Fake News फैलाने में माहिर साकेत गोखले ने छोड़ा काँग्रेस का ‘हाथ’, TMC से जोड़े तार

इधर रहें या उधर फैलाना इन्होंने झूठ ही है!

साकेत गोखले टीएमसी

जिन मक्कारों का कोई नहीं होता, उसकी ममता और टीएमसी तो है ही। कांग्रेस प्रेमी साकेत गोखले अब अपने विचारों की पोटली लेकर अपने नए गंतव्य यानि टीएमसी तक पहुँच चुके हैं। जिन विचारों का अनुसरण अब तक साकेत गोखले करते आये हैं, उन्हें आधुनिक दुनिया में FAKE NEWS के नाम से जाना जाता है। यही नहीं, ब्लू टीक धारी गोखले अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से कई बार नकली और तथ्यहीन खबरें प्रसारित और प्रचारित कर चुके हैं, क्योंकि अधिकांश बातें केन्द्र की मोदी सरकार के विरुद्ध होती हैं। यही कारण है कि ममता बनर्जी ने अपने कुनबे में फेक न्यूज़ फैक्टरी के एक और कारीगर को अपनी पार्टी में शह दे दी है। वहीँ, पार्टी में शामिल होने से गोखले के पुराने चिट्ठे फिरसे आवाज़ दे रहे है क्योंकि उनमें छल और वैमन्सयता की दुर्भावना जुडी हुई है, और लाख छुपाने से भी वो छुपने वाले नहीं हैं।

फेक न्यूज़ के पुराने खिलाडी हैं गोखले !

ऐसा नहीं है कि, साकेत ने किसी पर ऐसे आरोप पहली बार लगाए हों, इनके द्वारा झूठ परोसने का इतिहास काफी पुराना है। वहीँ, कुछ महीनों पूर्व यही साकेत गोखले अपने इन्हीं कर्मों की वजह से निरंतर चर्चाओं में बने हुए थे।
दिलचस्प बात यह है कि राहुल गांधी के प्रेम में डूबे हुए साकेत जो नकली खबरें फैलाने के पक्षधर रहे हैं,  अब उन्होंने राहुल गांधी का ‘हाथ’ और साथ दोनों ही छोड़ दिया है क्योंकि कांग्रेस की चुनावी किस्मत ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही है। अब जब पैसा और स्त्रोत बंद होते दिखे तो जहां बयार बहती दिखी, साकेत उसके हो लिए।

 

पिछले साल, गोखले ने दावा किया था कि उन्होंने बीजेपी का मुकाबला करने के लिए 22 लाख रुपये से अधिक एकत्र किए थे और सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालों को खत्म करने के लिए अभियान शुरू किया था। समय-समय पर गोखले ने दावा किया है कि वह अपने अभियान के लिए काम कर रहे लोगों के खर्चों के भुगतान के लिए एकत्रित धन का उपयोग करने का इरादा रखते हैं, पर सत्य तो यह है कि अपनी जेब भरने के लिए साकेत गोखले जैसे लोग पैसा कमाने के लिए झूठ के बल पर अपने ही घर की नीलामी और बदनामी बीच बाज़ार कर दें। हालांकि, गोखले पर अपने निजी इस्तेमाल के लिए धन की हेराफेरी करने के गंभीर आरोप भी लगे हैं। गोखले अक्सर सोशल मीडिया पर असल तथ्य छुपकर झूठी बातें करने के लिए चर्चाओं में बने रहते हैं।

दरअसल, साकेत गोखले ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की पत्नी लक्ष्मी पुरी ने स्विट्ज़रलैंड में ढाई मिलियन डॉलर की कीमत का एक घर बिना किसी वैध दस्तावेज़ के खरीदा है। इसमें अवश्य कोई घोटाला हुआ है, जिसके लिए हरदीप पुरी और लक्ष्मी पुरी कि जांच होनी चाहिए। यह मामला भी साकेत ने ट्विटर पर ही धड़ल्ले से एक के बाद एक ट्वीट करते हुए उठाया था। अंत में, चोर की दाढ़ी में तिनका नज़र आया और गोखले को झठ और मिथ्या फ़ैलाने पर फटकार लगी।

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साकेत गोखले ने पूर्व में कई कारनामें किये हैं, परन्तु तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन करने से मात्र एक दिन पहले साकेत ने ऐसे ही एक आडंबर को अपनी विचारधारा के अनुकूल सबके समक्ष पेश किया जिसमें कही गयी बातें असल में गोखले के झूठ को उजागर कर रही हैं। कांग्रेस पार्टी के पूर्व समर्थक और राहुल गांधी के प्रशंसक साकेत गोखले, एक बार फिर ट्विटर पर फर्जी खबरें फैलाते हुए पकड़े गए।

नए दावे में पीएम मोदी को घेरना चाहा, खुद ही गिर गए….

