पाकिस्तान ने काबुल धमाकों के साथ बाइडन को फंसा दिया, लेकिन बाइडन पाकिस्तान का नाम भी नहीं लेंगे

पाकिस्तान की लानत-मलानत करने में बाइडन को इतनी दिक्कत क्यों हो रही है ?

आईएसआईएस-के

आईएसआईएस-के : अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भले ही खुद डिमेंशिया (भूलने की बीमारी) से पीड़ित हैं लेकिन वो अमेरिका को फर्जी तुष्टिकरण आधारित उदारवाद का रोग दे रहे हैं। आपको इतना ज्यादा भी उदार होने की आवश्यकता नहीं है कि आप सही और गलत में अंतर करना बंद कर दें। यूटोपिया या आदर्शलोक की कल्पना में जमीनी हकीकत नही भूलनी चाहिए। बाइडन हैं कि उदारवादिता की नई परिभाषा रचने की तैयारी कर रहे हैं।

तालिबान द्वारा अफ़ग़ानिस्तान में नियंत्रण पाया नही गया कि आतंकवादियों को वहां पनाह मिलना शुरू हो गई है। नए-नए आतंकी संगठन मजबूती से अपने पैर फैलाने की तैयारी कर रहे हैं। अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट पर हाल ही में धमाका हुआ है। ये धमाका तब हुआ है जब अमेरिका एक गोपनीय मीटिंग तालिबान के साथ कर चुका था।

धमाके में कम से कम एक दर्जन अमेरिकी जवानों की मौत हुई है। रिपोर्ट्स की मानें तो यह धमाके दुनिया को संगठन की औकात और पहुंच बताने का एक प्रयास था। बदले में जो बाइडन किसी बी ग्रेड फिल्मों में मौजूद नायक की तरह गीदड़भभकी दे गए हैं। बाइडन ने व्हाइट हाउस में कहा, “हम माफ नहीं करेंगे, हम नहीं भूलेंगे। हम आपको ढूंढेंगे और आपको भुगतान कराएंगे।”

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आतंकी हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस-के ने ली है। आईएसआईएस-के का पूरा नाम ISIS खोरासन है। आईएसआईएस-के का नाम ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र के एक पुराने शब्द के नाम पर रखा गया है जो अब पूर्वोत्तर ईरान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान और उत्तरी अफगानिस्तान में स्थित है। इसकी स्थापना पाकिस्तानी तालिबान के कट्टर तत्वों द्वारा की गई थी, जो इस क्षेत्र में तब आये जब पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने उन पर कार्रवाई की थी।

अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने सीएनएन को बताया कि आईएसआईएस-के के सदस्यों में “सीरिया के अनुभवी जिहादियों और अन्य विदेशी आतंकवादी लड़ाके शामिल हैं।” आईएसआईएस-के में अफ़गानों के अलावा अन्य आतंकवादी समूहों के लोग भी शामिल है। उज़्बेक चरमपंथियों के साथ-साथ पाकिस्तानी तालिबानी भी समूह में शामिल हैं।

अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है और अमेरिका, अफगानिस्तान से अपने सभी सैनिको को निकालने के लिए आतुर है। लगातार ऐसी संभावनाएं उठती रही हैं कि पाकिस्तान से बड़ी संख्या में आतंकवादी अफगानिस्तान पहुंचे हैं। एजेंसियों का ये भी कहना है कि वहां हो रहे हमलों में पाकिस्तानी आतंकी भी शामिल हो सकते हैं। इसके बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पाकिस्तान का उल्लेख करने की हिम्मत भी नहीं कर पा रहे हैं। शायद उन्हें डर है कि सैन्य-औद्योगिक उद्योगपति उनके खिलाफ आवाज उठाने लगेंगे।

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जो बाइडन शायद नहीं देख रहे हैं कि इमरान खान लगातार तालिबान की प्रशंसा कर रहे हैं। कैसे पूरी पाकिस्तानी सरकार तालिबानी के समर्थन में खड़ी है। उदारवादी सरकार का मतलब यह नहीं होता कि आप आँख बंद करके कुछ भी विश्वास करते रहे।

पाकिस्तान वैश्विक शांति के लिए बड़ी चुनौती है। भले ही जो बाइडन ‘यूटोपियन दुनिया’ में जी रहे हैं लेकिन उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि कभी-कभार वो मानवाधिकार हनन पर न्यायसंगत होकर सोच सकें, और जिस पाकिस्तान ने आतंकियों को बढ़ावा दे रखा है उसके विरुद्ध भी कुछ बोल सकें।

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