श्री कृष्ण की जन्मस्थली, मथुरा, उत्तर प्रदेश का दुग्ध उत्पादक केंद्र बनने के लिए तैयार है

योगी के राज में मथुरा, मांस और शराब का अड्डा नहीं, दुग्ध उत्पादक केंद्र बनेगा!

दूध उत्पादन

हम सबको मालूम है कि भगवान श्रीकृष्ण को माखन कितना प्रिय था। हिन्दू इतिहास के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को दूध से बने हुए सभी चीज बहुत प्रिय थी और यही कारण था कि गाय के साथ उनका मन हमेशा लगा रहता था। हमारे यहां सदियों से शाकाहारी भोजन करने की परंपरा रही है और इसी कारण से हमारे देश में दुनिया के सबसे ज्यादा शाकाहारी लोग रहते है। हमारे यहां पर खाद्य सामग्री में दूध से बने उत्पादों की हिस्सेदारी ज्यादा रहती है। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तरप्रदेश में फिर से दूध क्रांति लाने की पहल कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा में मीट और शराब पर पाबंदी लगाकर दूध उत्पादन को बढ़ावा देने का काम तेज कर दिया है।

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के दिन मथुरा में मौजूद मुख्यमंत्री ने शराब और मांस पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। यह प्रतिबंध पूरे मथुरा जिले में लागू होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी सुझाव दिया है कि मथुरा की महिमा को पुनर्जीवित करने के लिए, शराब और मांस व्यापार में लिप्त लोग दूध बेचना शुरू कर सकते हैं, क्योंकि एक लंबे समय से मथुरा को भारी मात्रा में पशु दूध उत्पादन के लिए जाना जाता रहा है।

दूध ही क्यों?

दूध और दुग्ध उत्पादन भारतीय अर्थव्यवस्था का हिस्सा रहे है। हमारे ऐतिहासिक धरोहर में स्वस्थ खान पान का महत्वपूर्ण स्थान है। हिन्दू धर्मग्रंथों में दुग्ध उत्पादों का सेवन देवताओं को भी प्रिय बताया गया है I  इसका कारण यह माना जा सकता है कि पुराने समय में लड्डू, पनीर आदि को ही बढ़िया भोजन माना जाता था, इनकी शुद्धता और पौष्टिक तत्व आज भी हम सब जानते है।

भगवान श्री कृष्ण को माखन, घी, दही, दूध बहुत पसंद था। कृष्ण जी के बाल्यकाल से लेकर बड़े होने तक, अधिकतर जगह उनका गाय और दुग्ध उत्पादों से प्रेम बताया गया है।

जो लोग मांस और शराब के व्यापार पर जिंदा थे, वो कैसे रोजी-रोटी चलाएंगे?

इसका उत्तर है दूध उत्पादन। हमारे देश में दुग्ध उत्पादन का बहुत बड़ा बाजार है। एक कहावत तो यह भी कही जाती है कि दूध आजतक कभी भी ज्यादा नही हुआ है। इसका सम्बंध हमारे भारतीय खानपान से समझा जा सकता है। हमारे यहां लोग सादा दूध पीते है, खाने में घी खाते है, दही सुबह का नाश्ता है। पनीर की सब्जी तो आज भी सबसे प्रिय सब्जियों में से एक है और भारतीय जनता का मिठाइयों से प्रेम किसी से छिपा नही है। दूध जितना ज्यादा होगा, छेना और खोवा उतना सस्ता होगा, उतनी ही खपत बढ़ेगी और रोजगार सबको मिलता रहेगा।

हाल ही में, दुग्ध उत्पादन में उत्तर प्रदेश ने देश में प्रथम स्थान प्राप्त करके कीर्तिमान स्थापित किया है। राजस्थान दूसरे और आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है। राज्य में दूध का उत्पादन लगातार बढ़ा है। एक सरकारी आंकड़ो के अनुसार 2016-17 में उत्तरप्रदेश में दूध का कुल उत्पादन 277.697 लाख मीट्रिक टन था, जो 2019-20 में बढ़कर 318.630 लाख मीट्रिक टन हो गया है। राज्य ने पिछले चार वर्षों में 1,242.37 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन किया है

दूध उत्पादन में वृद्धि से यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को भी बढ़ावा मिलता दिख रहा है। पिछले चार साल में अमूल समेत छह बड़ी कंपनियों ने विभिन्न डेयरी परियोजनाओं में 172 करोड़ रुपये का निवेश किया है। बाकी सात कंपनियां भी यहां निवेश करने को इच्छुक हैं। पराग डेयरी ने भी मथुरा में सबसे बड़ा केंद्र 2019 में खोला है। इसके अलावा, 15 निवेशकों ने अपनी इकाइयां स्थापित करने की पेशकश की है। ऐसे में मथुरा एक बड़े केंद्र के रूप में उभर कर सामने आ सकता है। सिर्फ मथुरा ही नहीं, देश में हर गांव तक विकास का रास्ता बनाया जा सकता है।

योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में गौ रक्षा केंद्र स्थापित करने के लिए 272 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। सरकार के इस कदम से बेसहारा और लावारिस गायों के संरक्षण और रखरखाव की व्यापक व्यवस्था की गई है। ऐसे 118 गौ संरक्षण केंद्र बनकर पूर्ण हो गए है।

सड़क रास्तों से गांव अब जुड़ रहे है। प्रदेश में यातायात व्यवस्था बहुत बदली है। गांव में बहुत सारी चीजों को नहीं किया जा सकता है लेकिन जो किया जा सकता है उसमें सबसे बड़ा हिस्सा खेती, किसान और ग्रामीण व्यवस्था से उत्पन्न चीजें है, जिसमें दूध भी शामिल है। योगी आदित्यनाथ के इस फ़ैसले से पूरा प्रदेश वृंदावन होगा जहां शराब और मांग नही, दूध दही और पनीर का सेवन होगा।

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