बदल रहा है उत्तर-प्रदेश, डिफेंस कॉरिडोर, ड्रोन और अब ब्रह्मोस मिसाइल अभी तो बहुत कुछ बाकी है

‘अखिलेश के वक्त कट्टे बनते थे’, अब योगी ‘मिसाइलें’ बनवा रहे हैं

डिफेंस कॉरिडोर

राष्ट्रीय स्तर पर जब भी उत्तर प्रदेश की बात होती थी, तो आम-जनमानस के हृदय में आपराधिक लूट मार, अराजकता, दंगे, साक्षरता का पिछड़ापन एवं जातिगत कुप्रथाएं ही स्मृति में आती थींं, किन्तु 2014 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के चहुंमुखी विकास के लिए रणनीतियां बनाना शुरू कर दिया। यद्यपि 2017 के मध्य तक अखिलेश यादव सरकार में थे, किन्तु केन्द्र के माध्यम से जो काम किए जा सकते थे, उन्हें पीएम मोदी ने जमीन पर उतारा। वहीं जब 2017 में बीजेपी को बहुमत मिली, तो गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ के सानिध्य में यूपी का कायाकल्प ही हो गया है। इसका परिणाम ये है कि आपराधिक सूचियों में शीर्ष पर दिखने वाले यूपी के लोग गोलियां चलाने से अधिक सेना के लिए गोलियां बनाने में व्यस्त हो गए। प्रदेश में पिछले 4 वर्षों में निवेश तो प्रत्येक क्षेत्र में आया किन्तु पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट डिफेंस कॉरिडोर को पंख लगाने का काम सीएम योगी ने अपनी कार्यकुशलता के दम पर ही किया है।

वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि वो तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश को डिफेंस कॉरिडोर बनाएंगे, जो कि उनका ड्रीम प्रोजेक्ट भी है। वहीं, अब जो स्थिति है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश तमिलनाडु से भी आगे निकल रहा है, क्योंकि अब खबरें हैं कि उत्तर प्रदेश में ही भारत की सबसे ख़तरनाक ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल की मैन्युफैक्चरिंग भी होगी। DRDO एवं रूसी कंपनी NPOM द्वारा इसके लिए लखनऊ को चुना गया है।  इस बात की जानकारी स्वयं ब्रह्मोस एयरोस्पेस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक डॉ सुधीर कुमार मिश्रा ने CM योगी से बातचीत करने के बाद दी है। ये प्रदेश की राजधानी के लिए एक बड़ी सौगात का संकेत है, क्योंकि संभावनाएं हैं कि इससे 15 हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

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उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि उत्तर प्रदेश डिफेंस इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत लखनऊ में अगले तीन साल में ब्रह्मोस की नेक्स्ट जेनरेशन की सौ मिसाइलों के उत्पादन की योजना है। अभी देश में नागपुर और हैदराबाद में इन मिसाइलों का निर्माण हो रहा है। वहीं CM योगी ने आश्वासन देते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार इस परियोजना के लिए लखनऊ में आवश्यक भूमि सहित अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।  वहीं यूपी के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने कहा, “ब्रह्मोस मिसाइल परियोजना यूपी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। लखनऊ में जमीन जल्द फाइनल कर दी जाएगी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर सितंबर तक इस परियोजना का शिलान्यास कराने की योजना है।”

महत्वपूर्ण बात ये है कि लखनऊ में इस सुपरसोनिक मिसाइल के मैन्युफैक्चरिंग के प्लांट के लिए लगभग 200 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी, जिसमें कुल 300 करोड़ रुपए के निवेश की संभावनाएं हैं, जमीन आवंटन के तीन माह के भीतर ही सिविल निर्माण भी प्रारंभ होगा। ऐसे में DRDO एवं रूसी कंपनी NPOM के इस साझा प्रोजेक्ट से लखनऊ में 15 हजार युवाओं को रोजगार  मिलने का मार्ग प्रशस्त होता है।

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ऐसा नहीं है कि ब्रह्मोस के संबंध में लिया गया ये निर्णय अकेला है, अपितु CM योगी के नेतृत्व में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का काम युद्धस्तर स्तर पर चल रहा है। TFI ने इससे पहले बताया था कि कैसे अलीगढ़ सबसे पहले डिफेंस कॉरिडोर के अंतर्गत निवेश पाने वाले शहरों में प्रथम रहा है। यहां 19 कंपनियों को ज़मीन आवंटित की गई है, जिनसे लगभग 1,245 करोड़ रुपए का निवेश होने वाला है। कुछ इसी तरह बुंदेलखंड से लेकर कानपुर, आगरा, झांसी, लखनऊ चित्रकूट जैसे जिले डिफेंस कॉरिडोर के लिए प्रस्तावित हैं, एवं इस संपूर्ण प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश सरकार का कंपनियों को विशेष समर्थन प्राप्त है, जो कि आर्थिक रूप से उत्तर प्रदेश की कायाकल्प कर रहा है, एवं सैन्य शक्ति के आधार पर भी अति महत्वपूर्ण है।

वहीं अब अलीगढ़ के पश्चात डिफेंस कॉरिडोर के अंतर्गत ही लखनऊ में ब्रह्मोस की मैन्युफैक्चरिंग का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश के लिए एक सकारात्मक पहलू है, क्योंकि इससे अन्य कंपनियों का भी यूपी के प्रति आकर्षण बढ़ेगा, जो कि यूपी को एक औद्योगिक क्षेत्र में विस्तार दे सकता है।

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