BSP सांसद अतुल राय पर रेप का आरोप लगाने वाली लड़की को क्या मौत के बाद मिलेगा न्याय?

अतुल राय रेप

PC: Patrika

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने का दावा करने वाली मीडिया रेप जैसे मुद्दे में भी सही और गलत का चुनाव अपने राजनैतिक स्वार्थों को ध्यान में रखते हुए करती है। बसपा सांसद अतुल राय पर रेप का आरोप लगाने वाली युवती की मृत्यु पर मीडिया का मौन यही बताता है कि भारत की मेनस्ट्रीम मीडिया के लिए न्याय की लड़ाई उनकी अपनी सुविधा के अनुरूप बदल सकती है।

ज्ञात हो कि पिछले दिनों अतुल राय पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली युवती ने अपने केस के मुख्य गवाह, अपने एक मित्र के साथ सुप्रीम कोर्ट के गेट डी पर, आत्मदाह कर लिया था। दोनों युवक और युवती बुरी तरह झुलस गए थे जिसके बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 2 दिनों पूर्व युवक की मृत्यु हो गई और मंगलवार को युवती का भी देहांत हो गया। हालांकि, इस मामले में अतुल राय अभी जेल में है, परंतु पीड़िता के दावों को मानें तो जेल में रहते हुए भीअतुल राय ने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए पीड़िता और उसके मित्र पर इतना दबाव डाला कि दोनों ने विवशता वश आत्मदाह करने का रास्ता चुन लिया। अगर इन दावों में सच्चाई है तो उत्तर प्रदेश का यह केस बताता है कि देश में मीडिया, माफिया, पुलिस और न्याय व्यवस्था कैसे किसी पीड़िता की आवाज को आसानी से कुचल सकता है।

कुछ रिपोर्टस के अनुसार पीड़िता और उसका मित्र दोनों वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज के विद्यार्थी थे तथा छात्र संघ की राजनीति के बड़े चेहरे थे। देश की राजनीति में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दोनों युवा बनारस के बड़े नेताओं से संपर्क बनाने का प्रयास कर रहे थे। इसी दौरान दोनों का संपर्क अतुल राय से हुआ। युवती के आरोप के अनुसार अतुल राय युवती को अपनी पत्नी से मिलवाने का झांसा देकर अपने घर ले गया जहां उसने युवती का रेप किया। पीड़ित का आरोप था कि अतुल राय ने उसका एक वीडियो बनाकर उसे वायरल करने की धमकी दी और यही डर दिखाकर अतुल राय लगातार एक वर्ष तक वह लड़की का रेप करता रहा।

जब युवती ने अतुल राय के विरुद्ध इस संदर्भ में शिकायत दर्ज कराई उसके बाद से उसके तथा उसके परिवार के ऊपर अतुल राय के गुंडों द्वारा दबाव बनाया जाने लगा। अतुल राय ने अपने बचाव में यह कहा कि उनके विरुद्ध यह षड्यंत्र है जो एक राजनीतिक साजिश के तहत अंजाम दिया जा रहा है। अतुल राय के तर्को की पोल तब खुल गई जब उसने उत्तर प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया था कि वह उसके विरुद्ध राजनैतिक साजिश रच रही है वहीं, दूसरी बार उसने मुख्तार अंसारी को इस साजिश के पीछे का मुख्य साजिशकर्ता बताया। पीड़िता और उसके मित्र के फेसबुक ID पर ऐसे कई ऑडियो-वीडियो हैं जिनमें उत्तर पुलिस के कई कर्मचारियों और अतुल राय के गुर्गो द्वारा उन्हें तरह-तरह का लोभ लालच दिया जा रहा है जिससे वह अतुल राय पर से मुकदमा वापस ले लें।

लेकिन जब इन दोनों ने मुकदमा वापस लेने से साफ इंकार कर दिया तो अतुल राय ने माफिया और न्यायालय के नेक्सेस का इस्तेमाल करते हुए इन लोगों पर कई मुकदमे दायर करवाए। इतना ही नहीं युवक और युवती जब अपने केस के सिलसिले में कोर्ट गए तो वहां पर उनके साथ मारपीट भी हुई। कोर्ट परिसर में न्याय की मांग करने गई युवती को वेश्या कहा गया। मारपीट के बाद भी दोनों ने पीछे हटना स्वीकार नहीं किया। युवती का आरोप है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के भ्रष्ट पुलिसकर्मियों ने उस युवती को चरित्रहीन करार देते हुए हनी ट्रैप के मामले में उस पर मुकदमा दायर करवा दिया। साथ ही युवती के मित्र का भी चरित्र हनन किया गया।

इसके बाद लगातार मिल रहे कानूनी नोटिस और कोर्ट से खारिज हुई जमानत याचिका के कारण अंततः दोनों ने अपनी लड़ाई की सत्यता को सिद्ध करने के लिए आत्मदाह का रास्ता चुन लिया।

इस मामले में युवती ने तत्कालीन SSP अमित पाठक, नरही के पुलिसकर्मी T P सिंह, CO अमरेश सिंह, दरोगा संजय राय और उसका बेटा विपिन, एम पी/एमएलए, कोर्ट के एक न्यायाधीश आलोक श्रीवास्तव के अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस में आईजी पद से सेवानिवृत्त किए गए अमिताभ ठाकुर को अपने मानसिक शोषण में भागीदारी बताया। बता दें कि अमिताभ ठाकुर को केंद्र सरकार ने पहले ही भ्रष्टाचार के आरोप में समय से पूर्व सेवानिवृत्त कर दिया है।

सवाल यह है कि उन्नाव रेप पीड़िता के लिए न्याय मांगने वाली मीडिया वाराणसी की इस होनहार लड़की के लिए आवाज क्यों नहीं उठा रही? रेप को राजनीतिक स्वार्थों की दृष्टि से देखना कितना उचित है? आप अपने को उस युवती की स्थिति में रख कर देखें जिसका 1 वर्ष से रेप हो रहा हो लेकिन गुंडे के रसूख के कारण वह बोल तक नहीं सकती। आप युवक की स्थिति में को देखें जो अपनी मित्र को न्याय दिलवाने के लिए अपनी क्षमता से बहुत बड़ा साहस दिखाकर एक माफिया से अकेले भिड़ जाता है।

आप कल्पना करें कि हम उस सभ्य समाज में जी रहे हैं जहां पीड़ित जब न्याय मांगने के लिए कोर्ट जाते हैं तो उन्हें परिसर में पीटा जाता है। एक ऐसा समाज जहाँ गुंडों के दबाव में रिश्तेदारों ने उनकी सुध बुध लेने फिर भी मना कर दिया था।  उन्होंने सत्यता का आखरी प्रमाण स्वयं को आग लगा कर दिया पर दुख की बात यह है कि उन्हें अब भी न्याय मिलेगा या नहीं हम यह तक नहीं जानते। अब सरकार को भी इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच में तेजी लानी चाहिए और दोषी को सजा दिलवानी चाहिये।

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