हाल ही में उद्धव ठाकरे के प्रशासन ने ममता बनर्जी के उदाहरण से सीख लेते हुए मोदी सरकार को खुलेआम चुनौती दी है। केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को मंगलवार को महाराष्ट्र पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ उनकी अज्ञानता पर टिप्पणी की थी। फिलहाल, रायगढ़ में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने नारायण राणे को 15000 रुपये के बांड पर बेल दे दी है। परंतु आखिर ऐसा क्या कारण है कि एक तरफ एक अकर्मण्य प्रशासक, जो खुलेआम भाजपा नेताओं को चप्पलों से मारने की बात करता है, खुला घूम रहा है, और दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री, जिसने उस अकर्मण्य प्रशासक को उसकी अज्ञानता पर दर्पण दिखाया, उसे हिरासत में ले लिया गया?
कुछ लोग मोदी सरकार के कथित मौन पर सवाल उठा रहे हैं, तो कुछ लोग उद्धव ठाकरे की तानाशाही रवैए की आलोचना कर रहे हैं, लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि जो लोग उद्धव ठाकरे के योगी को चप्पलों से मारने वाले बयान पर खुश थे, आज वही नारायण राणे के विरुद्ध कार्रवाई पर मौन साधे बैठे हैं। आखिर ये भेदभाव किसलिए?
दरअसल, इस समय नवनियुक्त केंद्रीय मंत्रियों द्वारा पूरे देश में जन-आशीर्वाद यात्रा निकाली जा रही है। इसी यात्रा के दौरान अपने एक भाषण में नारायण राणे ने स्वतंत्रता दिवस के विषय पर उद्धव ठाकरे की अज्ञानता को रेखांकित करते हुए कहा कि यदि ये वे होते, तो इस बात के लिए उन्हें थप्पड़ मारते । बस इसके बाद शिवसेना कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में राणे के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे। नारायण राणे के विरुद्ध 49 एफआईआर दर्ज की गई, और उन्हें हिरासत में भी लिया गया। हालांकि, उन्हें निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। हालांकि, ये पूरा मामला उद्धव के घमंड को भी दर्शाता है जिन्होंने प्रोटोकोल्स का पालन न करते हुए एक केंद्रीय मंत्री को गिरफ्तार करवा दिया।
गौरतलब है कि जब उद्धव ठाकरे ने इस प्रकार का आपत्तिजनक बयान दिया था, तब शिवसेना और महाविकास आघाड़ी को मानो सांप सूंघ गया था। 2018 में चुनाव प्रचार के समय उद्धव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करने पर आपत्ति जताते हुए कहा था, “शिवाजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते वक्त योगी आदित्यनाथ ने खड़ाऊं पहन रखे थे, उन्होंने ऐसा करके शिवाजी का अपमान किया। यह योगी तो गैस के गुब्बारे की तरह है, जो सिर्फ हवा में उड़ता रहता है। आया और सीधे चप्पल पहनकर महाराज के पास गया। ऐसा लग रहा है उसी चप्पल से उसे मारूं”।
लेकिन चप्पलों से मारने ओछे बयानों पर उद्धव के विरुद्ध कोई टिप्पणी तो छोड़िए, कार्रवाई तक नहीं होगी। परंतु उसके विरुद्ध एक शब्द भी किसी ने अगर बोल दिया, तो शिवसेना के गुंडे उसे कहीं का नहीं छोड़ेंगे। लेकिन अपने घमंड में उद्धव ठाकरे भूल रहे हैं कि अकड़ से सरकार नहीं चलती और न जनता ऐसे नेताओं को कोई सम्मान देती है।