पिछले कुछ समय से भारतीय क्रिकेट एकदम रसातल में जा चुका है, जिसके लिए केवल दो ही व्यक्ति उत्तरदायी हैं – भारतीय क्रिकेट टीम के वर्तमान कप्तान विराट कोहली और पूर्व क्रिकेटर एवं वर्तमान कोच रवि शास्त्री, दोनों के नेतृत्व में टीम इंडिया ने एक तरह से दक्षिण अफ्रीका को ‘चोकर्स’ के पद से अपदस्थ कर दिया है, यानि वो लोग, जिनमें प्रतिभा तो बहुत है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर उसका उपयोग कभी नहीं कर पाते। लेकिन यह अवस्था अब बहुत दिनों तक नहीं रह पाएगी।
हाल ही में, कोच रवि शास्त्री ने बीसीसीआई के कुछ सदस्यों को सूचित किया है कि वे आगामी टी20 विश्वकप के पश्चात भारतीय टीम के कोच के पद को त्याग सकते हैं। जी न्यूज के रिपोर्ट के अंश अनुसार,
“शास्त्री का कार्यकाल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप के बाद खत्म हो रहा है। रवि शास्त्री टी-20 वर्ल्ड कप के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच का पद छोड़ देंगे। टी20 वर्ल्ड कप के बाद भारतीय क्रिकेट में बड़ा बदलाव हो सकता है। रवि शास्त्री के अलावा गेंदबाजी कोच भरत अरुण, फील्डिंग कोच आर श्रीधर और बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर के रास्ते भारतीय टीम से अलग हो सकते हैं।”
इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के अनुसार रवि शास्त्री ने BCCI के कुछ सदस्यों को सूचित किया है कि वह इस साल टी-20 वर्ल्ड कप के बाद टीम इंडिया से अलग होने की योजना बना रहे हैं। असल में रवि शास्त्री का टीम के साथ कॉन्ट्रैक्ट इस साल नवंबर में खत्म हो रहा है, और BCCI भी टीम इंडिया के लिए एक नया कोचिंग स्टाफ चाहता है। इसके अलावा टीम इंडिया के वर्तमान प्रदर्शन को देखते हुए अनेकों प्रशंसकों ने मांग की है कि टीम में कुछ व्यापक बदलाव होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि हाल ही में भारतीय टीम विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में स्थिति अनुकूल होने के बावजूद न्यूज़ीलैंड से हार गई थी, जिसके कारण टीम के कप्तान विराट कोहली और टीम के कोच रवि शास्त्री को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा।
लेकिन इस पद के लिए कौन उपर्युक्त है? जी न्यूज के रिपोर्ट की माने, तो इस पद के लिए चार प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं – माइक हेसन, टॉम मूडी, वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड। लेकिन इनमें सबसे प्रबल दावेदार और इस पद के लिए सबसे उपर्युक्त राहुल द्रविड हैं। इन्होंने जूनियर क्रिकेट टीम्स को काफी बेहतर ढंग से प्रशिक्षित किया है। ये राष्ट्रीय क्रिकेट अकादेमी के अध्यक्ष भी रहे हैं और 2018 के अंडर 19 क्रिकेट विश्व कप को जिताने में इन्होंने बतौर कोच एक बहुत अहम भूमिका निभाई थी।
एक समय पर भारतीय क्रिकेट की ‘दीवार’ कहे जाने वाले राहुल द्रविड टीम कभी टीम के संकटमोचक माने जाते थे। उन्होंने हर प्रकार से भारतीय क्रिकेट टीम की सेवा की है, चाहे फील्डर हो, या फिर बल्लेबाज, या फिर टीम के कप्तान के तौर पर ही क्यों न हो। राहुल द्रविड के ही नेतृत्व में भारत ने अंतिम बार इंग्लैंड में 2007 में टेस्ट शृंखला 1-0 से जीती थी, और उन्ही के नेतृत्व में भारत ने वेस्ट इंडीज़ में पहली बार 1-0 से 2006 में टेस्ट शृंखला भी जीती थी।
इसके अलावा युवा क्रिकेटरों को तराशने में भी राहुल द्रविड का बहुत अहम योगदान रहा है। जब 2015 में राहुल द्रविड को बीसीसीआई ने जूनियर टीम को प्रशिक्षण देने की कमान सौंपी थी, तो उन्होंने अगले ही वर्ष टीम इंडिया को अंडर 19 विश्व कप के फाइनल में पहुंचाया। वे भले ही वेस्ट इंडीज़ से पराजित हुए, परंतु उन्होंने जुझारू खेल दिखाया।
इसके अलावा अभी हाल ही में बीसीसीआई ने राहुल द्रविड़ को श्रीलंका दौरे के लिए टीम इंडिया का कोच बनाया था, जिसमें वे काफी हद तक सफल भी रहे थे। वास्तव में बोर्ड का मानना है कि टीम को अगले लेवल पर ले जाने और वर्ल्ड क्रिकेट में अजेय बनने के लिए बदलाव की जरूरत है। प्रोटोकॉल के मुताबिक टी20 वर्ल्ड कप के बाद बीसीसीआई नए हेड कोच के लिए आवेदन मंगाएगी। बोर्ड के कुछ अधिकारियों ने राहुल द्रविड़ के नया कोच बनाए जाने के संकेत भी दिए हैं। ऐसे में यदि सब कुछ सही रहा, तो राहुल द्रविड ही फिर से टीम इंडिया के ‘संकटमोचक’ बनेंगे।
लेकिन ये अगर क्रिकेट प्रेमियों के किसी वरदान से कम नहीं है, तो अनुशासनहीन क्रिकेटरों के लिए ये निर्णय किसी दुस्वप्न से कम नहीं होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि राहुल द्रविड को अनुशासनहीनता बिल्कुल भी पसंद नहीं, और यदि आवश्यकता पड़ी, तो वे इसके लिए टीम के कप्तान को भी निष्कासित कर सकते हैं। ऐसे में इस समय यदि रवि शास्त्री के जाने के बाद कोई भारतीय क्रिकेट के सोये भाग्य को जगा सकता है, तो वे केवल राहुल द्रविड हैं।