क्या जगमीत सिंह और उसके खालिस्तानी समर्थक छीन सकते हैं कनाडा की सत्ता?

पाकिस्तान के इस्लामवादियों द्वारा नियंत्रित कट्टरपंथी सिख कनाडा में सत्ता में आ सकते हैं

लगता है कनाडा में सत्ता परिवर्तन की संभावनाएँ स्पष्ट दिख रही हैं, जिसमें पाकिस्तान के ISI का भरपूर योगदान होगा। वो कैसे? खालिस्तान समर्थक और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख जगमीत सिंह, जो प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की गठबंधन सरकार को बाहरी समर्थन दे रहे हैं, अब स्वयं अपनी पहचान बनाते हुए दिखाई दे रहे हैं, और यदि ऐसे ही चलता रहा , तो वे बहुत ही जल्द कनाडा की सत्ता संभालते हुए दिखाई देंगे।

असल में ग्लोबल न्यूज नामक चैनल ने एक Ipsos poll का आयोजन कराया, जिसमें कनाडा के नेताओं की लोकप्रियता को आँका गया। इसमें आश्चर्यजनक रूप से प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के मुकाबले जगमीत सिंह अधिक लोकप्रिय सिद्ध हुए। कनाडा के 41 प्रतिशत लोग जस्टिन ट्रूडो को सकारात्मक दृष्टि से देखते हैं, जबकि जगमीत सिंह को 45 प्रतिशत सकारात्मक दृष्टि से देखते हैं।

अगर इन आंकड़ों पर विस्तार से विश्लेषण किया जाए, तो आपका पता चलेगा कि ये लोकप्रियता किस स्तर तक फैली हुई है। जगमीत सिंह जस्टिन ट्रूडो के मुकाबले 18 से 34 वर्ष के वोटरों के वर्ग में अधिक लोकप्रिय हैं। अभी तो हमने कंजरवेटिव पार्टी पर अपना ध्यान केंद्रित भी नहीं किया है, जो धीरे-धीरे कनाडा में अपना आधार पुनः मजबूत कर रही है। ऐसे में जस्टिन ट्रूडो को एक नहीं, दो मोर्चों पर लड़ाई लड़नी होगी, और वे बुरी तरह पराजित होते हुए दिखाई दे रहे हैं।

लेकिन जगमीत सिंह कनाडा के प्रधानमंत्री कैसे बन सकते हैं? कनाडा में उनकी वर्तमान लोकप्रियता को देखते हुए, और उनके सपोर्ट बेस को पहचानते हुए यह कहा जा सकता है कि वे प्रधानमंत्री पद के एक प्रबल दावेदार तो अवश्य हैं। यदि वे प्रधानमंत्री बने, तो खालिस्तानी सपनों को एक नई उड़ान मिलेगी। ये न सिर्फ कनाडा के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और राजनीतिक रूप से भारत के लिए बहुत खतरनाक होगा।

भारत में भले ही खालिस्तान का विचार सुस्त है, परंतु विदेशों में अभी भी कुछ लोग हैं, जो इस विचार से काफी आकर्षित है। जगमीत सिंह उन्ही लोगों में से एक है, जो भारत के टुकड़े होते हुए देखना चाहता है, भले ही उनके पाकिस्तानी आका सिखों पर कितने भी ज़ुल्म ढाए।

इसके अलावा जगमीत सिंह केवल कुटिल ही नहीं, बल्कि दोहरे मापदंड अपनाने वाला नेता भी है। यही जगमीत सिंह 2019 में भारत में लागू CAA का खुलेआम विरोध कर रहा था, और आज जब अफगानिस्तान में हिंदुओं और सिखों पर संकट आया, तो इसी की सरकार ने हिंदुओं और सिखों के लिए CAA की भांति अपनी अलग नीति भी तैयार की। इनके लिए तो चुल्लू भर पानी भी कम ही पड़ेगा।

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लेकिन यदि जगमीत सिंह की सरकार वाकई में सत्ता में आई, तो वर्तमान सरकार इतना तो सुनिश्चित करेगी कि कूटनीतिक रूप से कनाडा अलग थलग पड़ जाए, जो कई मायनों में पिस रहे कनाडा के लिए बेहद कष्टकारी और विनाशकारी सिद्ध होगा। कनाडा में पहले ही कई प्रांतों में अलगाववाद के नारे बुलंद किए जा रहे हैं, और ऐसे में यदि जगमीत सिंह ने खालिस्तान की मांग उठानी शुरू की, तो यह भारत से अधिक कनाडा के लिए कोढ़ में खाज समान होगा।

ऐसे पाक परस्त नेताओं को एक क्षण के लिए भी कैनेडियाई सत्ता के आसपास भी फटकने नहीं दिया जा सकता। पहले ही जस्टिन ट्रूडो को बाहरी समर्थन देने के कारण जगमीत सिंह के ऐसे तेवर हैं, सोचिए अगर वो गलती से भी कनाडा का प्रधानमंत्री बन गया, तो फिर कनाडा का क्या होगा?

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