आपको झकझोरकर रख देगी ‘शेरशाह’, सिद्धार्थ मल्होत्रा ने कैप्टन विक्रम बत्रा को जीवंत कर दिया

ये फिल्म सिनेमाघरों के लिए बनी थी भाई!

शेरशाह विक्रम बत्रा

‘एक फौजी के रुतबे से बड़ा कोई और रुतबा नहीं होता, वर्दी की शान से बड़ी कोई और शान नहीं होती और देश से बड़ा कोई धर्म नहीं होता!’ बड़े दिनों के बाद एक ऐसी फिल्म सामने आई है, जो न केवल सही को सही और गलत को गलत दिखाती है, बल्कि बिना किसी लाग लपेट के कैप्टन विक्रम बत्रा जैसे हमारे महान जननायकों को उनके शौर्य और उनकी वीरता के लिए सच्ची श्रद्धांजलि भी देती है। ‘शेरशाह’ को देख आपको शायद ही विश्वास हो कि इसे उसी धर्मा प्रोडक्शंस ने निर्मित किया है, जिसने पिछले वर्ष ‘गुंजन सक्सेना– द कारगिल गर्ल’ जैसी घटिया फिल्म को बढ़ावा दिया था, परंतु जब सोनम कपूर ‘नीरजा’ जैसी फिल्म कर सकती है, तो यह तो कुछ भी नहीं है।

फिल्म को धर्मा प्रोडक्शंस ने बनाया है।

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विष्णु वर्धन द्वारा निर्देशित ‘शेरशाह’ भारत के वीर योद्धा, दिवंगत कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित है, जो मात्र 24 वर्ष की आयु में कारगिल के युद्ध में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। इसमें मुख्य भूमिका सिद्धार्थ मल्होत्रा ने निभाई है, जिनका साथ दिया है कियारा आडवाणी, पवन चोपड़ा, शिव पंडित, साहिल वैद, राज अर्जुन इत्यादि ने। कैसे विक्रम बत्रा दूरदर्शन पर आने वाले सीरियल ‘परमवीर चक्र’ से भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित हुए, कैसे उन्होंने जीवन को अपनी शर्तों पर जिया और कैसे उन्होंने देश को कारगिल युद्ध में विजयी करवाने में अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया, ये पूरी फिल्म इस बारे में है।

कैप्टन विक्रम बत्रा का फ़ाइल फ़ोटो।

‘शेरशाह’ उन फिल्मों में से है, जिनमें कमियाँ आपको घास में सुई के बराबर मिलेंगी, यानी लगभग नहीं मिलेंगी। ‘लक्ष्य’ और ‘उरी’ के बाद ये उन फिल्मों में शामिल हुई है, जो न केवल देशभक्ति से ओतप्रोत हैं, बल्कि यथार्थवादी भी है। यह फिल्म केवल 2 घंटा 15 मिनट लंबी है, परंतु एक बार भी आप अपनी दृष्टि इस फिल्म से नहीं हटा पाएंगे। इस फिल्म में हर प्रकार के इमोशन हैं, और जब ये फिल्म खत्म होगी, तो आपके मन में भी एक टीस होगी– आखिर क्यों कैप्टन बत्रा चले गए?

इस फिल्म में कुछ ही गीत हैं, लेकिन वे न कहानी की लय में बाधा डालते हैं, और न ही वे उबाऊ प्रतीत होते हैं। कुछ लोगों को फिल्म में विक्रम बत्रा का व्यक्तित्व अटपटा लग सकता है, परंतु वे वास्तव में ऐसे ही थे– हंसमुख, जीवट और वीरता से परिपूर्ण। डिम्पल से उनका प्रेम प्रसंग भी ठीक वैसा ही दिखाया है, जैसा वास्तविक जीवन में था।

सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ कियारा आडवाणी हैं।

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इसके अलावा कश्मीर की राजनीतिक और सामाजिक परिस्थिति का भी इस फिल्म में बड़ा ही सटीक चित्रण किया है। आम तौर पर दर्शकों को आपत्ति होती है कि फिल्मकार, विशेषकर धर्मा प्रोडक्शंस जैसे प्रोडक्शन हाउस अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के नाम पर आतंकियों का महिमामंडन करते हैं और भारतीय सैनिकों को राक्षसों के तौर पर चित्रित करते हैं, लेकिन यहाँ पर ऐसा कुछ नहीं है। भारतीय सैनिकों, आतंकियों और कश्मीरियों को ठीक वैसे ही चित्रित किया गया है, जैसे वे हैं और जैसे उनकी मनोदशा 90 के दशक में हुआ करती थी।

अभिनय के मामले में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने कैप्टन विक्रम बत्रा और उनके भाई विशाल के रोल को निभाया, उसे पूरी तरह जिया है। सिद्धार्थ मल्होत्रा वैसे एक बुरे अभिनेता नहीं है और उन्होंने ‘एक विलेन’ और ‘अ जेन्टलमैन’ में इसे सिद्ध भी किया है।

फिल्म के एक दृश्य में सिद्धार्थ मल्होत्रा।

अबतक सिद्धार्थ मल्होत्रा के भाग्य और उनके स्क्रिप्ट सिलेक्शन ने उनका साथ नहीं दिया है, लेकिन ‘शेरशाह’ तो उनके करियर के लिए मानो ‘संजीवनी बूटी’ के तौर पर सामने आया है। इस फिल्म के साथ सबसे बड़ा दुर्भाग्य यही है कि यह फिल्म वुहान वायरस के कारण सिनेमाघरों में रिलीज़ नहीं हुई, अन्यथा सिद्धार्थ के अभिनय, और फिल्म के संवादों पर तालियाँ और सीटियाँ दोनों बज रही होतीं।

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जैसे पहले कहा इस फिल्म में कमियाँ ढूँढने से भी न मिले, लेकिन यदि एक दो चीजें न होती, तो ‘शेरशाह’ बॉलीवुड और भारतीय फिल्म उद्योग की उन चंद फिल्मों में शामिल होती, जिन्हे ‘परफेक्ट’ कहा जाता है। एक तो प्रमुख जोड़ी – सिद्धार्थ और कियारा का पंजाबी में बात करना कुछ खास नहीं जंचा। दूसरा, पॉइंट 5140 पर विजयी होने के बाद विक्रम बत्रा का बरखा दत्त के साथ साक्षात्कार भी फिल्म के प्लॉट लाइन के अनुसार जमा नहीं और ऐसा लगा, मानो जबरदस्ती ठूँसा गया था।

इन छोटी समस्याओं को दरकिनार करें तो ‘शेरशाह’ उन चंद भारतीय फिल्मों में शामिल होती है, जो न आतंकियों का महिमामंडन करती है और न ही देशभक्ति के नाम पर भारतीय सेना और भारतीय संस्कृति का अपमान करती है। कैप्टन विक्रम बत्रा की भूमिका में सिद्धार्थ मल्होत्रा ने उस वीर नायक के व्यक्तित्व के साथ पूर्ण रूप से न्याय किया है। यदि वुहान वायरस का प्रकोप न होता, तो इसकी गूंज, देश के हर सिनेमाघर में होती!

TFI इसे देना चाहेगा 5 में से 4 स्टार।

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