7 अगस्त 2021 को वो हुआ, जो किसी ने नहीं सोचा था। पुरुष भाला फेंक स्पर्धा में भारत के स्टार एथलीट, सूबेदार नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर तक भाला फेंक कर न केवल भारत को ओलंपिक में दूसरा व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जिताया, अपितु स्वतंत्र भारत को एथलेटिक्स में पहली बार ओलंपिक में पदक भी जिताया। लेकिन जहां पूरा देश इस स्वर्णिम अवसर का उत्सव मना रहा था, तो वहीं वामपंथी शोक के सागर में डूबे हुए थे। ऐसा इसलिए क्योंकि नीरज की विचारधारा न केवल राष्ट्रवादी है, अपितु उन्होंने समय-समय पर पीएम नरेंद्र मोदी की कई योजनाओं का समर्थन भी किया है।
असल में नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने के पश्चात उनके कई पुराने ट्वीट वायरल हुए हैं, जिनमें से कई पीएम मोदी और उनके सरकार की योजनाओं के समर्थन में भी हैं। यही नहीं, जब पीएम मोदी ने वुहान वायरस से लड़ने हेतु पीएम केयर्स फंड की स्थापना की थी, तो नीरज ने स्वयं 2 लाख रुपये भी दान किए थे –
इसके अलावा नीरज चोपड़ा ने एक विषय पर पीएम मोदी की अनावश्यक आलोचना करने के लिए वामपंथियों की चहेती पत्रकार बरखा दत्त को भी आड़े हाथों लिया था। जब एशियाई खेल 2018 में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता, तो उन्होंने अपना स्वर्ण पदक दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी को भी समर्पित किया।
अब नीरज के ऐसे राष्ट्रवादी विचार जानकर भला वामपंथी कैसे चुप रहते? जिन्होंने जीवन में खुद एक कंकड़ भी उठाकर नहीं फेंका होगा, वे नीरज को अब सिर्फ इसलिए अपशब्द सुना रहे हैं, क्योंकि उन्होंने PM नरेंद्र मोदी और उनके विचारों का समर्थन किया है। उदाहरण के लिए रोहिणी सिंह के इस ट्वीट को ही देख लीजिए I
यहाँ रोहिणी सिंह लिखती है, “आईटी सेल के पोस्टर निर्माताओं के लिए बता दूँ, नीरज की बहुत लंबी दाढ़ी नहीं है।” इसमें पीएम मोदी का समर्थन करने के लिए नीरज के प्रति रोहिणी की घृणा साफ दिखाई देती है। परंतु इस खेल में वह अकेली नहीं थी।
अनिन्दिता नामक एक अन्य यूजर ने ट्वीट किया, “भारतीय पुरुषों का उत्सव मनाना ही शर्मनाक है, और अगर नीरज चोपड़ा जैसे संघी हो, तो ये और ज्यादा शर्मनाक है, और हाँ, ये एक गंभीर ट्वीट है” –
एक शेरिन नामक यूजर ने लिखा, “सही है, 17 मिनट तक ये तो नहीं पता चला कि वो कितना बड़ा संघी है। अलविदा और उसे शुभकामनाएँ!”
एक अन्य यूजर ने लिखा, “पता नहीं क्यों हर सफल भारतीय खिलाड़ी हिन्दुत्व आतंकियों के लिए खड़ा होता है?” यहाँ उसका नीरज चोपड़ा द्वारा विशाल जूड़ के समर्थन में डाले गए पोस्ट से था। विशाल जूड़ ऑस्ट्रेलिया में रह रहा एक अप्रवासी भारतीय है, जो खालिस्तानियों द्वारा भारतीय तिरंगे के अपमान पर उनसे अकेले ही भिड़ गया, और जिसके लिए उसे अकारण जेल में डाल दिया गया था I
एक अन्य यूजर आमीर अज़ीज ने तो यहाँ तक कह दिया कि, “काश के हम भी खेल का लुत्फ़ उठा पाते, तुम्हारी कामयाबी पे तालियां बजा पाते I जान के लाले ऐसे न पड़े होते, अगर हम भी तुम्हारे इश्क़ में होते मग़र I ये क्रीड़ा-कौशल अपने लिए निरर्थक है, पदक- विजेता क़ातिलों का समर्थक है!”
Kash ke hum bhi khel ka lutf utha paate
Tumhari kamyabi pe taliyan baja paateJaan ke laale aise na pade hote agar
Hum bhi tumhare ishq mein hote magarYe krida-kaushal apne liye nirarthak hai
Padak-vijeta qatilon ka samarthak hai!!!— Aamir Aziz (@AamirAzizJmi) August 3, 2021
इतना विष तो शायद सायनाइड या हलाहल में भी नहीं होगा, जितना वामपंथियों में राष्ट्रवादियों के लिए भरा हुआ है। यदि कोई इस विचारधारा से जुड़े किसी व्यक्ति का समर्थन भी करता है, तो उसे नीचा दिखाने के लिए ये लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं, जैसे नीरज चोपड़ा के मामले में देखा जा रहे हैं।