अफगानिस्तान से भागकर आ रहे लोगों को अस्थायी ई-वीज़ा दिया जा रहा है, वो क्या है? विस्तार से समझिए

शानदार!

अफगान ई-वीजा

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद शरणार्थी अफ़ग़ानिस्तान से बस किसी भी तरह अन्य देश निकल जाना चाहते हैं चाहे वह पूरब का देश हो या पश्चिम का। एक तरफ पश्चिम में तुर्की समेत यूरोपियन यूनियन ने उन्हें स्वीकार करने से मना कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ जब अमेरिका ने बांग्लादेश से उन शरणार्थियों को जगह देने का निवेदन किया तो बांग्लादेश ने भी ठुकरा दिया। ऐसे में इन शरणार्थियों की मदद के लिए भारत न सिर्फ आगे आया है बल्कि वह उन अफगान नागरिकों को आपातकालीन ई-वीजा जारी करने का फैसला किया है जो अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारत में आना चाहते हैं।

भारत में विपक्षी इस बात पर तंज कस रहे थे कि क्या CAA  के बाद भारत में मुस्लिम शरणार्थियों को जगह दी जाएगी? कांग्रेस के जयवीर शेरगिल और कैप्टन अमरिंदर सिंह भी अफगानिस्तान के सिख समुदाय के लोगों को सुरक्षित भारत लाने के लिए आग्रह कर रहे थे। हालांकि बीच में खबर यह आयी की शायद हिंदुओं और सिखों के लिए सरकार प्रबंध करेगी।

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खैर सारे कयासों पर लगाम लगाते हुए सरकार ने अपना फैसला दे दिया है। भारत ने 17 अगस्त को घोषणा की है कि वह उन अफगान नागरिकों को आपातकालीन ई-वीजा जारी करेगा जो अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद मौजूदा स्थिति को देखते हुए भारत में आना चाहते हैं। विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति को देखते हुए वीजा प्रावधानों की समीक्षा करने के बाद ‘e-Emergency X-Misc Visa’ नामक ई-वीजा की एक नई श्रेणी को भारत में पेश किया है। इस खास श्रेणी के वीजा आवेदनों पर तेजी से काम किया जाएगा।

 

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चूंकि अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास फिलहाल बंद हैं इसलिए ई-वीजा के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। ई-वीजा शुरुआत में छह महीने के लिए वैध होगा। अधिकारियों ने कहा कि आवेदनों पर वीजा प्रदान करते समय सुरक्षा मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा। ई-वीजा सभी अफगान नागरिकों के लिए है। आवेदन करने वालों का धर्म कुछ भी हो, वो यात्रा दस्तावेज के लिए आवेदन कर सकते हैं। खबर के अनुसार, भारत राजनीतिक रूप से सक्रिय राजनेताओं को, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को, मीडिया कर्मियों को, वहां के अल्पसंख्यकों को और उन लोगों को शरण दे सकता है जो भारतीय सरकार के साथ मिलकर काम कर चुके है। फिलहाल सरकार 6 महीने के लिए वीजा देगी, उसके बाद की स्थिति स्पष्ट नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि काबुल के तालिबान के हाथों में पड़ने के बाद से भारत अफगानिस्तान की स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है। लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उन्हें भारत में सम्पूर्ण नागरिकता दी जाएगी! क्योंकि अगर ऐसा होता है तो यह बहुत घातक होगा। भारत पहले ही आबादी के बोझ में दबा हुआ है। यहां संशाधनों की सीमित मात्रा को देखते हुए पहले से ही लड़ाई जारी है।

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