जानिए क्यों, भारत सरकार ने Infosys की सार्वजनिक बेइज्जती करके उसके CEO को समन किया

‘सरकारी काम है हो जाएगा’, अब नहीं चलेगा।

इंफोसिस सीईओ समन

हो सकता है आप एक बड़ी आईटी कंपनी हों, आपके काफी तगड़े क्लाइंट हों। आपको ये भी लगे कि आप किसी को भी अपनी उंगलियों पे नचा सकते हैं, परंतु ऐसा मोदी सरकार में नहीं चलेगा और इंफोसिस ने इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हाल ही में देखा है। इंफोसिस के सीईओ सलिल पारिख को भारत सरकार ने समन भेजा है। बुलावा कि आइए और बताइए कि काम क्यों नहीं हो रहा है ?

ये बुलावा सरकार मेल के जरिए भी भेज सकती थी, हो सकता है भेजा भी हो लेकिन भारत सरकार ने इसे सार्वजनिक भी कर दिया। भारत सरकार ने पूरे देश को बता दिया कि इंफोसिस ये काम नहीं कर रही है और इसके लिए इंफोसिस के सीईओ सलिल पारिख को समन देकर जवाब देने के लिए बुलाया गया है।

सार्वजनिक तौर पर इंफोसिस की इस बेइज्जती के पीछे सरकार का मक्सद एकदम साफ था। मक्सद कि सरकारी काम है तो हो जाएगा वाला रवैया अब नहीं चलेगा। अब वक्त पर काम करके देना पड़ेगा, अगर नहीं देते हो तो जवाबदेही तय की जाएगी।

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रविवार की सुबह आयकर विभाग के एक ट्वीट ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस ट्वीट को जिसने भी देखा उसके दिमाग में एक बात तो साफ हो गई कि दूर के ढोल सुहावने लगते हैं।

ऐसा इसलिए क्योंकि जिस इंफोसिस के कभी बड़े चर्चे होते थे और जिस इंफोसिस की तारीफ करते बड़े से बड़े पत्रकार भी नहीं थकते थे, उसे वित्त मंत्रालय के नेतृत्व में आयकर विभाग ने न केवल सीईओ सलिल पारिख को समन किया बल्कि केंद्र सरकार ने उसे एक अहम कार्य में लापरवाही बरतने के लिए आड़े हाथों भी लिया।

लेकिन इंफोसिस ने ऐसा भी क्या किया, जिसके पीछे केंद्र सरकार ने इतनी बुरी तरह से उसकी सार्वजनिक धुलाई की है? असल में अपने ट्वीट में आयकर विभाग ने सूचित किया कि इंफोसिस सीईओ सलिल पारेख को ये जवाब देने के लिए समन किया गया है कि आखिर ई-फाइलिंग पोर्टल के लॉन्च होने के ढाई महीने के बाद भी उसकी कमियाँ क्यों नहीं ठीक हुई हैं। इसके बारे में में वित्त मंत्रालय स्पष्ट जवाब चाहता है।

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आयकर विभाग के ट्वीट के अनुसार, ‘वित्त मंत्रालय ने 23 अगस्त को इंफोसिस सीईओ श्री सलिल पारेख को समन किया है, जिससे कि वे बता सकें कि आखिर इनकम टैक्स पॉर्टल लॉन्च होने के बाद से उसकी दिक्कतें ठीक क्यों नहीं हो पा रही हैं। 21 अगस्त से तो पोर्टल ही उपलब्ध नहीं है।‘’

7 जून को जब से इनकम टैक्स की नई वेबसाइट का शुभारंभ हुआ तभी से इस साइट पर सरकार को लगातार शिकायतें मिल रही हैं। एक उच्च आईटी कंपनी द्वारा विकसित किये जाने पर ये आशा की जाती है कि कोई बड़ी अड़चन नहीं आनी चाहिए। इस वेबसाइट को सुचारु रूप से व्यवस्थित रखने के लिए इंफोसिस को जून 2021 तक भारत सरकार ने लगभग 165 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया था

इस बात की सूचना वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भी दी जिन्होंने बताया कि कैसे करदाता, टैक्स विशेषज्ञ एवं अन्य स्टेकहोल्डर नए वेबसाइट की दिक्कतों से परेशान हो चुके थे।

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इंफोसिस यूं ही इतना बदनाम नहीं है। इसका मामला ऊंची दुकान फीका पकवान वाला है। TFI Post  के संस्थापक अतुल मिश्रा ने इसकी ओर ध्यान आकर्षित करते हुए ट्वीट किया, “इंफोसिस अपने इंजीनीयर्स को बिल्कुल भी उचित वेतन नहीं देता और उसकी चर्चित ट्रेनिंग दिखावा है। इंफोसिस के लोगों को इंफोसिस के अलावा कुछ समझ में नहीं आता। बड़े लोग बस मलाई खाते हैं। ये बहुत अच्छी बात कि सरकार इन्हे इनकी लापरवाही के लिए जवाबदेह बना रही है!”

ये बात गलत भी नहीं है क्योंकि इंफोसिस जैसे कई कंपनियां, जो सरकारी प्रोजेक्ट करने में आनाकानी करती हैं, लेकिन निजी प्रोजेक्ट करने में जी जान लगा देती हैं। अब इस लापरवाही के प्रति जवाबदेही तय हो रही है, इसी क्रम में इंफोसिस के सीईओ को सरकार ने समन किया है।

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