उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के कई नेता हैं, जो आए दिन सोशल मीडिया पर जहर उगलते रहते हैं। तालिबान का अफगानिस्तान पर कब्जा क्या हुआ, सपा के कुछ मुस्लिम नेताओं को ऐसा लगने लगा कि मानों तालिबानी आतंकी कोई उनके रिश्तेदार ही हैं। ऐसे ही एक नेता शफीकुर्रहमान बर्क हैं, जो भले ही लोकसभा सांसद हों; किन्तु उनकी हरकतें किसी कट्टरपंथी की ही हैं। उन्होंने तालिबानियों के काबुल पर कब्जा करने पर खुशी जताई और उनके प्रति अपना समर्थन जाहिर किया।
सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने तालिबानी आतंकियों की तुलना भारत के स्वतंत्रता सेनानियों से कर डाली। उनका ये बयान ही उनके लिए मुसीबत बन गया है, क्योंकि उनके विरुद्ध राजद्रोह तक का केस दर्ज कर लिया है। हालांकि, ये पहली बार नहीं है कि बर्क ने कोई कट्टरपंथी प्रवृत्ति का बयान दिया हो। अपितु सपा सांसद बर्क हिन्दू घृणा से लेकर वंदे मातरम तक के मुद्दों पर अपनी कट्टरता दिखाने के साथ हिन्दू समुदाय के प्रति अपनी नफरत भी कई बार दिखा चुके हैं।
काबुल में तालिबानी आतंकियों ने कब्जा जमाया और खुश यहां सपा के लोकसभा सांसद शफीकुर्ररहमान हो गए। उन्होंने तालिबान के प्रति अपना समर्थन दर्शाया था। अफगानिस्तान के तालिबानी आतंकियों से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की तुलना करने के मामले में उनके विरुद्ध देशद्रोह का केस दर्ज कर लिया गया है। इस बात की पुष्टि उत्तर प्रदेश पुलिस के ही अधिकारी ने की है।
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संभल जिले के एसपी ने बताया, “हमें शिकायत मिली है कि सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने तालिबान की तुलना भारत के स्वतंत्रता सेनानियों से की है। ऐसे बयान देशद्रोह की श्रेणी में आते हैं, इसलिए उनके खिलाफ धारा 124 ए (देशद्रोह), 153 ए, 295 आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई। दो अन्य लोगों ने भी फेसबुक पर एक वीडियो में ऐसी ही बातें कहीं, उन पर भी मामला दर्ज किया गया है।
दरअसल, सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने कहा था, “तालिबान एक ताकत है, तालिबान ने अपने मुल्क में रूस और अमेरिका जैसे मजबूत देशों के पांव तक नहीं जमने दिए। अब तालिबान अपने मुल्क को आजाद कराकर देश को खुद चलाना चाहता है और यह तालिबान का आंतरिक मामला है। इतना ही नहीं, इस मामले में उन्होंने तालिबान की तुलना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों से कर दी थी, जिसको लेकर अब उनकी मुसीबतें बढ़ सकती हैं।
महत्वपूर्ण बात ये है कि उनके विरुद्ध उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आक्रोश प्रकट किया था। उन्होने कहा था, “मैं एक पार्टी के सांसद का वक्तव्य सुन रहा था। वह तालिबान का बड़ी बेशर्मी के साथ समर्थन कर रहे थे, यानी उनके बर्बर कृत्यों का समर्थन कर रहे थे। हम संसदीय लोकतंत्र में बैठे हैं। हम ऐसे कृत्यों का समर्थन कर रहे हैं जो मानवता के लिए कलंक हैं।” बर्क के इस रवैए से सपा की खूब फजीहत हो रही है। ऐसे में अब जब केस दर्ज हुआ को बर्क के होश ठिकाने आ गए, अब उन्होंने अपने बयान पर सफाई भी दे दी है।
केस दर्ज होते ही बर्क ने अपने पूरे बयान से पलटते हुए कहा, “मैंने ऐसा कोई भी बयान नहीं दिया है। ये गलत है। मैंने कहा था कि मैं इस मुद्दे पर कुछ नहीं कह सकता, उस मुल्क से या तालिबान से मेरा क्या संबंध है। मैं न तालिबान के साथ हूं और न ही उसकी सराहना करता हूं। मैंने इस संबंध में कोई बयान दिया ही नहीं। मैं अपने कानून का सम्मान करता हूं।”
I didn't make any such statement (comparing Taliban with Indian freedom fighters). My statement has been misinterpreted. I'm a citizen of India, not of #Afghanistan, so I've no business with what is happening there. I support my govt's policies: SP MP Shafiqur Rahman Barq pic.twitter.com/gF9bqiuoDh
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) August 18, 2021
स्पष्ट है कि अब जब सपा सांसद को अपने बयान पर कार्रवाई का डर सताने लगा, तो उन्होंने अपना बयान ही बदल दिया, किन्तु ऐसा नहीं है कि बर्क ने कोई पहली बार इस तरह का बयान दिया हो। इससे पहले कोरोनावायरस के इलाज को लेकर वो कह चुके हैं कि नमाज पढ़ने से कोरोनावायरस भाग जाएगा। उनके इस बयान से उनके इस्लामिक कट्टरपंथी और दकियानूसी होने का स्पष्ट प्रमाण मिलता है। वो हमेशा ही वैज्ञानिकी के मुद्दे पर अपनी घृणा जाहिर करते रहे हैं।
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इससे पहले संभल से लोकसभा सांसद शफीकुर्रहमान ने संसद में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान वंदे मातरम बोलने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था, “जहां तक वंदे मातरम का प्रश्न है, तो यह इस्लाम के खिलाफ है। हम इसे नहीं कह सकते हैं।” उनका कहना था कि वंदे मातरम मतलब मां का पूजन और इस्लाम में अल्लाह के अलावा किसी का भी पूजन वर्जित है। सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने वंदे मातरम बोलने को इस्लाम विरोधी बताते हुए इसका विरोध किया था।
स्पष्ट है कि हिन्दू और हिन्दू संस्कृति के प्रति भी उनके मन में विशेष नफरत है। इतने आपत्तिजनक शब्दों के बावजूद कभी-भी इन मुद्दों पर सपा ने उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की। यही कारण है कि सपा के संभल से सांसद महोदय की हिम्मत इतनी अधिक हो गई कि उन्होंने तालिबानी आतंकियों की तुलना भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों तक से कर दी। अब उनका यही रवैया उन पर ही भारी पड़ने वाला है।