल्स अभियान

22 मार्च 2016 को बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में 3 सुसाइड बम धमाके हुए। 2 धमाके एयरपोर्ट के पास हुए थे और एक मेट्रो स्टेशन के पास हुआ था। उसके कुल 35 लोगों की मृत्यु हुई थी। जेट एयरवेज पहले 800 लोगों को लेकर नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम पहुंचा। भारत से दो फ्लाइट एम्स्टर्डम गई और एक फ्लाइट में 242 लोगों को लेकर भारत लाया गया और दूसरी फ्लाइट से लोगों को नेवार्क, अमेरिका भेजा गया।

ऑपरेशन सेफ होमकमिंग

लीबिया में गृह युद्ध के दौरान 26 फरवरी, 2011 को भारतीय नौसेना और एयर इंडिया द्वारा यह संयुक्त अभियान चलाया गया था। भारत के 18000 लोग वहां फंसे हुए थे। 11 मार्च तक 15000 लोगों को सुरक्षित रूप से भारत लाया गया था।

ऑपरेशन सुकून

वर्ष 2006 में लेबनान युद्ध चल रहा था। यह भारतीय नौसेना द्वारा किया गया सबसे बड़ा नौसेना अभियान है। इस ऑपरेशन में कुल 2280 लोगों को बचाया गया जिसमें 1764 भारतीय, 112 श्रीलंका के नागरिक, 64 नेपाल के नागरिक और 7 लेबनान के नागरिक शामिल थे।

ऐसे योजनाओं से भारतीय सरकार ने लोगों के भीतर एक विश्वास पैदा किया है। चाहे परिस्थिति कैसी भी हो, भारत अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए अपने लोगों को किसी भी तरह सुरक्षित लेकर आएगा। इससे बाहर जाकर काम करने वाले लोगों की भावनाएं मजबूत होती है और उन्हें अपने देश से आर्थिक, सामाजिक, न्यायिक और राजनैतिक सुरक्षा महसूस होती है। यही नहीं इससे दूसरे राष्ट्रों को भी यह संदेश जाता है कि कोई भी भारतीय नागरिक अकेला नहीं है, उसके पीछे भारत सरकार मजबूती से खड़ी है, इसलिए अन्याय या भेदभाव करना द्विपक्षीय संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।

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