किसी के लिए वह दीपक यादव है, तो किसी के लिए वह दीपक त्यागी। किसी के लिए वह डासना मंदिर का प्रमुख महंत है, तो किसी के लिए वह हिंदुओं का तारणहार। हाल ही में डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती के वर्तमान वीडियो में जो सामने आया है, उसे उचित ठहराना अपने आप में बहुत बड़ा पाप होगा।
हाल ही में यति नरसिंहानंद सरस्वती का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने भाजपा के प्रति न केवल विष उगला है, अपितु भाजपा की महिला नेताओं के विरुद्ध जमकर भद्दी बाते भी कही है।
This is shocking. I am really REALLY sorry I made an error of judgement in supporting this man. https://t.co/9wwNOsnp6I
— Shefali Vaidya. 🇮🇳 (@ShefVaidya) August 28, 2021
यति नरसिंहानंद सरस्वती के इस वीडियो के अंश अनुसार, “अब सरकारी ठेकों का रेट 10% हो गया है, जितनी भी भाजपा की महिला नेताएँ आपको दिखाई दे रही हैं, वो एक नेता के पास गईं और दूसरे के पास नहीं गईं तो दूसरा उनका काम नहीं करेगा। तीसरे से काम है तो तीसरे के पास जाना है। ये है राजनीति। पूरा मजा आ रहा है। इतनी महिलाएँ राजनीति में घूम रही हैं, पूरा मजा आ रहा है।”
इसी वीडियो में यति नरसिंहानंद सरस्वती कहते हैं, “किसी एक नेता की रखैल कोई औरत दिखाई देगी। जितनी औरतें राजनीति में दिखाई देती थी, वो या तो किसी न किसी नेता की रखैल थी, या फिर किसी राजनेता की बेटी या बड़े परिवार से थी।”
यति नरसिंहानंद सरस्वती के वीडियो पर वामपंथियों और दक्षिणपंथियों दोनों ने यति नरसिंहानंद के कुत्सित विचारों की आलोचना की। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने यहाँ तक ट्वीट किया कि यति नरसिंहानंद सरस्वती की महिलाओं के प्रति सोच किसी भगवाधारी की हो ही नहीं सकती। उन्होंने नरसिंहानंद को ‘जिहादी सोच से बीमार कोई कुंठित आदमी’ बताते हुए NCW व उत्तर प्रदेश पुलिस से उनकी गिरफ़्तारी की माँग की। उन्होंने कहा कि ये व्यक्ति माँ जगदम्बा के मंदिर में बैठने योग्य नहीं है।
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यति नरसिंहानंद सरस्वती तब चर्चा में आए थे, जब उन्होंने कमलेश तिवारी की हत्या के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। उन्हें लाइमलाइट तब मिली जब 2021 के प्रारंभ में डासना के मंदिर में चोरी करने गए आसिफ नाम के लड़के की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। मुस्लिमों के खिलाफ बयान देने का आरोप लगाते हुए देश भर में कट्टरपंथियों ने उनका विरोध किया था। अपने बयानों के कारण यति नरसिंहानंद के या तो कट्टर समर्थक रहे हैं, या फिर कट्टर विरोधी।
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हालांकि यति नरसिंहानंद सरस्वती पूर्णतया दूध के धुले नहीं हैं। वे अपने आप को हिंदूवादी एवं राष्ट्रवादी बताते फिरते हैं, परंतु उन्हें केवल भाजपा से ही नहीं, बल्कि योगी आदित्यनाथ जैसे लोगों से भी काफी चिढ़ है, जो हिन्दुत्व के विषय पर मोदी सरकार से अधिक आक्रामक माने जाते हैं। जब कोविड की दूसरी लहर आई थी, तो पंजाब, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य फिसड्डी सिद्ध हुए, जबकि उत्तर प्रदेश ने पहली लहर की भांति दूसरी लहर में भी कुशल प्रबंधन से सब कुछ संभाल लिया। जहां उत्तर प्रदेश के ‘कोविड प्रबंधन मॉडेल’ की कुछ सार्वजनिक तौर तो कुछ छुपकर प्रशंसा कर रहे थे, तो वहीं यति नरसिंहानंद सरस्वती भी थे, जिन्होंने न केवल विपक्षियों के झूठे आरोपों को दोहराया, अपितु योगी प्रशासन के लिए अपमानजनक शब्दों का प्रयोग भी किया। विश्वास नहीं होता तो इस वीडियो को देखिए –
And now suddenly after he criticised Yogi government, everyone together has started an agenda against him. That's good, his abusive words must be criticised and indeed no one should call such person a swami. But did he say wrong against UP government? 3/12 pic.twitter.com/4fSnk9UYpE
— Indian Right Wing Community (@indianrightwing) June 8, 2021
इसके अलावा यति नरसिंहानंद के दोहरे मापदंडों पर संदेह तब और गहराया, जब एक आपत्तिजनक वीडियो पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने कार्रवाई का आदेश दिया, और अगले ही दिन 10 अगस्त को डासना मंदिर में साधुओं पर हमला कर दिया गया। इसमें स्वामी नरेशनन्द को गंभीर चोटें भी आई, परंतु बगल के ही कमरे में सोये यति नरसिंहानंद को एक खरोंच तक नहीं आई। यदि एक बार को हो तो इसे भाग्य का फेर कह सकते हैं, परंतु बार बार कोई इतना भाग्यवान कैसे हो सकता है?
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ कि हिंदुवादी छवि को ध्वस्त करने के लिए विपक्षियों ने यति नरसिंहानंद सरस्वती को चुना था, ताकि वे योगी आदित्यनाथ को उनके मूल मतदाताओं से ही वंचित कर दे, परंतु ऐसा नहीं हो सका। उलटे यति नरसिंहानंद सरस्वती की बेवकूफियों ने योगी प्रशासन और अधिक सरल बना दिया है। कहा यह भी जाता है कि इनका सपा से नाता है तथा ये सपा के पूर्व युवा नेता रह चुके हैं। चुनाव से ठीक कुछ महीनों पहले एक भगवा कपड़े में व्यक्ति चर्चा में आता है और फिर इस तरह से BJP नेताओं तथा महिला नेताओं के लिए भद्दी भाषा का इस्तेमाल कर बदनाम करने की कोशिश करता है। न सिर्फ हिन्दुत्व बल्कि हिन्दू धर्म को भी बदनाम करने का प्रयास करता है। ऐसे में अगर यह कहा जाए कि विपक्ष की चाल का हिस्सा है तो गलत नहीं होगा।