वनुआटू सरकार छीनेगी ममता बनर्जी के गो-तस्कर नेता की नागरिकता, भारत में होगा प्रत्यर्पण

अभिषेक बनर्जी के करीबी नेता विनय मिश्रा के बुरे दिन शुरू

वनुआटू सरकार

कानून को अपने हिसाब से घुमाने और उसके शिकंजे से बचने के लिए किए गए प्रयास करने वाले बहुसंख्या में हैं। जब कानून अपने तेवर दिखा देता है तो सारे हथकंडे धरे के धरे रह जाते हैं। गौ तस्करी और कोयला चोरी के आरोप से बचने के लिए वनुआटू (Vanuatu) फरार हो चुके विनय मिश्रा के लिए भी अब बुरी खबर है। टीएमसी के पूर्व नेता विनय मिश्रा भी अपने बचाव में ऐसी ही कुछ चालें चलने में लगे हुए थे परंतु गौ तस्करी और कोयला चोरी से संबंधित मिश्रा की हर याचिका कोलकाता हाईकोर्ट ने रद्द कर दी है। इससे विनय मिश्रा के के खिलाफ जल्द से जल्द कार्यवाही करते हुए उसे भारत प्रत्यर्पित करने की तैयारी शुरू हो सकेगी।

दरअसल, विनय मिश्रा के केस में कोर्ट की सख्ती के बाद उस पर पर शिकंजा कसने जा रहा है। यही नहीं वनुआटू के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने हाल ही में द संडे गार्जियन के साथ एक विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि यदि कोर्ट विनय मिश्रा को दोषी ठहरा देता है तो वो विनय मिश्रा को प्रदान कि गयी नागरिकता को वनुआटू सरकार रद्द कर देगी और भारत में उसके प्रत्यर्पण करने में पूरा सहयोग देगी।

वहीं इसी मामले पर सुनवाई के दौरान कोलकाता हाइकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई में कहा, ”विनय मिश्रा की ओर से दाखिल सभी याचिकाएं रद्द की जाती हैं।” केस की सुनवाई करने वाले जस्टिस तीर्थांकर घोष ने मिश्रा की जमानत को बढ़ाने से भी इनकार किया। जज ने कहा, ”जांच में हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।”

कोर्ट के इस कड़े रुख के बाद सीबीआई अब वनुआटू सरकार से संपर्क करने और विनय के प्रत्यर्पण की मांग करने के लिए स्वतंत्र है। वहीं दूसरी ओर वनुआटू के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी यही कह रहे हैं कि विनय मिश्रा को प्रदान कि गयी नागरिकता को वनुआटू सरकार (Vanuatu) रद्द कर देगी और भारत में उसके प्रत्यर्पण करने में पूरा सहयोग देगी।

यानि अब स्पष्ट है कि विनय मिश्रा के बुरे दिन अब शुरू हो रहे हैं।

बता दें कि TMC का पूर्व युवा नेता रह चुके विनय मिश्रा, भारत से फरार हो, एक छोटे से द्वीप देश वनुआटू फरार है। Sunday Guardian की रिपोर्ट के अनुसार विनय मिश्रा ने 25 नवंबर 2020 को वनुआटू गणराज्य की नागरिकता ली थी। विनय ने 19 दिसंबर 2020 को दुबई के भारतीय वाणिज्य दूतावास कार्यालय में अपनी भारतीय नागरिकता का त्याग किया था।

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मिश्रा ने बचने की तिकड़म लगते हुए, दावा किया था कि उन्होंने पिछले साल 16 सितंबर को देश छोड़ा था, जबकि केस इसके बाद 21 सितंबर और फिर 27 नवंबर को दर्ज किया गया। मिश्रा के वकील ने 7 जून को एक हलफनामा दायर करके कहा था कि उन्होंने दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास में आवदेन देकर नागरिकता छोड़ दी, जिसे 22 दिसंबर को स्वीकार कर लिया गया था।

प्रत्यर्पण होने के बाद गौ तस्करी और कोयला चोरी में कथित तौर पर टीएमसी की भागीदारी पर भी जांच हो सकती है। ध्यान देने वाली बात है कि विनय मिश्रा और ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी के व्यावसायिक और निजी संबंध की रिपोर्ट सामने आती रही हैं।

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अब इस केस में विनय मिश्रा पर भारत के कानून का डंडा चलना शुरू होने वाला है। बुधवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मिश्रा की याचिका पर फैसला करते हुए उनके खिलाफ सीबीआई की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया है। वहीं वनुआटू सरकार के भारत को सहयोग देने वाले बयान से तो विनय मिश्रा को दोहरी मार पड़ी है। जिस सोच के साथ मिश्रा ने पैसा देकर निवेश के नाम पर नागरिकता प्राप्त की थी वो भी डूबा और आरोपों के सिद्ध होने पर जेल कूच की योजना भी बन चुकी है।

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