राजनीतिक प्रतिष्ठा का लाभ लेकर किए गए कार्य मुसीबत का पर्याय ही होते हैं। महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार का नेतृत्व कर रहे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी अब ये समझ लेना चाहिए। दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान उद्धव सरकार के अनैतिक कार्यों की एक पूरी फाइल तैयार हो चुकी हैं। इसमें उनके मंत्रियों के विरुद्ध गंभीर अपराध भी शामिल हैं। उद्धव सरकार में पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के ऊपर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है। इस मामले में उद्धव सरकार में परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी संलिप्तता के आरोप हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने इस विषय पर अनिल परब के विरुद्ध अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, जोकि महाराष्ट्र सरकार के ऊपर भारी पड़ने वाला है। दरअसल, हाल ही में नारायण राणे की गिरफ्तारी मामले में अनिल परब की विशेष सक्रियता दिखी थी।
100 करोड़ की वसूली का मामला हो या सचिन वाझे का केस। सभी की जांच केंद्रीय जांच एजेंसियों के पास ही है। उद्धव ठाकरे को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के करीबी अनिल देशमुख को केवल इसीलिए हटाना पड़ा क्योंकि उनकी सरकार की छवि निरंतर बिगड़ रही थी।
अनिल देशमुख इस मुद्दे पर तो पहले ही ईडी सीबीआई की रडार पर थे, लेकिन अब इसी मामले में ईडी ने महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब को भी लपेटे में लिया है। अनिल परब पर भी कुछ व्यापारियों ने वसूली के आरोप लगाए थे, किंतु अब मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उनके तीन ठिकानों पर छापेमारी भी की गई है।
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ईडी के अधिकारियों ने अचानक अनिल परब से संबंधित ठिकानों पर न केवल छापेमारी की, अपितु उन्होंने परब को ईडी के सामने पेश होने का नोटिस भी जारी किया है।
अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र विधानपरिषद के सदस्य अनिल परब के विरुद्ध मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों ने कुछ विशेष खुलासे किए हैं, जिसके चलते उनसे ईडी द्वारा पूछताछ की जाएगी। एक तरफ अनिल परब पर कार्रवाई हो रही है, तो दूसरी शिवसेना सांसद भावना गवली भी ईडी के निशाने पर आ गई हैं।
दरअसल, बीजेपी ने भावना पर 100 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया था, जिसकी शिकायत उन्होंने ईडी के समक्ष की थी अब उसी शिकायत के आधार पर ईडी ने भावना गवली के विरुद्ध कार्रवाई करना शुरु कर दिया है। ईडी ने भावना के वाशिम एवं यवतमाल के दफ्तरों से जुड़े पांच स्थानों पर छापेमारी की है।
अपने नेताओं के विरुद्ध केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा हो रही ताबड़तोड़ कार्रवाई ने शिवसेना को हिलाकर रख दिया है। इसको लेकर शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने आक्रामक रवैया अपनाते हुए इसे बीजेपी की चाल बताया है।
राउत ने कहा, “ईडी द्वारा जारी नोटिस कोई डेथ वारंट नहीं है, बल्कि राजनीतिक कार्यकतार्ओं के लिए तो यह एक लव लेटर (प्रेम पत्र) के समान है। महा विकास अघाड़ी सरकार की दीवार को तोड़ने के कई असफल प्रयासों (विपक्षी भाजपा द्वारा) के बाद केवल ऐसे प्रेम पत्रों की आवृत्ति बढ़ी है, जो मजबूत और अभेद्य बनी हुई है। हम इससे डरते नहीं हैं।”
स्पष्ट है कि शिवसेना नेताओं एवं राज्य के मंत्रियों के विरुद्ध ईडी की कार्रवाई के बाद अब महाराष्ट्र एवं केंद्र सरकार के बीच नया टकराव प्रारंभ हो गया है। हालांकि, ये कभी खत्म ही नहीं हुआ था, क्योंकि पिछले दो वर्षों में ये सतत् जारी है। इसकी हालिया शुरुआत तब हुई जब मोदी सरकार के कद्दावर मंत्री नारायण राणे को अचानक केवल एक बयान के लिए गिरफ्तार किया गया।
उस समय ही तय हो गया था कि अब टकराव बढ़ेगा। दिलचस्प बात ये है कि जिन अनिल परब के विरुद्ध धड़ाधड़ ईडी कार्रवाई कर रही है है, उनकी नारायण राणे की गिरफ्तारी में विशेष भूमिका थी। अनिल परब का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वो पुलिस अधिकारियों को राणे पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश देते दिख रहे थे।
अनिल परब की नारायण राणे की गिरफ्तारी में विशेष भूमिका सामने आने के बाद ही संभावनाएं थीं कि उनके खिलाफ शिकंजा कसा जाएगा, एवं अब वैसा ही हो रहा है। पहले अनिल देशमुख और अब अनिल परब पर कार्रवाई दिखाती है कि राज्य सरकार के कुकर्मों के कारण केंद्रीय जांच एजेंसियां वैधानिक रुप से कार्रवाई जारी रखेंगी, जोकि महाविकास अघाड़ी सरकार के लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर सकता है और ये कार्रवाईयां ही उद्धव सरकार के बिखरने की वजह भी बन सकती हैं।