जब प्रशासक नियमों को लेकर दृढ़ संकल्पित होता है तो हठधर्मिता का अंत स्वाभाविक है। आईटी नियमों के परिवर्तन में मोदी सरकार का दृढ़ संकल्प भी अब सफल हुआ है। Facebook और WhatsApp ने तो भारत सरकार के समक्ष पहले ही घुटने टेक दिए थे, मोदी कैबिनेट के विस्तार के पश्चात नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के कठोर वचनों के आगे ट्विटर की भी पूरी हेकड़ी हवा हो गई है।
केवल एक अधिकारी की नियुक्ति के संबंध में टाल-मटोल करने वाला Twitter अब नियमों को मानने के लिए तैयार हो गया है। टविटर भारत सरकार के नए प्रावधानों से इतना अधिक भयभीत हो गया है कि अमेरिकी आईटी कंपनी ने सरकार के नियमों को स्वीकृति देते हुए तीनों अधिकारी एक ही झटके में नियुक्त कर दिए है। इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय में ट्विटर ने नए निर्णयों से संबंधित जानकारियां दी हैं।
भारतीय आईटी नियमों और विधानों को स्वीकृति देने के विषय में मोदी सरकार के सामने सर्वाधिक नौटंकियां अमेरिकी माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने ही की थीं। भारत सरकार के साथ ट्विटर का रवैया कुछ ऐसा था कि उसके बैन होने की स्थिति तक आ गई थी। इसके विपरीत अब ये मामला ही ठंडा हो चुका है।
नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के आने के बाद से ही ट्विटर मोदी सरकार के सामने झुकने की मुद्रा में आ गया था। वर्तमान स्थिति ये है कि Twitter भारत सरकार के नए आईटी नियमों को पूर्णतः लागू कर चुका है, जोकि उसके भय को प्रतिबिंबित करता है।
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दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबे समय से चल रहा सरकार बनाम ट्विटर का मामला अब ठंडा पड़ गया है। दिल्ली उच्च न्यायालय को दिए अपने उत्तर में ट्विटर के अधिवक्ता ने कहा कि Twitter ने सरकार द्वारा घोषित नए नियमों के आधार पर अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। Twitter के अधिवक्ता साजन पुवैया ने कहा, “कंपनी ने नए आईटी नियमों के अनुपालन में चार अगस्त को सीसीओ, आरजीओ और नोडल संपर्क अधिकारी के पदों के लिए स्थाई अधिकारियों की नियुक्ति की है। न्यायालय के पूर्व के आदेश के अनुपालन में एक हलफनामा भी पेश किया गया है।”
महत्वपूर्ण बात ये भी है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्विटर के एक ‘अस्थायी कर्मी’ को सीसीओ नियुक्त करने के निर्णय पर रोष प्रकट किया था एवं स्पष्ट रूप से कहा था कि मोइक्रोब्लॉगिंग साइट ने नए आईटी नियमों का पालन नहीं किया है, जो कि आलोचनात्मक है।
सरकार के साथ चल रहे इस टकराव के विषय में दिल्ली उच्च न्यायालय ने ये सहमति तक दे दी थी कि नए आईटी नियमों की अवहेलना के संबंध में सरकार अपने नियमों के अनुसार Twitter पर कोई भी कड़ा कदम उठाने के लिए स्वतंत्र है।
दूसरी ओर नए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव न्यायालय में मामला लंबित होने के चलते कोई आक्रामक वक्तव्य तो नहीं दे रहे थे, किन्तु, उनका एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर का ये स्पष्ट रूप से कहना था कि ट्विटर के लिए भारतीय कानूनों पर सहमति देना अनिवार्य है। वहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी Twitter को अंतिम चेतावनी देते हुए 6 अगस्त तक नियमों की सहमति के संबंध में हलफनामा देने को कहा था।
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एक तरफ केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और राजीव चंद्रशेखर धैर्य धारण किए हुए थे किन्तु उनका रवैया आक्रामक था। ऐसे में अगर ट्विटर दिल्ली उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश को भी नजरंदाज कर देता, तो उसके लिए भविष्य का मार्ग कठिन हो जाता। ऐसे में ये साफतौर पर कहा जा सकता है कि ट्विटर ने अब भारत के आगे पूर्ण रूप से घुटने टेक दिए हैं।