लम्बे समय तक भारत दुनिया में सबसे अधिक कॉरपोरेट टैक्स लेने वाले देशों में एक था। हालांकि मोदी सरकार ने इसमें सुधार लागू करके कॉरपोरेट टैक्स कम कर दिया। इसी तरह भारत में इनकम टैक्स भी दुनिया के कई देशों से अधिक है। हालांकि, भारत में टैक्सपेयर को वैसी सुविधाएं नहीं मिलती जैसी किसी विकसित देश में मिलती हैं। आम आदमी के लिए यह सामान्य बात है कि उसके तय वेतन का एक हिस्सा सरकार पहले ही ले लेती है। एक आम आदमी साबुन खरीदता है तो भी वह सरकार को टैक्स दे रहा होता है। तब आपको कैसा लगेगा यदि आपको पता चले कि आपके टैक्स का उपयोग विधायक, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों के टैक्स भरने में किया जा रहा है।
Times now की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश में कई ऐसे प्रदेश हैं जहाँ विधायकों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री तक का टैक्स, सरकारी फंड से दिया जाता है। अब सरकारी फंड का पैसा आपकी और हमारी जेब से जाता है। कह सकते हैं कि जनप्रतिनिधियों द्वारा अपना टैक्स आपके टैक्स के पैसे से भरा जा रहा है।
Times Now की रिपोर्ट की मानें तो जनता के पैसे से सैलरी भी ली जा रही है और इनका टैक्स भी दिया जा रहा है, जबकि विधायक टैक्स देने में सक्षम है।
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हाल ही में पंजाब सरकार ने अपनी आर्थिक तंगी को लेकर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, लेकिन उसी पंजाब में करोड़पति विधायकों का टैक्स सरकार दे रही है। ये केवल एक दल की बात नहीं है, बल्कि ऐसे विधायक हर दल से आते हैं।
आम आदमी पार्टी के विधायक अमन अरोड़ा की संपत्ति का मूल्य 65.9 करोड़ है और उनकी मासिक कमाई 1.52 करोड़ है, लेकिन उनका टैक्स सरकार दे रही है। उनसे सवाल करने पर उन्होंने कहा कि वह पहली बार विधायक बने हैं इसलिए उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। लगभग 5 साल से उनका टैक्स सरकार भर रही है और उन्हें अब तक इसकी जानकारी नहीं हुई।
शिरोमणि अकाली दल के विधायक परमिंदर डिंडसा की मासिक कमाई 30.6 लाख है और उनकी कुल संपत्ति की कीमत 9.2 करोड़ रुपये है। जब उनसे इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वह अपनी पार्टी से पूछे बिना इसपर कोई जवाब नहीं दे सकते। पहले पार्टी मीटिंग में यह तय होगा कि उन्हें टैक्स स्वयं भरना चाहिए या नहीं, उसके बाद ही वह कोई जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि टैक्स में मिलने वाली छूट खत्म होनी चाहिए या नहीं यह पार्टी का फैसला होगा, उनका व्यक्तिगत फैसला नहीं होगा।
यही हाल कांग्रेस विधायक परमिंदर पिंकी का है, उनकी मासिक आय 54.6 लाख और सम्पत्ति की कीमत 10 करोड़ है, लेकिन उनका भी टैक्स सरकार देती है। ऐसा हाल केवल पंजाब का नहीं है, भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश, हरियाणा आदि कई राज्य ऐसे हैं जहाँ यही नियम लागू हैं। अब भाजपा जो केंद्र में भी सत्ता में है तो क्या सरकार को भाजपा शासित समेत अन्य राज्यों में करदाताओं के पैसों के साध की जा रही धांधली के बारे में कोई जानकारी नहीं है? और यदि है तो अभी तक इस पर कोई कार्रावाई क्यों नहीं की गई?
क्षेत्रीय दलों की बात करें तो तेलंगाना में TRS, आंध्र प्रदेश में YSR कांग्रेस आदि भी इसमें सुधार करने को तैयार नहीं है।
चंद्रशेखर राव, जगहमोहन, शिवराज सिंह चौहान आदि कोई भी नेता ऐसी मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं रखता कि वह इस नियम में बदलाव करे। यह नियम देश की आजादी के समय से है। विधायकों को टैक्स में छूट मिलेगी, अर्थात सरकार उनका टैक्स भर देगी, यह विधानसभा के अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर करता है। मुख्यमंत्री चाहे तो इस नियम में बदलवा कर सकता है। देश में सबसे पहले यह नियम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में बदला। योगी सरकार ने VIP कल्चर को समाप्त करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड में भी अब यह नियम बदल गया है।
यह एक ऐसा प्रश्न है जो किसी दल विशेष से नहीं जुड़ा है। नेता चाहे तो अपनी इच्छाशक्ति से बदलाव कर सकता है। जैसे संसद में मोदी सरकार ने खाने की सब्सिडी से लेकर अन्य कई प्रकार की अनावश्यक सुविधाओं में बदलाव कर दिया। मोटर व्हीकल एक्ट में सुधार करके लालबत्ती सिस्टम को खत्म कर दिया। अब सवाल ये है कि ये मामले केंद्र सरकार या किसी अन्य नेता द्वारा अभी तक क्यों नहीं उठाया गया? ऐसा तो हो नहीं सकता कि उन्हें इसकी जानकारी न हो। क्या एक-दूसरे के फायदे के लिए ये सभी नेता अभी तक चुप हैं? वास्तव में अब अन्य राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा इन खामियों में भी यह सुधार करना चाहिए। संसाधनों की खुली लूट बन्द होनी चाहिए।