बुधवार को, साकेत गोखले ने ट्विटर पर दावा किया कि मोदी सरकार ने संसद के पटल पर झूठ बोला। स्व-घोषित कार्यकर्ता ने दावा किया कि सरकार ने एफसीआई के गोदामों में अनाज की बर्बादी के बारे में झूठ बोला था, यह कहते हुए कि पिछले पांच वर्षों में खाद्यान्न की “शून्य बर्बादी” हुई थी।

साकेत गोखले ने भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा और लल्लू सिंह द्वारा उपभोक्ता मामले, खाद्य और लोक प्रशासन मंत्रालय को एक प्रश्नावली की एक तस्वीर पोस्ट की ताकि पता लगाया जा सके कि भारत के भारतीय खाद्य निगम (FCI) और केंद्रीय भंडारण निगम (CWC) के गोदामों में भंडारण क्षमता की कमी के कारण हर साल कितना अनाज सड़ गया या बर्बाद हो गया है।

प्रश्न का उत्तर देते हुए, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने यह कहा कि भारतीय खाद्य निगम और केंद्रीय भंडारण में भंडारण स्थान/गोदामों की कमी के कारण देश में निगम (सीडब्ल्यूसी) के गोदाम में केंद्रीय खाद्यान्न स्टॉक (गेहूं और चावल) का स्टॉक न बर्बाद हुआ है और न ही सड़ा या खराब हुआ है।

हालांकि, साकेत गोखले, जिनका नाम ही फ़र्ज़ी खबरे फैलाने वालों में सबसे पहले लिया जाता है, उन्होंने वामपंथी प्रचार का ज़िम्मा संभल रहे द वायर की एक संदिग्ध रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि 2020 में लॉकडाउन के दौरान एफसीआई के गोदामों में 1,500 टन से अधिक अनाज बर्बाद हो गया था।

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मोदी सरकार के खिलाफ प्रचार करने की अपनी हड़बड़ी में, साकेत गोखले ने खाद्यान्न की बर्बादी पर सार्वजनिक आंकड़ों को मिश्रित कर नकली समाचारों का प्रचार किया। साकेत गोखले ने गोदामों में अनाज की बर्बादी के बारे में कुल बर्बादी का डेटा (जो विभिन्न कारणों से हो सकता है) यह दावा करने के लिए डाला कि कोरोना के दौरान हुए लॉकडाउन के दौरान 1,500 टन से अधिक अनाज बर्बाद हो गया है।

हालांकि, भाजपा के दो सांसदों द्वारा उठाया गया सवाल एफसीआई के गोदामों में अनाज की कुल बर्बादी पर नहीं था, बल्कि गोदामों या भंडारण क्षमता की कमी के कारण बर्बादी के बारे में था। जवाब में, मोदी सरकार ने सार्वजनिक डेटा प्रदान किया है, जिसका संचय करने का अधिकार उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को दिया गया है, ताकि आंकड़ों में स्पष्टता बनी रहे।

ममता की होगी बल्लेबल्ले।

साकेत गोखले द्वारा किया गया ट्वीट यह दावा करते हुए कि स्टॉक और अनाज बर्बादी के बारे में पूछे जाने पर मोदी सरकार ने संसद में झूठ बोला, यह सरासर तथ्यहीन और गलत है। अपने इन कर्मों से वो टीएमसी को गति प्रदान करने में अवश्य सहायक होंगे क्योंकि ममता को वही जमते हैं जो फेक न्यूज़ का आडंबर समाज में गढ़ सके।  साकेत अपनी FAKE NEWS वाली हाज़िरजवाबी से अपना तो बंटाधार कर ही चुके हैं, उसी क्रम में अब साकेत गोखले ने टीएमसी का सत्यानाश करने का बीड़ा उठा लिया है। आने वाले समय में खेल और भी दिलचस्प होने जा रहा है, जिस प्रकार फ्यूज़ बल्बों की झालर एक के बाद टीएमसी में समहाती जा रही हैं।

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