पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के बाद भी आलाकमान के लिए सिरदर्द बने सिद्धू

गांधी परिवार ने पर काटने के संकेत दे दिए हैं!

अध्यक्ष सिद्धू

आए हो कांग्रेस की ज़िंदगी में तुम बवाल बनके…हाँ! यहाँ पंजाब कांग्रेस की बात तो हो रही है और जो बवाल उक्त पंक्ति में चिन्हित किया गया है वो और कोई नहीं पंजाब कांग्रेस इकाई के जबरन बने अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू हैं। अब तक यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि सिद्धू को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस आलाकमान ने सीएम अमरिंदर सिंह को बैकफूट पर धकेल दिया था पर हालिया घटनाक्रमों ने तो सारा पासा ही उलट करके रख दिया। बुधवार को पार्टी महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि आगामी चुनाव कैप्टन के नेतृत्व में ही लड़े जाएंगे। अब ऐसा लगता है कि सिद्धू के मन की आशा धरी की धरी रह जाएंगी।

हाल ही में सिद्धू के कहने पर राज्य के कई मंत्री और कांग्रेसी विधायक अमरिंदर के विरुद्ध खड़े हो गए थे और सीएम बदलने की मांग करने लगे थे। इन सभी का एक दल देहरदून जाकर हरीश रावत से भी मिला जिसके बाद सब साफ हो गया और कैप्टन की कप्तानी सुनिश्चित हो गई। हालिया घटनाक्रमों में सिद्धू की प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी एक बड़ी घटना थी, उसके बाद तो यह तय माना जा रहा था कि आलाकमान अब सिद्धू से हाथ मिला चुका है और अमरिंदर को वरियता देने से बच रहा है। हालांकि, इन सभी बातों पर पूर्णविराम लग चुका है और अमरिंदर के अस्तित्व को ललकारने वाले सिद्धू को आलाकमान से धमकी भरा निर्देश भी प्राप्त हो चुका है।

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प्रदेश इकाई की कमान हाथ में आते ही हाल ही में सिद्धू ने नई रीति-नीति आरंभ करते हुए अमरिंदर को टक्कर देने के लिए अपने 4 सलाहकार नियुक्त कर दिए थे। हास्यास्पद बात यह है कि इन चार में से दो ने सिद्धू का ही गेम बजा दिया अर्थात ऐसे बयान और ट्वीट कर भद्द पिटवाई जो देश विरोधी भाव से कम नहीं थे। दरअसल, सिद्धू के सलाहकारों में हाल ही में शामिल हुए मालविंदर सिंह माली और प्यारे लाल गर्ग बीते कुछ दिनों से पाकिस्तान, कश्मीर और इंदिरा गांधी पर दिए अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में हैं। इतना ही नहीं, मालविंदर सिंह माली कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं और उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में अमरिंदर सिंह को ‘अली बाबा’ तथा उनके सहयोगियों को ‘चालीस चोर’ बताया था।

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इसके बाद से कांग्रेस नेतृत्व सिद्धू से रुष्ट चल रहा था, क्योंकि जब से सिद्धू ने अध्यक्ष पद की कमान हाथ में ली है, उस दिन से उन्होंने विपक्षी दलों को छोड़ मात्र अमरिंदर और अपनी सरकार को ही घेरा है। इससे कांग्रेस की इतनी निंदा और जगहसायी हुई कि कांग्रेसी नेता बगले झाँकने लगे। प्रभारी हरीश रावत से ये पूछे जाने पर कि पार्टी इस विवाद से कैसे निपटेगी, रावत ने कहा कि, “इन सलाहकारों को पार्टी द्वारा नियुक्त नहीं किया गया था। हमने सिद्धू से उन्हें बर्खास्त करने के लिए कहा है। अगर सिद्धू ऐसा नहीं करते हैं, तो मैं करूंगा। हम ऐसे लोग नहीं चाहते जो पार्टी को शर्मिंदा करें।” इससे सिद्धू की मनमानी और स्वयं को सर्वोपरि मानने वाली भावना पर अंकुश लग गया।

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अब जब कांग्रेस आलाकमान ने एक तरह से अमरिंदर को कप्तान बना प्रस्तुत कर ही दिया है, उससे कांग्रेस आलाकमान के सिरदर्द सिद्धू अब अवश्य ही थोड़े निराश होंगे क्योंकि वो अमरिंदर को इसी चल में मात देने के प्रयास कर रहे थे जो उन्हीं पर पलटवार होती साबित हुई। अब कांग्रेस में अमरिंदर का सर्वस्व बढ़ता देख सिद्धू गुट में खलबली मच चुकी है तथा सिद्धू भी इस असहनीय दुख को झेलते हुए यह अवश्य सोच रहे होंगे कि- ये दुख खत्म क्यों नहीं होता है रे?

 

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